Election Results
मेघालय, त्रिपुरा और नागालैंड में गुरुवार को हुई मतगणना में तीनों राज्यों में सरगर्मी रही। सुबह 8 बजे से वोटों की गिनती शुरू हो गई थी। बता दें कि शिलॉंग से खबर मिली है कि नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) के अध्यक्ष और मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड के संगमा ने शाम को कहा कि हम कुछ सीट पीछे है और वह अगले कदम के बारे में फैसला करने से पहले अंतिम परिणाम की प्रतीक्षा करेंगे। पार्टी प्रवक्ता अम्पारीन लिंगदोह ने कहा कि वैसे तो घटक दलों के विषय पर अभी कोई निर्णय नहीं लिया गया है, लेकिन सत्तारूढ़ दल को सत्ता में लौटने के लिए दूसरों से समर्थन मांगना होगा। मतगणनना में एनपीपी ने 16 सीट जीती हैं और वह नौ अन्य सीट पर आगे थी। राज्य में 27 फरवरी को विधानसभा चुनाव हुए थे। यूडीपी ने नौ सीट जीती है और दो पर आगे है। भाजपा चार बजे तक तीन निर्वाचन क्षेत्रों में आगे थी। राज्य की 60 सदस्यीय विधानसभा की 59 सीट पर चुनाव हुए थे। एक निर्वाचन क्षेत्र में उम्मीदवार की मृत्यु हो गई थी। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम अब भी संख्याबल में पीछे हैं और अंतिम परिणाम की प्रतीक्षा कर रहे हैं। उसके बाद हम आगे के रास्ते के बारे में फैसला करेंगे। एक्जिट पोल में मेघालय में त्रिशंकु विधानसभा का अनुमान लगाए जाने के बाद संगमा ने गुवाहाटी में असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा के साथ बैठक की थी।
त्रिपुरा
अगरतला से खबर मिली कि भाजपा-आईपीएफटी गठबंधन ने 60 सदस्यीय त्रिपुरा विधानसभा में 31 सीट जीतकर पूर्वोत्तर राज्य में लगातार दूसरी बार सत्ता में वापसी की है। निर्वाचन आयोग की वेबसाइट के मुताबिक, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को 30 सीट मिली हैं, जबकि इंडीजेनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा(आईपीएफटी) को एक सीट मिली है। भाजपा दो और सीट पर बढ़त बनाए हुए है। अब तक 57 सीट के परिणाम घोषित हो चुके हैं। टाउन बोरडोवाली सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार आशीष कुमार साहा को 1257 वोट से हराने वाले निवर्तमान मुख्यमंत्री माणिक साहा ने कहा कि भाजपा की जीत की उम्मीद थी। हम इसका बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। निर्णायक जनादेश से हमारी जिम्मेदारी बढ़ गई है।
महाराष्ट्र उपचुनाव
पुणे से जानकारी मिली कि कांग्रेस उम्मीदवार रवींद्र धंगेकर ने गुरुवार को महाराष्ट्र के कस्बा पेठ उपचुनाव में जीत दर्ज की। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अपने गढ़ पुणे की इस सीट को बरकरार रखने में विफल रही और उसके उम्मीदवार हेमंत रसाने को हार का सामना करना पड़ा। कस्बा पेठ सीट पर भाजपा 28 साल से जीत दर्ज करती आई थी। पुणे से मौजूदा भाजपा सांसद गिरीश बापट ने 2019 तक पांच बार इस सीट का प्रतिनिधित्व किया था। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, कांग्रेस और शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के गठबंधन महा विकास आघाड़ी (एमवीए) के समर्थन वाले उम्मीदवार धंगेकर ने भाजपा के गढ़ में सेंध लगाने में कामयाबी हासिल की। मतगणना के अंतिम दौर के बाद निर्वाचन आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, धंगेकर को 73,194 वोट मिले जबकि रसाने को 62,244 वोट मिले। कस्बा पेठ में कांग्रेस की जीत महत्वपूर्ण है क्योंकि पिछले साल जून में राज्य सरकार बदलने के बाद सत्तारूढ़ भाजपा-एकनाथ शिंदे के नेतृत्व और विरोधी एमवीए के बीच यह पहली सीधी टक्कर थी। नतीजा घोषित होने के बाद धंगेकर ने कहा कि यह जनता की जीत है। जिस दिन मैंने नामांकन पत्र भरा, उसी दिन कस्बा पेठ क्षेत्र की जनता ने मुझे जिताने का फैसला कर लिया था। वहीं, भाजपा उम्मीदवार रसाने ने हार स्वीकार करते हुए कहा कि वह इस बात का मंथन करेंगे कि उनसे कहां और कैसे चूक हुई। कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष मोहन जोशी ने पार्टी और एमवीए की इस ‘ऐतिहासिक’ जीत के लिए कस्बा पेठ के मतदाताओं को बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह उन सभी एमवीए कार्यकर्ताओं की जीत है जिन्होंने इस चुनाव को पूरी एकजुटता के साथ लड़ा। इस चुनाव ने दिखा दिया है कि धन बल कारगर नहीं हो सकता।
पश्चिम बंगाल उपचुनाव
सागरदिघी से जानकारी मिली कि पश्चिम बंगाल की सागरदिघी विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार बायरन विश्वास ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के प्रत्याशी को 22,980 मतों से हरा दिया। इसके साथ ही वह मौजूदा विधानसभा के लिए निर्वाचित होने वाले कांग्रेस के पहले विधायक बन गए हैं। निर्वाचन आयोग की वेबसाइट के अनुसार मतगणना के 16 दौर पूरे होने के बाद वाम समर्थित विश्वास को 87,667 वोट मिले। जबकि टीएमसी के उम्मीदवार देवाशीष बनर्जी को 64,681 और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रत्याशी दिलीप साहा को 25,815 वोट मिले। पिछले साल दिसंबर में राज्य के मंत्री सुब्रत साहा के निधन के बाद इस सीट पर उपचुनाव कराए गए। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी के गृह क्षेत्र मुर्शिदाबाद के तहत आने के कारण इस सीट पर उपचुनाव को उनके लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई के तौर पर देखा जा रहा था।पश्चिम बंगाल में साल 2021 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और वाम मोर्चा का खाता भी नहीं खुल पाया था। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद पहली बार ऐसा हुआ था।