Aaj Ka Mudda: छत्तीसगढ़ के सियासी संग्राम में तीसरा दल भी अपनी ताल ठोकेगा। एक ओर सामाजिक संगठनों ने चुनाव लड़ने का एलान कर दिया है तो अब बहुजन समाजवादी पार्टी ने भी अपनी कमर कस ली है। चर्चा ये भी है कि सामाजिक संगठन और बीएसपी, एकजुट होकर चुनावी मैदान में उतर सकते हैं जिनके साथ आने से कांग्रेस और बीजेपी में सियासी टेंशन जरूर बढ़ता दिख रहा है। आज हम इसी पर चर्चा करेंगे।
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बीजेपी और कांग्रेस के साथ अब तीसरे मोर्चों ने भी सियासी कसरत शुरू कर दी है एक ओर जोगी कांग्रेस जहां अपनी सक्रियता दिखा रही है तो अलग-अलग समाज भी इससे दूर नहीं हैं। सर्व आदिवासी समाज और इसाई समाज ने पहले ही चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है तो अब इनकी बसपा के साथ मिलकर चुनावी लड़ाई लड़ने की चर्चा शुरू हो गई है। फिलहाल बसपा सभी 90 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है लेकिन समीकरण सही बैठे तो जल्द ही सर्व आदिवासी समाज और बसपा के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर बात बन सकती है।
बसपा के प्रदेश अध्यक्ष हेमंत पोयम गठबंधन को लेकर बसपा हाईकमान यानी मायावती के फैसला लेने की बात कह रहे हैं तो दिग्गज आदिवासी नेता अरविंद नेताम भी सामाजिक संगठनों के साथ मैदान में उतर सकते हैं।
बसपा ने बीते चुनाव में 2 सीटें बटोरीं थीं तो भानुप्रतापपुर उपचुनाव में सर्व आदिवासी समाज ने भी अपनी मौजूदगी दर्ज कराई.. यही वजह है कि कांग्रेस और बीजेपी से अलग सामाजिक संगठनों की तीसरे मोर्चे के बैनर तले चुनाव लड़ने की तैयारी है। हालांकि, BJP और कांग्रेस खुद को तीसरे मोर्चे से नुकसान नहीं होने का दावा करते नजर आ रहे हैं।
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छत्तीसगढ़ फतह के महामुकाबले में बीजेपी और कांग्रेस के कुछ भी दावे हों, लेकिन तीसरे मोर्चे की एंट्री से सियासी समीकरण बदल सकते हैं। तीसरे मोर्चे की चुनाव में एंट्री से नतीजों पर क्या असर होगा यह तो वक्त बताएगा, लेकिन फिलहाल इस संभावित गठजोड़ ने सियासी दलों की चिंता जरूर बढ़ा दी है।