मुजफ्फरपुर। बिहार में सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना में बड़ी गड़बड़ी Fake Old Age Pension सामने आई है। दरअसल, बड़े पैमाने पर गलत उम्र दर्शा कर फर्जी तरीके से करीब 1,88,000 लोग पेंशन का लाभ ले रहे हैं। इसमें मुख्यमंत्री वृद्धजन पेंशन योजना में एक हजार व इंदिरा गांधी वृद्धावस्था पेंशन में 1,87,000 लोग शामिल हैं। समाज कल्याण विभाग द्वारा आधार कार्ड आधारित जीवन प्रमाणपत्र से मिलान करने पर यह मामला पकड़ा गया है।
अब सभी जिलों से इस तरह के मामले सामने आए हैं। मुजफ्फरपुर में 4841 पेंशनर जांच के दायरे में हैं। इनमें कांटी, मुशहरी, साहेबगंज, बंदरा, सकरा, कुढऩी, ढोली, मीनापुर, गायघाट, मोतीपुर, पारू, औराई प्रखंडों के लाभुक हैं।
अब होगी पेंशन वसूली
विभाग अब ऐसे लोगों से पेंशन राशि की Fake Old Age Pension वसूली करेगा और इसकी कवायद भी शुरू कर दी गई है। समाज कल्याण विभाग के निदेशक दयानिधान पांडेय ने संबंधित जिलों के सामाजिक सुरक्षा कोषांग के सहायक निदेशकों को पत्र लिखकर भौतिक सत्यापन कर रिपोर्ट मांगी है।
जिसमें कहा गया है कि, पेंशनधारियों की सूची में मुख्यमंत्री वृद्धजन पेंशन योजना के एक हजार एवं इंदिरा गांधी वृद्धावस्था पेंशन योजना में 1.87 लाख पेंशनधारियों की आयु 60 वर्ष से कम पाई गई है। ऐसे पेंशनरों के आयु संबंधी बायोमेट्रिक या भौतिक सत्यापन के बाद सही पाए जाने पर ही भुगतान के लिए लॉक किया जाएगा। एवम् फर्जी तरीके से Fake Old Age Pension पेंशन लेने पर विभाग के निर्देशानुसार राशि की वसूली की जाएगी।
डीबीटी सिस्टम लागू होने से सामने आया मामला
बता दें कि, समाज कल्याण विभाग द्वारा डीबीटी (प्रत्यक्ष हस्तांतरित लाभ) सिस्टम से पेंशनरों के बैंक खाते में राशि भेजने की शुरुआत की गई। Fake Old Age Pension इसके लागू होने के बाद हर वर्ष पेंशनरों का आधार आधारित जीवन प्रमाणपत्र जमा करना होता है।
वहीं, विभाग की मानें तो पहले डीबीटी सिस्टम से वोटर कार्ड के आधार पर ही पेंशन स्वीकृत होते थे। उसमें उम्र छिपा कर पेंशन का लाभ लिया गया। ऐसे लोगों का जब आधार आधारित जीवन प्रमाणपत्र सत्यापित कराया गया तो यह मामला सामने आया।