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FACTS: आज के वैज्ञानिक दौर में सारी सुविधाएं आसानी से मिल जाती है और इसका पूरा श्रेय उन महान वैज्ञानिकों को जाता है जिनकी बदौलत हम इस सुविधा का लाभ ले पा रहे है। इसी विज्ञान की देन है ATM, जिसके ज़रिये बैंक की लंबी लाइनों और पैसों के लिए घंटों का इंतज़ार खत्म हो गया। आपने इस मशीन से पैसे कभी न कभी निकाले ही होंगे तो आपने एक बात नोटिस किया होगा कि ATM का पिन नंबर 4 अंक का ही होता है। लेकिन, क्या आपको पता है ATM का पिन 4 अंकों का ही क्यों होता है । आइए जानते है।
आपको बता दें कि ATM की खोज 1969 में एक स्कॉटिश वैज्ञानिक ने की थी, जिनका नाम जॉन एड्रियन शेफर्ड बैरन (John Shepherd-Barron) था। आपको जान ताजूब होगा कि इस वैज्ञानिक का जन्म भारत के ही शिलॉन्ग शहर में हुआ था।
4 अंकों का ही पिन क्यों?
दरअसल, मशीन बनाने के शुरूआती दौर में शेफर्ड बैरन ने पासवर्ड को स्ट्रॉन्ग करने के लिए 6 अंकों का पिन सेट कर रखा था। लेकिन उनकी पत्नी को 6 अंकों वाला पासवर्ड याद नहीं रह पाता था। तब जाकर शेफर्ड बैरन को समझ आया कि इंसानी दिमाग 6 अंकों को बजाए 4 अंकों का पिन आसानी से याद रख सकता है। हालांकि वो जानते थे कि इससे पासवर्ड मजबूत नहीं रह जाएगा, क्योंकि 4 अंकों के बजाए 6 अंकों के पिन को हैक करना मुश्किल है। लेकिन ये जानते हुए भी, उन्होंने लोगों के याद करने की सहूलियत को ध्यान में रखते हुए ATM का पिन 4 अंकों का ही रखा।
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