हाइलाइट्स
-
एलन मस्क की कंपनी न्यूरालिंक ने इंसानी दिमाग में लगाई चिप
-
मानव रोगियों के लिए होगी कारगार
-
5 सिक्कों के आकार के बराबर चिप का आकार
-
इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस से जोड़ेगी दिमाग
Neuralink Brain Chip: टेस्ला (Tesla) और एक्सन (X) के मालिक एलन मस्क (Elon Musk) अपनी नई कंपनी न्यूरालिंक (Neuralink) को लेकर एक बार फिर से चर्चाओं में आए हैं। उनके स्टार्टअप ‘न्यूरालिंक’ (Neuralink) ने पहले मानव रोगी में ब्रेन इम्प्लांट किया है।
एलन मस्क ने बीते दिनों में इसकी जानकारी दी और कहा कि उनके न्यूरालिंक स्टार्टअप (Neuralink startup) ने अपने पहले मानव रोगी में ब्रेन इम्प्लांट किया। मस्क ने एक्स पर एक पोस्ट करते हुए लिखा, पहले मानव को न्यूरालिंक से इम्प्लांट प्राप्त हुआ और वह अच्छी तरह से ठीक हो रहा है। उन्होंने लिखा, “प्रारंभिक परिणाम आशाजनक हैं।”
5 सिक्कों के आकार के बराबर की चिप
न्यूरालिंक का कहना है कि उसका मकसद न्यूरोलॉजिकल विकारों से पीड़ित लोगों के जीवन को आसान बनाना है। पिछले साल मई में कंपनी को इंसानों पर टेस्टव की मंजूरी दी गई थी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इंसानी दिमाग में लगाई गई चिप का साइज 5 सिक्कों के आकार के बराबर है।
मस्क ने दिया नाम
मस्क ने न्यूरालिंक के इस पहले प्रोडक्ट को Telepathy नाम दिया है। याद दिला दें कि एलन मस्क ने 2016 में इस स्टार्ट-अप को शुरू किया था, पिछले साल यूएस फूड एण्ड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन से हरी झंडी मिलने के बाद मस्क की इस स्टार्ट-अप कंपनी ने दिमाग में चिप लगाने के लिए प्रतिभागियों की भर्ती प्रक्रिया को शुरू किया था।
इन लोगों के लिए फायदेमंद होगी चिप
इस स्मार्ट टिप को लेकर आने का मकसद ऐसे लोगों की मदद करना है। जो चल नहीं सकते, बात नहीं कर सकते या फिर कह लीजिए कि दिव्यांग हैं। इस चिप के जरिए ऐसे लोगों को बेहतर जीवन देने के मकसद से इस चिप पर काम हो रहा है।
टेक्नोलॉजी के काम का तरीका
एलन मस्क ने पोस्ट में समझाया है कि कैसे चिप इम्प्लांट दिमाग को किसी भी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस से जोड़ती है। मस्क का कहना है कि इम्प्लांट शारीरिक रूप से अक्षम लोगों के लिए उपयोगी हो सकता है। न्यूरोटेक्नोलॉजी कंपनी का लक्ष्य दिमाग और कंप्यूटर के बीच सीधा संचार चैनल बनाना है। जिससे पी़डि़त लोगों की सहायता हो सके।
टेक्नोलॉजी से छेड़छाड़ पड़ न जाए भारी
इस टेक्नोलॉजी के सामने आने के बाद अब हर किसी के दिमाग में सवाल ये उठ रहा है कि क्या टेक्नालॉजी का इस तरह से इस्तेमाल करना सही है। अगर जिस तरह से सोचा है उस तरह से टेक्नोलॉजी काम करने के बजाय रिवर्स एक्शन मोड (विपरीत प्रभाव) में काम करने लगी, तो क्या होगा?
इस स्थिति में बात बिगड़ सकती है। टेक्नोलॉजी के आधुनिक और यूजफुल होने के साथ-साथ अब इसके दूसरे बड़े खतरों को नकारा नहीं जा सकता।