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हाइलाइट्स
- न्यूयॉर्क में UNGA में विदेश मंत्री जयशंकर का संबोधन।
- कहा- भारत का पड़ोसी आतंकवाद का ग्लोबल सेंटर।
- वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर पेश किया भारत का रुख।
External Affairs Minister S Jaishankar UNGA Speech: न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में भारत की प्रतिध्वनि गूंज उठी, जब विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मंच से विश्व को उसका संदेश दिया। इस बार उनका फोकस रहा आतंकवाद, सुरक्षा परिषद सुधार और वैश्विक चुनौतियों से निपटने में भारत की भूमिका पर। उन्होंने स्पष्ट कहा कि भारत न केवल जिम्मेदार राष्ट्र है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देने का इच्छुक साझेदार भी है।
न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के 80वें सत्र में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर भारत का रुख पेश किया। उन्होंने सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि विश्व चुनौतियों का सामना मिलकर करना होगा। उन्होंने साथ ही भारत की प्राथमिकताओं सतत विकास, जलवायु कार्रवाई, खाद्य सुरक्षा और व्यापार संतुलन पर जोर दिया।
आतंकवाद के लिए पाकिस्तान पर बोला हमला
शनिवार को न्यूयॉर्क में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में पाकिस्तान को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि वहां आतंकवाद "औद्योगिक स्तर" पर संचालित हो रहा है। उन्होंने पहलगाम आतंकी हमले का जिक्र करते हुए पाकिस्तान की भूमिका पर गंभीर सवाल उठाए और कहा कि ऐसे हमलों के पीछे संगठित आतंकवादी तंत्र काम करता है। उन्होंने आतंकवाद के वित्तपोषण और आतंकियों के सार्वजनिक महिमामंडन पर भी कड़ी आपत्ति जताई और इसे अंतरराष्ट्रीय शांति के लिए खतरा बताया।
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विदेश मंत्री जयशंकर के संबोधन की अहम बातें...
- संयुक्त राष्ट्र महासभा के 80वें सत्र को संबोधित करते हुए एस. जयशंकर ने कहा, "सुरक्षा परिषद की स्थायी और अस्थायी सदस्यता दोनों का विस्तार होना चाहिए, एक सुधारित परिषद वास्तव में प्रतिनिधित्वपूर्ण होनी चाहिए, भारत बड़े जिम्मेदारियों को निभाने के लिए तैयार है"
- पाकिस्तान पर कड़ा हमला करते हुए विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि "पाकिस्तान में आतंकवादी ठिकाने औद्योगिक पैमाने पर काम कर रहे हैं, आतंकवादियों की सार्वजनिक रूप से प्रशंसा की जाती है, और आतंकवाद के वित्तपोषण को रोकना आवश्यक है।
- उन्होंने आगे कहा कि "उथल-पुथल भरे समय में संकट के क्षणों में आगे बढ़ना आवश्यक है, इस मामले में भारत विशेष रूप से अपने आस-पास के क्षेत्रों में तत्पर रहा है, चाहे वित्त, खाद्य सामग्री, उर्वरक या ईंधन हो, हमने अपने पड़ोसियों की तत्काल जरूरतों का जवाब दिया है।"
- विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अपने संबोधन में इंडिया को "भारत" के रूप में संदर्भित करते हुए कहा, "जब हम अपने अधिकारों का दावा करते हैं, तो हमें खतरों का दृढ़ता से सामना भी करना चाहिए, और आतंकवाद से निपटना विशेष प्राथमिकता है"
- विदेश मंत्री ने कहा कि "एक निष्पक्ष रिपोर्ट कार्ड यह दिखाएगा कि संयुक्त राष्ट्र संकट की स्थिति में है, जब शांति संघर्षों से खतरे में है, जब विकास संसाधनों की कमी के कारण बाधित है, जब आतंकवाद के कारण मानवाधिकारों का उल्लंघन होता है, तब भी संयुक्त राष्ट्र जमे हुए रहता है। जैसे-जैसे इसका आम सहमति बनाने का सामर्थ्य घटता है, बहुपक्षवाद में विश्वास भी कम होता है"
- संयुक्त राष्ट्र महासभा में एस. जयशंकर ने कहा कि भारत "टैरिफ अस्थिरता और अनिश्चित बाजार पहुंच" देख रहा है, यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीतियां लागू हैं। "संयुक्त राष्ट्र की स्थापना के बाद इतिहास में उभरी ताकतों ने इस संस्था को आगे बढ़ाया." उन्होंने बताया कि जैसे-जैसे उपनिवेशवाद का अंत हुआ, यूएन की सदस्यता चौगुनी हो गई, इसका दायरा बढ़ा, और विकास, जलवायु परिवर्तन, व्यापार, खाद्य और स्वास्थ्य जैसी नई प्राथमिकताएं सामने आईं।
