Fake Disability Certificate: छत्तीसगढ़ में भी ट्रेनी IAS पूजा खेडकर जैसा मामला सामने आया है. छत्तीसगढ़ दिव्यांग सेवा संघ ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आरोप लगाया है कि प्रदेश में फर्जी दिव्यांगता सर्टिफिकेट बनाकर 21 लोग नौकरी कर रहे हैं.
21 लोग फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र लगाकर कर रहे नौकरी
दिव्यांग संघ के प्रदेश अध्यक्ष बोहित राम चन्द्राकर ने मीडिया को बताया कि वर्तमान में पीएससी से सलेक्ट होकर 7 डिप्टी कलेक्टर, 3 नायब तहसीलदार, 3 लेखा अधिकारी, 3 पशु चिकित्सक, 2 सहकारिता निरीक्षक सहित 21 लोग फर्जी दिव्यांग प्रमाण-पत्र लगाकर सरकारी नौकरी कर रहे हैं.
संघ ने आरोप लगाते हुए कहा कि, इसका सरगना गुलाब सिंह राजपूत ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी लोरमी, डॉ. एम. के. राय नाक-कान-गला रोग विशेषज्ञ मुंगेली और डॉ. प्रमोद महाजन वर्तमान संयुक्त संचालक स्वास्थ्य संभाग बिलासपुर है. इन्हें बर्खास्त कर जेल भेजने की मांग की है.
50 हजार से 1 लाख रुपए तक बन रहे फर्जी प्रमाण पत्र
प्रदेश में फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र बनाने के लिए बहुत सारे गैंग सक्रिय है. 50 हजार से लेकर 1 लाख रुपए तक में फर्जी प्रमाण पत्र बनवाए जा रहे हैं. कुछ मामलें तो डॉक्टरों या स्टॉफ की जानकारी में होती है, लेकिन ज्यादातर मामले में प्रमाण-पत्र बनवाते समय अन्य वास्तविक दिव्यांग को पैसा देकर खुद की जगह पेश कर दिया जाता है. जिसके चलते डॉक्टर प्रमाण पत्र जारी देते हैं. इसके कारण सरकारी नौकरी में वास्तविक दिव्यांग वंचित रह जाते हैं.
छत्तीसगढ़ दिव्यांग सेवा संघ ने 200 लोगों के खिलाफ शिकायत की थी, लेकिन केवल 3 सरकारी कर्मचारियों का राज्य मेडिकल से परीक्षण हुआ है. जिसमें तीनों दिव्यांग फर्जी साबित हुए हैं. इस मामले में महासमुंद कृषि सहायक संचालक रिचा दुबे बर्खास्त हो चुकी है. लेकिन विभाग ने दुबे के खिलाफ अब तक FIR दर्ज नहीं कराया है.
इस जिले में सबसे ज्यादा फर्जी सर्टिफिकेट
वहीं, बताया गया कि सत्येन्द्र सिंह चंदेल व्याख्याता जिला जांजगीर और अक्षय सिंह राजपूत व्याख्याता जिला मुंगेली के खिलाफ भी किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की गई. सभी विभाग ने दिव्यांग कोटे से नौकरी करने वालों को परीक्षण कराने पत्र भेजा है.
दिव्यांग संघ के मुताबिक, सबसे ज्यादा फर्जी सर्टिफिकेट मुंगेली जिले के लोरमी विकासखंड के 6 से 7 गांव में बनाए गए हैं. यहां लगभग 200 लोग श्रवण बाधित कान के फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र बनवाने के बाद सरकारी नौकरी कर रहे हैं.
संघ ने कहा कि, इन गांवों में ऐसी कौन सी महामारी है कि मां-बाप और बच्चों के साथ बहू भी श्रवण बाधित हो जाती हैं. सघ ने सारधा, लोरमी, सुकली, झाफल, फुलझर, विचारपुर, बोडतरा गांव के लोगों के बने सभी दिव्यांग प्रमाण-पत्र की जांच कराने की मांग की है.
दिव्यांग सेवा संघ ने आंदोलन की दी है चेतावनी
संघ ने बताया कि उन्होंने 2 साल पहले उद्यान विभाग के 11 ग्रामीण उद्यान विस्तार अधिकारी, कृषि विभाग के 52 ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी, मुंगेली जिले के 39 अधिकारी-कर्मचारी, लोक निर्माण विभाग के करीब 15 सब इंजीनियर, जल संसाधन विभाग के करीब 10 सब इंजीनियर के फर्जी दिव्यांग होने की शिकायत की थी. लेकिन अब तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई.
छत्तीसगढ़ दिव्यांग सेवा संघ ने 15 दिन में मांग पूरा नहीं होने पर आंदोलन की चेतावनी दी है. प्रदेश के दिव्यांग 21 अगस्त को रायपुर में आंदोलन कर सीएम हाउस तक पैदल मार्च करेंगे. अगर धरना प्रदर्शन में कोई अप्रिय घटना होती है, तो इसकी जिम्मेदारी सरकार और प्रशासन की होगी.
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