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Fall in Oilseeds Prices: विदेशी बाजार में सोयाबीन दाम में गिरावट, जानें MP के किसानों को क्यों नहीं मिल रहा तिलहन पर MSP का लाभ

Fall in Oilseeds Prices: किसानों को नहीं मिल रहा एमएसपी का लाभ। किसान कम दामों पर अपनी फसल बेचने को मजबूर है।

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Rahul Sharma
Fall in Oilseeds Prices: विदेशी बाजार में सोयाबीन दाम में गिरावट, जानें MP के किसानों को क्यों नहीं मिल रहा तिलहन पर MSP का लाभ

Fall in Oilseeds Prices: विदेशी बाजारों में बीते सप्ताह सोयाबीन के दाम में गिरावट आई है। वहीं सरसों की नई फसल की मंडियों में आवक शुरू होने के बीच देशी तेल-तिलहनों (Fall in Oilseeds Prices) के थोक दाम लडखड़ाते नजर आये।

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यही कारण है कि मध्य प्रदेश के किसानों को तिलहन पर न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी MSP का लाभ नहीं मिल पा रहा है।

   एमएसपी का लाभ नहीं मिल पाने की सबसे बड़ी वजह

भारत में जो तेल इम्पोर्ट किया जा रहा है, उसके रेट पहले से ही कम (Fall in Oilseeds Prices) है। वहीं मध्य प्रदेश की मंडियों में सरसों की नयी फसल आना और शुरू हो चुकी है।

इस वजह से देशी खाद्य तेल-तिलहनों पर दबाव और बढ़ गया है। सारे देशी तेल-तिलहन की हालत यह है कि तेल पेराई मिलों को किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे दाम पर सरसों, मूंगफली बेच रहे हैं।

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इसके बावजूद पेराई यानी क्रसिंग मिलों को पेराई के बाद खाद्य तेल के लिए ग्राहक नहीं मिल रहे, क्योंकि थोक में आयातित तेल उन्हें कहीं सस्ते में उपलब्ध हैं।

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   गिरावट के बावजूद इम्पोर्ट में नुकसान की यह वजह!

सूत्रों ने कहा कि समीक्षाधीन सप्ताह से पहले के हफ्तों में बंदरगाहों पर सोयाबीन डीगम तेल का दाम जो पहले 920-925 डॉलर प्रति टन था, वह घटकर (Fall in Oilseeds Prices) समीक्षाधीन सप्ताहांत में 890-893 डॉलर प्रति टन रह गया।

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कच्चे पामतेल (सीपीओ) का भाव पहले के 940-945 डॉलर प्रति टन से घटकर समीक्षाधीन सप्ताहांत में 905 डॉलर प्रति टन रह गया।

इस गिरावट के बावजूद पाम, पामोलीन के इम्पोर्ट में नुकसान है क्योंकि बैंकों का ऋण-साखपत्र (लेटर आफ क्रेडिट या एलसी) घुमाने के लिए इसे कम दाम पर बेचने की मजबूरी है।

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   खाद्य तेल में 8 फीसदी की मजबूती

देश के तेल-तिलहन उद्योग की इस वस्तुस्थिति के बीच कुछ विदेशी खाद्य तेल तिलहन उद्योग के ब्रोकर यह तर्क पेश करते हैं कि दिसंबर के मुकाबले जनवरी में आयातित खाद्य तेलों के दाम लगभग आठ प्रतिशत मजबूत हुए हैं इसलिए अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) में बदलाव करने की असमर्थता है।

सोयाबीन डीगम तेल का दाम दिसंबर के 980 डॉलर से घटकर (Fall in Oilseeds Prices) जनवरी में 910-920 डॉलर प्रति टन रह गया है।

   किसान नेताओं ने ये कहा

इन सब घटनाक्रमों के बीच तिलहन किसान, तेल मिलें, तेल उद्योग, आयातक और उपभोक्ताओं सभी को नुकसान उठाना पड़ रहा है।

Fall in Oilseeds Prices kedar

किसान नेताओं का कहना है कि इस स्थिति में तेल संगठनों को आगे आकर इस तथ्य वस्तुस्थिति को स्पष्ट करना चाहिए।

   यह है हालात

सोयाबीन तिलहन का दाम दिसंबर के 5,200 रुपये क्विंटल से घटकर (Fall in Oilseeds Prices) 4,600 रुपये क्विंटल रह गया है। सरसों तिलहन का दाम दिसंबर के 5,600-5,650 रुपये क्विंटल से घटकर 5,300 रुपये क्विंटल रह गया।

मूंगफली तेल का दाम 160 रुपये किलो से घटकर 147-148 रुपये किलो रह गया। पिछले सप्ताहांत के मुकाबले बीते सप्ताह सरसों दाने का थोक भाव 85 रुपये की गिरावट के साथ 5,240-5,290 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।

सरसों दादरी तेल का भाव 200 रुपये घटकर 9,650 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों पक्की और कच्ची घानी तेल का भाव क्रमश: 30-30 रुपये की हानि के साथ क्रमश: 1,655-1,755 रुपये और 1,655-1,755 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुआ।

इसी तरह सोयाबीन दिल्ली, सोयाबीन इंदौर और सोयाबीन डीगम तेल का भाव क्रमश: 375 रुपये, 450 रुपये और 240 रुपये के नुकसान (Fall in Oilseeds Prices) के साथ क्रमश: 9,475 रुपये और 9,250 रुपये और 7,900 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।

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