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Morena News: मुरैना में फर्जी रजिस्ट्रार ऑफिस का भंडाफोड़, 10 साल के बाद हुआ खुलासा

Morena News: मुरैना में फर्जी रजिस्ट्रार ऑफिस का भंडाफोड़, 10 साल के बाद खुलासा हुआ। रजिस्ट्रियों के बंच और रजिस्टरों को चुरा कर लिये गए थे।

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Bansal news
Morena News: मुरैना में फर्जी रजिस्ट्रार ऑफिस का भंडाफोड़, 10 साल के बाद हुआ खुलासा

Morena News: मुरैना में एक फर्जी रजिस्टार ऑफिस का भंडाफोड़ हुआ है। जो कि पिछले 10 साल से चल रहा था। 2017 में हुई इसकी शुरूआत असल रजिस्ट्रार कार्यालय में हुई चोरी से हुई थी।

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रजिस्ट्रार ऑफिस से चोरी करके रजिस्ट्री की डुप्लीकेट कॉपी बनाकर प्रॉपर्टी के सौदे कर फर्जी रजिस्ट्री की जाती थी।

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इस फर्जी ऑफिस का भंडाफोड़ तो तब हुआ, जब शहर के ‎ओमप्रकाश वैश्य जो कि हनुमान चौराहा के निवासी है।

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जिनकी ‎जमीन को आरोपियों ने ऊषा परमार जो वनखंडी रोड की निवासी हैं, को 5 लाख 80 हजार ‎रुपए में बेच दिया था और इसका‎ नामांतरण भी करा दिया था। इसकी शिकायत उन्होंने तहसीलदार से की।

बता दें कि 11 जनवरी को पुलिस ने आरोपी भूपेंद्र भदौरिया को गिरफ्तार किया है। अदालत ने शुक्रवार के दिन आरोपी को 16 जनवरी तक पुलिस रिमांड पर दिया है।

इस गैंग का मास्टरमाइंड लक्ष्मी‎ कुलश्रेष्ठ उर्फ संजू अभी फरार है। संजू पर यह भी आरोप है, कि 2017 में रजिस्ट्रार ऑफिस में उसने ही चोरी करके रजिस्ट्री की डुप्लीकेट कॉपी बनाकर प्रॉपर्टी के सौदे कर रजिस्ट्री किया करते थे।

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कम कीमत पर करते थे रजिस्ट्री

मुरैना (Morena News) पुलिस ने जब मामले की जांच की तो अब तक ये सामने आया है, कि संजू और भूपेंद्र मिलकर ‎ऐसे लोगों की तलाश करते थे,  जो कम ‎कीमत की जमीन खरीदना चाहते हों।

तो वहीं संजु मुरैना शहर के ऐसे लोग जो बाहर चले गए हैं उनकी जमीन ‎की रजिस्ट्री कम रकम में कर देता‎ था।

ये लोग ऐसे लोगों की तलाश में रहते थे जो जमीन मालिक के विरोधी हों उनसे संपर्क कर उनके नाम कम रकम में रजिस्ट्री कर देते थे।

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इन लोगों को ऐसे लोगों की भी तलाश रहती थी, जिनका किसी प्रॉपर्टी मालिक से झगड़ा चल रहा हो मामला विवादित हो।

फर्जीवाड़े का यह ऑफिस भूपेंद्र के दीक्षित गली, गोपालपुरा स्थित मकान में किराए से कमरा लेकर चलाया जा रहा था। जबकि, गोपालपुरा में ही संजू का खुद का मकान भी है।

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ऐसे किया जाता था फर्जीवाड़ा

संजू के पास चुराई गई रजिस्ट्रियां थीं। जिनके जमीन/मालिकों के विरोधियों और विवादित लोगों से उसने संपर्क करना शुरू किया।

विरोधियों को बताता था, कि अगर वे चाहें तो जमीन/मकान की रजिस्ट्री करवाकर हथिया सकते हैं। इलकी सहमति बनने पर आगे की प्रोसेस शुरू करता।

