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Gwalior Fake Gold Loan Case: मध्यप्रदेश के ग्वालियर में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। यहां एक महिला ने बैंक में नकली सोना गिरवी रखकर 2.14 लाख रुपये का गोल्ड लोन ले लिया। खास बात यह है कि बैंक ने सोने की तीन बार जांच भी कराई, लेकिन हर बार रिपोर्ट में सोना असली बताया गया। महिला ने लोन लेने के बाद एक भी किस्त जमा नहीं की, जिसके बाद बैंक को शक हुआ और असली कहानी सामने आई।
कैसे हुआ गोल्ड लोन का फर्जीवाड़ा
ग्वालियर के डीडी नगर स्थित इंडियन ओवरसीज बैंक में महाराजपुरा दीनदयाल नगर निवासी पूनम सिरोलिया ने 30 सितंबर 2020 को गोल्ड लोन के लिए आवेदन दिया था। बैंक ने नियमों के अनुसार सोने की जांच के लिए अपने अनुबंधित ज्वेलर बीपी ज्वेलर्स को बुलाया। ज्वेलर सोमनाथ सोनी ने गहनों की जांच की और उन्हें 22 कैरेट हॉलमार्क वाला असली सोना बताया। इसके बाद बैंक ने पूनम सिरोलिया को ₹2,14,800 का लोन स्वीकृत कर दिया।
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किस्त नहीं भरी तो खुला मामला
लोन स्वीकृत होने के बाद पूनम सिरोलिया ने एक भी किस्त नहीं भरी। बैंक ने बार-बार नोटिस जारी किए, लेकिन महिला ने कोई जवाब नहीं दिया।।बैंक ने जब लोन की वसूली प्रक्रिया शुरू की और गिरवी रखे सोने की दोबारा जांच कराई तो खुलासा हुआ कि सोना नकली है।
जांच में सामने आया कि गहनों पर ऊपर से 22 कैरेट सोने की परत चढ़ाई गई थी, जबकि वास्तविक गुणवत्ता 16 कैरेट से भी कम थी। इस खुलासे के बाद बैंक ने तुरंत पुलिस से शिकायत की।लेकिन पुलिस ने कार्रवाई करने में टालमटोल की।
कोर्ट के आदेश के बाद दर्ज हुई FIR
लंबे समय तक कार्रवाई न होने पर बैंक प्रबंधन ने अदालत का रुख किया। पांच साल की सुनवाई के बाद अदालत ने महाराजपुरा पुलिस को FIR दर्ज करने के आदेश दिए। आदेश मिलते ही पुलिस ने पूनम सिरोलिया, बीपी ज्वेलर्स, और तत्कालीन गोल्ड लोन अधिकारी के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज कर लिया है।
सब इंस्पेक्टर राजीव सिंह सोलंकी को जांच की जिम्मेदारी दी गई है।।उन्होंने बताया कि मामले की बारीकी से जांच की जा रही है। इसमें बैंक के आंतरिक प्रक्रिया और ज्वेलर की भूमिका को भी जांचा जा रहा है।”
यह मामला क्यों है खास?
यह मामला सिर्फ एक धोखाधड़ी नहीं, बल्कि बैंकिंग सिस्टम में जांच की खामियों को उजागर करता है।।तीन बार जांच होने के बावजूद सोने की असलियत छिपी रही, जो बैंकिंग प्रक्रियाओं की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े करती है। इसके अलावा जब पुलिस से मामले की शिकायत की गई तो पुलिस ने भी कोई कार्रवाई नहीं की। वहीं कोर्ट के आदेश के बाद ही एफआईआर दर्ज हुई। जो न्यायिक प्रक्रिया में देरी का भी उदाहरण है।
FAQs
सवाल – कितने लाख की धोखाधड़ी का मामला दर्ज हुआ है?
जवाब – यह 2.14 लाख रुपये की धोखाधड़ी का मामला है। महिला ने नकली सोना गिरवी रखकर बैंक से गोल्ड लोन लिया था। सोने पर 22 कैरेट की परत चढ़ाई गई थी, जिससे ज्वेलर भी धोखा खा गया और बैंक ने लोन स्वीकृत कर दिया।
सवाल – ज्वेलर के खिलाफ एफआईआर क्यों दर्ज हुई?
जवाब – जिस ज्वेलर ने सोने की जांच की थी, उसने तीन बार रिपोर्ट दी कि सोना असली है। बाद में जांच में पता चला कि सोना नकली था। इसलिए बैंक की शिकायत और कोर्ट के आदेश पर ज्वेलर को भी साजिश और लापरवाही में शामिल मानते हुए एफआईआर में आरोपी बनाया गया है।
सवाल –बैंक को धोखाधड़ी का पता कैसे चला?
जवाब – जब पूनम ने एक भी किस्त नहीं भरी, तब बैंक ने लोन की वसूली प्रक्रिया शुरू की। इसके दौरान सोने की दोबारा जांच कराई गई, जिसमें सामने आया कि सोना नकली था। इस पर बैंक ने पुलिस में शिकायत की।
सवाल –अब तक इस मामले में क्या कार्रवाई हुई है?
जवाब – पुलिस ने पहले कार्रवाई नहीं की, इसलिए बैंक प्रबंधन को कोर्ट जाना पड़ा। अदालत ने आदेश जारी करते हुए पूनम सिरोलिया, बीपी ज्वेलर्स और बैंक अधिकारी के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज करने को कहा। फिलहाल मामला सब इंस्पेक्टर राजीव सिंह सोलंकी की निगरानी में जांचाधीन है।
- यह मामला दिखाता है कि कैसे तकनीकी और मानवीय लापरवाही के चलते बैंक भी धोखाधड़ी का शिकार हो सकते हैं।
- तीन बार जांच होने के बावजूद नकली सोना असली माना गया, जो गोल्ड लोन सत्यापन प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
- अब पुलिस जांच से यह साफ होगा कि इस फर्जीवाड़े में महिला अकेली थी या बैंक और ज्वेलर्स की मिलीभगत भी इसमें शामिल थी।
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