Falgun Amavasya 2024 Date: हमारे हिन्दू पंचांग (Hindu Panchang) के अनुसार इस साल फाल्गुन अमावस्या 10 मार्च को आएगी। इस दिन पितरों के निमित्त दान करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।
ऐसे में अगर आप भी पितृदोष से पीड़ित हैं तो चलिए जानते हैं ज्योतिषाचार्य से कि इस दिन पितृदोष दूर करने के लिए क्या उपाय (Pitru Dosh Dur Karne ke Upay) किए जाने चाहिए। साथ ही जानेंगे पितृदोष मुक्ति के उपाय।
कब है फाल्गुन अमावस्या, जानें सही तिथि
ज्योतिषाचार्य पंडित रामगोविंद शास्त्री के अनुसार अमावस्या तिथि 9 मार्च की शाम 6:17 मिनट पर शुरु हो जाएगी। इसकी समाप्ति 10 मार्च को दोपहर 2:29 बजे तक रहेगी। इसलिए उदया तिथि के अनुसार फाल्गुन अमास्या 10 मार्च (Falgun Amavasya kab hai) को ही मनाई जाएगी।
सोमवार और मंगलवार की अमावस्या होती है खास
ज्योतिषाचार्य पंडित राम गोविंद शास्त्री के अनुसार यदि अमावस्या सोमवार और मंगलवार को पड़े तो ये बेहद खास होती है। क्योंकि सोमवार का दिन शिवजी का दिन होता है। शिव का चंद्रमा से संबंध है।
वे शिवजी की जटाओं में विराजित हैं। सोमवार के दिन पड़ने वाली अमास्वया को सोमवती अमावस्या ( Significant of Somvati Amavastya) कहते हैं। तो मंगलवार को पड़ने वाली अमावस्या को कुहू अमावस्या कहते हैं।
फाल्गुन अमावस्या का महत्व
⭐ अमावस्या तिथि हर महीने आती है। हर कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के बाद पंद्रहवे दिन को अमावस्या तिथि (Falgun Amavasya) कहा जाता है। इस बार फाल्गुन मास में आने वाली अमावस्या तिथि को फाल्गुन अमावस्या (Falgun Amavasya) कहते हैं।
⭐ अमावस्या तिथि पितरों के लिए मानी जाती है। इसलिए अमावस्या तिथि के दिन यदि पितरों के निमित्त कुछ काम किया जाए तो उससे पितृ प्रसन्न होते हैं। इसलिए इस दिन पितृदोष की शांति के दिन दान अवस्य करना चाहिए।
⭐ फाल्गुन माह में अमावस्या तिथि का अधिक महत्व है। फाल्गुन अमावस्या भगवान विष्णु और पितरों को समर्पित है।
⭐ धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन पूजा और गंगा स्नान-दान करने से साधक को जीवन में मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है और पितृ प्रसन्न होते हैं।
⭐ फाल्गुन अमावस्या के अवसर पर पूर्वजों का पिंड दान कर सकते हैं। साथ ही श्रदा अनुसार गरीबों को विशेष चीजों का दान करना चाहिए।
फाल्गुन अमावस्या पर स्नान दान का मुहूर्त
इस दिन स्नान और दान करने का मुहूर्त (Falgun Amavastya Muhurat 2024) सुबह 4:49 मिनट से लेकर सुबह 5:58 मिनट तक रहेगा। अभिजित मुहूर्त दोपहर 12:8 मिनट से लेकर दोपहर 1:55 मिनट तक रहेगा।
फाल्गुन अमावस्या पूजा विधि
फाल्गुन अमावस्या के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठें और दिन की शुरुआत भगवान विष्णु के ध्यान से करें। इसके बाद स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें। अगर संभव हो तो किसी पवित्र नदी में स्नान करें।
सूर्य देव को जल अर्पित करें। अब विधिपूर्वक श्री हरि की पूजा-अर्चना करें और व्रत का संकल्प लें।
पूजा समापन होने के बाद बहते हुए पानी में तिल प्रवाहित करें। इस दौरान सुख, शांति, समृद्धि और सौभाग्य की प्रार्थना करें। इसके पश्चात पूर्वजों का पिंड दान कर सकते हैं। साथ ही श्रदा अनुसार गरीबों को विशेष चीजों का दान करें।
पितृ दोष से बचाव का मंत्र
ॐ आद्य-भूताय विद्महे सर्व-सेव्याय धीमहि।
शिव-शक्ति-स्वरूपेण पितृ-देव प्रचोदयात्’
यदि आपकी कुंडली में पितृदोष है तो आपको इस दिन पितृदोष की शांति के लिए जातक पितरों को जल अर्पण करते समय इस मंत्र का 108 बार जाप करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
गायत्री मंत्र
ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्
ऐसी मान्यता है कि अमावस्या तिथि के दिन कई तरह की नकारात्मक शक्तियां तेज हो जाती हैं।
ऐसे में इन नकारात्मक शक्तियों से बचने के लिए आपको मां दुर्गा के सबसे प्रभावशाली गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए।
कुल देवता का मंत्र
ॐ कुल देवताभ्यो नमः।
अमावस्या तिथि पितरों की तिथि मानी जाती है। ऐसे में इस दिन यदि कुल देवता के मंत्र का जाप किया जाए तो आपके घर में सुख समृद्धि आती है।
साथ ही आपके जीवन में आर्थिक परेशानी भी दूर होती है।
मोक्ष प्राप्ति मंत्र
अयोध्या मथुरा, माया, काशी कांचीअवन्तिकापुरी, द्वारवती ज्ञेयाः सप्तैता मोक्ष दायिका
ऐसी मान्यता है कि अमावस्या तिथि के दिन यदि मोक्ष प्राप्ति मंत्र का जाप किया जाए तो आपको मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसलिए अमावस्या के दिन स्नान करते समय इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति को जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति मिल जाती है। इससे उसे बैकुंठ लोक की प्राप्ति होती है।
अमावस्या तिथि पर स्नान का मंत्र
गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती, नर्मदा सिंधु कावेरी जलेस्मिनेसंनिधि कुरू
वैसे तो अमावस्या और पूर्णिमा पर पवित्र नदियों में स्नान का महत्व होता है। यदि आप ऐसा नहीं कर पा रहे हैं तो इस स्थिति में घर पर बैठकर ही नहाने के पानी में कुछ बूंदे नर्मदा या गंगा जल की जाल कर स्नान किया जा सकता है।
स्नान करते समय बताए गए स्नान के मंत्र का जाप करना चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति के पाप धुल जाते हैं।