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जबलपुर के दो इंजीनियरिंग छात्रों कमाल: फेक न्यूज रोकने और सोशल मीडिया पर धमकियों पर नजर रखने के लिए बना डाला बह्मास्त्र!

Students Created Cyber Software: मध्यप्रदेश के जबलपुर के दो इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स ने सॉफ्टवेयर तैयार किए हैं। ये इंटरनेट और सोशल मीडिया पर तेजी से फैल रहे फेक न्यूज और भ्रामक (Misleading) वीडियो मैसेज को रोकने में 97 फीसदी से ज्यादा कारगार हैं।

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BP Shrivastava
Students Created Cyber Software

Students Created Cyber Software

हाइलाइट्स

  • जबलपुर के इंजीनियरिंग छात्रों ने बनाया काम का एप्लिकेशन
  • फेक न्यूज वे भ्रामक वीडियो मैसेज को करेगा ट्रैस, अलर्ट
  • जांच में 97% से ज्यादा सटीक निकला
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Students Created Cyber Software: मध्यप्रदेश के जबलपुर के दो इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स ने कमाल के एप्लिकेशन तैयार किए हैं। ये इंटरनेट और सोशल मीडिया पर तेजी से फैल रहे फेक न्यूज और भ्रामक (Misleading) वीडियो मैसेज को रोकने में 97 फीसदी से ज्यादा कारगार साबित हुए हैं। एक तरह से इन छात्रों ने नया तकनीकी समाधान खोजा है।

ज्ञान गंगा इंस्टीट्यूट के छात्र हर्ष कुमार और शासकीय जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्र आयुष ने दो अलग-अलग सिस्टम तैयार किए हैं। जो सोशल मीडिया पर फैल रही अफवाहों, धमकियों और आपत्तिजनक कंटेंट को पहचानकर तत्काल अलर्ट भेजते हैं।

ज्ञान गंगा के हर्ष ने बनाया ‘अस्त्र AI’

ज्ञान गंगा इंस्टीट्यूट के हर्ष कुमार ने ‘अस्त्र AI’ नाम का एक एप्लिकेशन (Application) तैयार किया है। यह एप्लिकेशन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स (Social Media Platforms) पर वायरल हो रही देश विरोधी और धार्मिक रूप से आपत्तिजनक पोस्ट्स को शुरुआती स्तर पर ही पहचान लेता है और तुरंत साइबर क्राइम सेल को सूचित (Information) करता है।

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[caption id="attachment_898152" align="alignnone" width="910"]publive-image जबलपुर के इंजीनियरिंग छात्र हर्ष कुमार और आयुष।[/caption]

कैसे काम करता है ‘अस्त्र AI’

हर्ष ने बताया कि यह प्रोजेक्ट उन्हें साइबर सेल से मिली एक चुनौती के तहत मिला था। उनका दावा है कि अब तक ऐसा कोई टूल नहीं था, जो इतनी तेजी से वायरल कंटेंट को पकड़ सके। यह एप्लिकेशन ऑटोमैटिकली डिटेक्ट करता है और तुरंत रिपोर्ट करता है।

AI मॉडल से तय होता मैसेज कितना खतरनाक

शासकीय जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्र आयुष ने ‘हॉक’ (Hawk) नाम की वेबसाइट विकसित की है, जो ट्विटर, टेलीग्राम और ई-मेल जैसे प्लेटफॉर्म्स पर आने वाले हिंसा या धमकी से जुड़े मैसेजेस को ट्रैक करती है। शुरुआत में वेबसाइट इन मैसेजेस को AI मॉडल के जरिए जांचती है और फिर तय करती है कि संदेश खतरनाक है या नहीं।

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आयुष ने बताया कि यदि कोई यूजर बार-बार झूठी खबरें या भड़काऊ मैसेज फैलाता है, तो सिस्टम उसे फ्लैग कर देता है, जिससे उसकी विश्वसनीयता कम हो जाती है। किसी गंभीर धमकी की स्थिति में ‘हॉक’ सीधे पुलिस या सुरक्षा एजेंसियों को अलर्ट मैसेज भेजता है।

'छात्रों ने टेक्नोलॉजी का बेहतर उपयोग किया'

[caption id="attachment_898155" align="alignnone" width="503"]publive-image जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज की AI विभाग प्रमुख डॉ. आज्ञा मिश्रा।[/caption]

जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज की AI विभाग प्रमुख डॉ. आज्ञा मिश्रा ने इन दोनों छात्रों ने शानदार प्रयास किया है। इनके द्वारा तैयार एप्लिकेशन तकनीकें समस्या नहीं, समाधान बनकर सामने आई हैं। छात्रों ने टेक्नोलॉजी का बेहतर उपयोग किया है।

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जांच में 97% से ज्यादा सटीक निकला

इन सॉफ्टवेयर्स का जबलपुर साइबर सेल ने परीक्षण किया, जहां सभी को भारत विरोधी टिप्पणियां पोस्ट करने के लिए कहा गया और सिस्टम उन्हें लाइव पहचान लेता है। अब तक 100 से ज्यादा पोस्ट की पहचान हो चुकी है। इसकी सटीकता अभी 97.5% है। यह केवल सार्वजनिक डेटा का उपयोग करता है।

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