Engineers Day 2021: 15 सितंबर को क्यों मनाया जाता है इंजीनियर्स डे, जानें इसके पीछे का इतिहास

Engineers Day 2021: 15 सितंबर को क्यों मनाया जाता है इंजीनियर्स डे, जानें इसके पीछे का इतिहास

Engineers Day

नई दिल्ली। देश में हर साल 15 सिंतबर को इंजनियर्स डे (Engineers Day) मनाया जाता है। हालांकि, बहुत कम ही लोगों को जानकारी होगी कि 15 सितंबर को ही इंजीनियर्स डे क्यों मनाया जाता है। बतादें कि, इसी दिन महान सिविल इंजीनियर एम विश्वेश्वरैया का जन्म हुआ था। इनके जन्मदिवस को ही देश में इंजीनियर्स डे के रूप में जाना जाता है। ऐसे में हमें एम विश्वेश्वरैया के बारे में जरूर जानना चाहिए।

सरकार की मदद से इंजीनियरिंग की पढ़ाई

विश्वेश्वरैया का जन्म 15 सिंतबर 1860 मैसूर राज्य के कोलार जिले के चिक्काबल्लापुर तालुक के एक तेलुगु परिवार में हुआ था। उनकी शरूआती पढ़ाई गांव में ही हुई। इसके बाद उन्होंने 1880 में सेंट्रल कॉलेज,बंगलूर से बीए किया। बीए में वे टॉपर थे। यही कारण है कि मैसूर सरकार की मदद से उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूना के साइंस कॉलेज से पूरी की। यहां भी उन्होंने पहला स्थान हासिल किया। टॉपर होने की वजह से उन्हें महाराष्ट्र सरकार ने सहायक इंजीनियर के पद के लिए चुन लिया।

कर्नाटक का भागीरथ कहा जाता है

विश्वेश्वरैया को मैसूर और कर्नाटक में स्थित कृष्णराजसागर बांध सहित कई निर्माण कार्य कराने का श्रेय जाता है। उन्होंने कर्नाटक को एक नई उंचाइयों पर खड़ा कर दिया था। यही कारण है कि उन्हें आज भी कर्नाटक का भागीरथ कहा जाता है। कर्नाटक के बाहर भी उनकी उपलब्धियां कम नहीं है। सिंधु नदी से सुक्कुर कस्बे को पानी की आपूर्ति की योजना हो, ग्वालियर का टिगरी डैम हो, 1952 में पटना में गंगा नदी पर राजेंद्र सेतु के निर्माण की योजना हो, उन्होंने हर जगह अपने विशेषज्ञता का लोहा मनवाया। यहां तक कि विदेशों में भी जैसे- अदन, मिस्र, कनाडा,अमेरिका और रूस में भी उन्होंने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।

कई चीजों के लिए उन्हें याद किया जाता है

विश्वेश्वरैया को देश कई चीजों के लिए याद करता है। खासकर उन्हें लंबी और सेहतमंद उम्र तक जीवित रहने के लिए भी जाना जाता है। बतादें कि उन्होंने 92 साल की उम्र में पटना के राजेंद्र सेतु पुल का निर्माण करवाया था। उन्हें 1955 में भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया। जब वे सौ वर्ष के हुए तब उनके सम्मान में एक डाक टिकट जारी किया गया। हालांकि 101 वर्ष की उम्र मे 14 अप्रैल 1962 को उनका देहांत हो गया।

Share This

Login

Welcome! Login in to your account

Remember me Lost your password?

Lost Password