स्टांप वेंडरों से ‎बहुत पुराने स्टांप पेपर खरीदतक रजिस्ट्रार के फर्जी हस्ताक्षर और पदनाम की सील लगाई जाती। प्रॉपर्टी बेचने वाले की फर्जी फोटो लगाया जाता।

फर्जी तरीके से की गई इस प्रोसेस करने के बाद नई रजिस्ट्री को रजिस्ट्रार कार्यालय के बंच में रख दिया जाता था।

इसके बाद फर्जी तरीके से प्रॉपर्टी खरीदने वाला असल मालिक की प्रॉपर्टी पर यह कहते हुए दावा कर देता था कि रजिस्ट्रार ऑफिस में दिखवा लेते हैं। लेकिन मिलान किए जाने पर ऑफिस में फर्जी रजिस्ट्री निकलती थी।

जो लोग मुरैना (Morena News) जिले से बाहर चले गए थे उनकी प्रॉपर्टी को कम रेट‎ में रजिस्ट्री के आधार पर बेचने का काम भी किया जाता था।‎

जमीन की‎ रजिस्ट्री 2015 से पहले मैन्युअल होती थीं। जिसका कोई ‎ऑनलाइन रिकॉर्ड नहीं होता था।

चौंकाने वाली बात तो ‎यह है, कि फर्जी रजिस्ट्रार ऑफिस को चला ‎रहे यह लोग फर्जी रजिस्ट्रियों को करने में कामयाब होते रहे। आरोपियों के फर्जी कार्यालय से 2009 और ‎2014 के चुराए गए रजिस्टर भी मिले हैं।‎

फर्जीवाड़े रजिस्ट्रार कार्यालय के कुछ कर्मचारी भी मिले हैं। जिनके बारे में पुलिस लगातार पता करने में जुटी हुई है।

दस्तावेजों को लिखता था भाई, निधन के बाद शुरू की जालसाजी

बता दें कि, फर्जीवाड़े की इस गैंग में संजू का बड़ा भाई ‎‎रामवीर जो कि मुरैना ‎‎में दस्तावेजों का लेखक‎ था। जिसके साथ संजू ‎‎ने रजिस्ट्री लिखने का‎ ‎काम सीख लिया था।

लेकिन भाई ‎‎के निधन के बाद संजू ‎‎ने पैसे कमाने के लिए‎ ‎फर्जी रजिस्ट्री तैयार‎‎ करने का काम सीखा। अपना बिजनेस बढ़ाने के लिए उसने रजिस्ट्री का फर्जी ऑफिस खोला।

जब्त की गईं 41 रजिस्ट्रियां खोलेंगी राज

मुरैना के तहसीलदार कुलदीपक दुबे ने बताते हुए कहा, कि जिस कमरे में फर्जी रजिस्ट्रार ऑफिस से 41 रजिस्ट्रियों को जब्त किया गया।

इसके साथ 25 फर्जी पदनाम सीलें बरामद की हैं। 1 टाइपराइटर भी मिला है। साथ ही पुरानी रजिस्ट्री में उपयोग किये जाने वाला मोटा कागज भी बरामद किया है।

ASP डॉ. अरविंद ठाकुर ने बताया, जिस तरीके से ये फर्जीवाड़े के काम को अंजाम दिया जा रहा था,  उससे ऐसा लगता नहीं है, कि इसमें सिर्फ 2 लोग शामिल हों। जांच होने परअन्य लोगों के नाम भी बढ़ेंगे।

कोतवाली थाने के प्रभारी व जांच अधिकारी शिवम चौहान ने कहा, कि फर्जी ऑफिस से जो रजिस्ट्रियां और रजिस्टर बरामद किए हैं,  वह 2017 में पंजीयक कार्यालय से चोरी हुए थे।

इससे यह स्पष्ट होता है कि यह चोरी योजनाबद्ध तरीके से कराई गई थी। जिससे फर्जीवाड़ा किया जा सके।

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