- विदेश मंत्री ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की स्थापना के बाद से इतिहास द्वारा उत्पन्न बलों ने इस संस्था को आगे बढ़ाया, जैसे-जैसे उपनिवेशवाद समाप्त हुआ, दुनिया अपने प्राकृतिक विविधता की ओर लौटने लगी. संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों की संख्या चार गुना बढ़ गई और संगठन की भूमिका और दायरा महत्वपूर्ण रूप से बढ़ गया"
- विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि भारत ने स्वतंत्रता के बाद से ही इस चुनौती का सामना किया है. भारत का पड़ोसी देश वैश्विक आतंकवाद का केंद्र रहा है. दशकों से अंतरराष्ट्रीय बड़े आतंकी हमलों का निशान उसी देश तक जाता है, संयुक्त राष्ट्र की आतंकवादियों की सूची में उसके कई नागरिक शामिल हैं, इसका ताजा उदाहरण अप्रैल 2025 में पहलगाम में निर्दोष लोगों की हत्या है। भारत ने अपने लोगों की रक्षा के लिए अपने अधिकार का प्रयोग किया और इन हमलों के आयोजकों और अपराधियों को न्याय के सामने लाया।
- उन्होंने आगे कहा कि आतंकवाद का मुकाबला करना बहुत जरूरी है क्योंकि यह जातिवाद, हिंसा, असहिष्णुता और डर को जोड़ता है, यह एक साझा खतरा है, इसलिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग और मजबूत होना चाहिए. जब कोई देश खुलकर आतंकवाद को राज्य नीति घोषित करता है, जब आतंकी बड़े पैमाने पर काम करते हैं और उन्हें सार्वजनिक रूप से महिमामंडित किया जाता है, तो ऐसे कृत्यों की स्पष्ट रूप से निंदा होनी चाहिए।
- उन्होंने कहा, "वैश्वीकरण के युग में, इसका एजेंडा और भी विकसित हुआ, विकास संबंधी लक्ष्य केंद्र में आए, जबकि जलवायु परिवर्तन एक साझा प्राथमिकता के रूप में उभरा, व्यापार को अधिक महत्व मिला, जबकि भोजन और स्वास्थ्य तक पहुंच को वैश्विक कल्याण के लिए अनिवार्य माना जाने लगा"
- विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा, "भारत के लोगों की ओर से नमस्कार, हम इस अद्वितीय संस्था की स्थापना के आठ दशक बाद यहां एकत्रित हुए हैं, संयुक्त राष्ट्र चार्टर हमसे न केवल युद्ध रोकने, बल्कि शांति स्थापित करने का आह्वान करता है, न केवल अधिकारों की रक्षा करने, बल्कि प्रत्येक मानव की गरिमा को बनाए रखने का भी आह्वान करता है।
भारत-अमेरिका साझेदारी पर हुआ फोकस
संयुक्त राष्ट्र महासभा के 80वें सत्र में भाग लेने पहुंचे विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने न्यूयॉर्क में कई अहम द्विपक्षीय बैठकों के साथ भारत की विदेश नीति को मजबूती से प्रस्तुत किया। उन्होंने अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो से मुलाकात कर भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने पर चर्चा की।
इसके अलावा, उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका के नए राजदूत-नामित सर्जियो गोर से भी मुलाकात की, जिसमें द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने, वीजा संबंधी मुद्दों और व्यापारिक संबंधों को बेहतर बनाने पर विचार-विमर्श हुआ।
संयुक्त राष्ट्र में प्रमुख मुद्दों पर चर्चा
संयुक्त राष्ट्र में अपने संबोधन के दौरान विदेश मंत्री जयशंकर ने भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता, नई वीजा शुल्क नीति से उपजे संकट, और भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव जैसे संवेदनशील मुद्दों पर भी खुलकर बात रखने की तैयारी जताई। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि वैश्विक मंच पर भारत की प्राथमिकताओं में आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन और विकासशील देशों की चुनौतियां भी प्रमुख रहेंगी।
भारत को UNSC में स्थायी सदस्यता के लिए मिला समर्थन
भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में स्थायी सदस्यता दिलाने के प्रयासों को उस समय और बल मिला जब रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने भारत और ब्राजील के दावों का समर्थन करते हुए कहा कि ये दोनों देश सुरक्षा परिषद में विस्तार और सुधार के लिए मजबूत उम्मीदवार हैं।
लावरोव ने यह भी आरोप लगाया कि पश्चिमी देश ईरान पर प्रतिबंधों को फिर से लागू करने का प्रयास कर रहे हैं, जिसे उन्होंने "अवैध और अंतरराष्ट्रीय कानूनों के विरुद्ध" करार दिया। उन्होंने कहा कि यह रुख 2015 के परमाणु समझौते का उल्लंघन है और इससे बहुपक्षीय विश्व व्यवस्था कमजोर होती है।
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