नई दिल्ली। EPFO Higher Pension ऊंची पेंशन का विकल्प चुनने वाले अंशधारकों के मूल वेतन के 1.16 प्रतिशत के अतिरिक्त योगदान का प्रबंधन कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) द्वारा संचालित सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में नियोक्ताओं के योगदान से किया जाएगा।
जानिए श्रम मंत्रालय का बयान
श्रम मंत्रालय ने बुधवार शाम जारी बयान में कहा, ‘‘भविष्य निधि में नियोक्ताओं के कुल 12 प्रतिशत योगदान में से ही 1.16 प्रतिशत अतिरिक्त अंशदान लेने का फैसला किया गया है।’’ मंत्रालय ने कहा कि ईपीएफ और एमपी अधिनियम की भावना के साथ-साथ संहिता (सामाजिक सुरक्षा पर संहिता) कर्मचारियों से पेंशन कोष में योगदान की परिकल्पना नहीं करती है। वर्तमान में सरकार कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस) में योगदान के लिए सब्सिडी के रूप में 15,000 रुपये तक के मूल वेतन का 1.16 प्रतिशत भुगतान करती है।ईपीएफओ द्वारा संचालित सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में नियोक्ता मूल वेतन का 12 प्रतिशत योगदान करते हैं।
EPFO informs that employer’s contribution for members who signed up for higher pension will be 9.49%, up from the existing 8.33%.
Since the change is applicable retrospectively, the employees kitte will also be affected as arrears since 2014.#ccgeek #creditcard pic.twitter.com/xmYwFr2eQg
— NebulaWorld (@nebula_world) May 4, 2023
जाने नियोक्ताओं ने क्या कहा
नियोक्ताओं के 12 प्रतिशत के योगदान में से 8.33 प्रतिशत ईपीएस में जाता है और शेष 3.67 प्रतिशत कर्मचारी भविष्य निधि में जमा किया जाता है। अब वे सभी ईपीएफओ सदस्य जो उच्च पेंशन प्राप्त करने के लिए 15,000 रुपये प्रति माह की सीमा से अधिक अपने वास्तविक मूल वेतन पर योगदान करने का विकल्प चुन रहे हैं, उन्हें ईपीएस के लिए इस अतिरिक्त 1.16 प्रतिशत का योगदान नहीं करना होगा। श्रम और रोजगार मंत्रालय ने उपरोक्त (निर्णय) को लागू करते हुए तीन मई, 2023 को दो अधिसूचनाएं जारी की हैं। मंत्रालय ने कहा है कि अधिसूचना जारी किए जाने के साथ ही उच्चतम न्यायालय के चार नवंबर, 2022 के फैसले के सभी निर्देशों का अनुपालन पूरा कर लिया गया है।