कोरबा से लक्ष्मण महंत की रिपोर्ट
कोरबा। प्रदेश में देर से ही सही लेकिन लगातार हो रही बारिश ने किसानों को बड़ी राहत दी है। किसानों के चेहरे खिल उठे है। किसानों को उम्मीद है कि इस बार धान का बंपर उत्पादन होगा। एका-एक बारिश थमने से किसानों में मायूसी छाई हुई थी। लेकिन प्रदेश में फिर सक्रिय हुए मानसून ने किसानों की चिंता को दूर कर दिया।
छत्तीसगढ़ अपनी प्रचीन परम्पराओं के लिए प्रसिध्द
छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा भी कहा जाता है इसका मतलब है कि धान की पैदावार राज्य में बड़े पैमाने पर होती है। धान के उत्पान के अलावा छत्तीसगढ़ अपनी प्रचीन परम्पराओं को लेकर जाना जाता है। इस प्रदेश के अधिकतर त्योहार तो फसलों पर मनाए जाते हैं, जैसे कि धान रोपाई के समय छत्तीसगढ़ में आदिवासी क्षेत्रों में बीज पंडुम मनाया जाता है।
आम की पहली फसल खाने के पूर्व मरका पंडुम ठीक वैसे ही अभी खेती किसानी में धान की फसल में बालियां आना शुरू हो गया है और किसान अब इस उत्सव को नवा खाई पर्व के रूप में सामूहिक उत्सव मनाएंगे।
फसल में निकल आई बालियां
दीपावली का पर्व भी अब नजदीक है और धान की फसल में बालियां निकल रही है। चारों ओर हरियाली ही हरियाली नजर आ रही है। स्थानीय लोगों के द्वारा धान की फसल में बालियां आने पर नवाखाई पर्व मनाया जाता है।
इस पर्व को किसान अपने-अपने घर में मनाते हैं। किसान बालियां में आई धान के पकवान बना कर अपने-अपने कुल देवता को भोग लगाते हैं। माना जाता है कि यह गांव वाले इस पर्व पर प्रकृति का आभार प्रकट करते हैं। छत्तीसगढ़द के साथ ये पर्व पड़ोसी राज्य ओडिशा में भी मनाया जाता है।
प्रदेश में 310 मिमी बारिश हुई
सितंबर में प्रदेश में 310 मिमी बारिश हो चुकी है। पिछले दिनों हुई झमाझम बारिश होने से कोरबा जिले के किसानों के चेहरे खिल उठे है। बारिश ने किसानों को एक नई उम्मीद दी है। इस बार के हालात कुछ ठीक नजर आ रहे हैं, क्योंकि पिछले साल तो किसानों को पर्याप्त पानी नहीं मिलने से सूखे जैसे हालात बन गए थे।
तापमान में गिरावट जारी
दो दिन से तापमान में गिरावट आने से मौसम में ठंडकता आ गई है। किसान सुबह और शाम खेतों की ओर रूख कर रहे हैं। इस बार पिछले साल की अपेक्षा अच्छा उपज होगा।
कोरबा जिले में अब तक 1045 एमएम बारिश दर्ज की गई है। कृषि विभाग के अफसरों के मुताबिक, किसानों ने धान के ऐसे बीज भी बोए थो जो तीन माह से पहले ही कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं। इसलिए क्षेत्र में कम अवधि वाली धान की फसलों में बालियां आ गई हैं।
इस साल जिले में 90 हजार 436 हेक्टेयर खेतो में धान की फसल लगी है। इसके अलावा दलहन और तिलहन की खेती भी बेहतर स्थिति में है। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि मौसम की मेहरबानी से इस बार किसानों की मेहनत रंग लाएगी।
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