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हाइलाइट्स
- CEC ने वोट चोरी के आरोपों को बताया भ्रामक
- बिहार SIR को पारदर्शी व निष्पक्ष प्रक्रिया बताया
- राजनीतिक दलों की लापरवाही पर जताई चिंता
EC Press Conference: भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने बिहार में चल रहे स्पेशल समरी रिवीजन (SIR) को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि भारत का संविधान हर मतदाता और हर राजनीतिक दल को समान अधिकार देता है।
ऐसे में यदि समय रहते मतदाता सूची से जुड़ी त्रुटियों को साझा नहीं किया जाता, या फिर उम्मीदवार को चुनने के 45 दिनों के भीतर चुनाव याचिका दायर नहीं की जाती, और उसके बाद वोट चोरी जैसे शब्दों का इस्तेमाल करके जनता को गुमराह किया जाता है, तो यह संविधान का अपमान है।
राजनीतिक दलों की भूमिका पर चिंता
मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि यह गंभीर चिंता का विषय है कि राजनीतिक दलों के जिला अध्यक्षों और उनके द्वारा नामित बूथ लेवल एजेंट (BLA) के सत्यापित दस्तावेज और टेस्टिमोनियल या तो राज्य और राष्ट्रीय स्तर के नेताओं तक नहीं पहुंच रहे हैं या फिर उन्हें नजरअंदाज कर भ्रम फैलाने की कोशिश की जा रही है।
पारदर्शिता और जनता का भरोसा
ज्ञानेश कुमार ने साफ किया कि चुनाव आयोग के दरवाजे सभी के लिए हमेशा खुले हैं। उन्होंने कहा कि जमीनी स्तर पर मतदाता, राजनीतिक दल और बूथ लेवल अधिकारी (BLO) पूरी पारदर्शिता से काम कर रहे हैं। वे सत्यापन कर रहे हैं, हस्ताक्षर कर रहे हैं और वीडियो टेस्टिमोनियल भी दे रहे हैं। यह सबूत इस बात का प्रमाण है कि बिहार SIR प्रक्रिया निष्पक्ष और पारदर्शी ढंग से चल रही है।
https://twitter.com/ANI/status/1957017512991670694
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा, "कानून के अनुसार अगर समय रहते मतदाता सूचियों में त्रुटियां साझा न की जाए, अगर मतदाता द्वारा अपने उम्मीदवार को चुनने के 45 दिनों के भीतर उच्च न्यायालय में चुनाव याचिका दायर नहीं की जाए, और फिर वोट चोरी जैसे गलत शब्दों का इस्तेमाल करके जनता को गुमराह किया जाए, तो यह भारत के संविधान का अपमान नहीं तो और क्या है?"
https://twitter.com/AHindinews/status/1957018190585725184
भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने ये भी कहा कि, "यह गंभीर चिंता का विषय है कि राजनीतिक दलों के जिला अध्यक्षों और उनके द्वारा नामित BLA के सत्यापित दस्तावेज और टेस्टेमोनियल या तो उनके अपने राज्य या राष्ट्रीय स्तर के नेताओं तक नहीं पहुंच रहे हैं या फिर जमीनी हकीकत को नजरअंदाज करके भ्रम पैदा करने की कोशिश की जा रही है। सभी हितधारक मिलकर काम करके बिहार के SIR को सफल बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।"
राहुल गांधी ने लगाया था इल्जाम
https://twitter.com/RahulGandhi/status/1957006223380807861
वोट चोरी मामले में राहुल गांधी ने EC पर आरोप लगाते हुआ कहा कि, "गरीब की असली ताक़त उसका वोट है – यही उसका हक़, उसकी आवाज़ और उसकी पहचान है। लेकिन आज उसी ताक़त को छीने जाने की कोशिश हो रही है और SIR के ज़रिए वोट चोरी की साज़िश रची जा रही है। हम वादा करते हैं कि हर कीमत पर इस वोट चोरी को रोकेंगे और जनता की ताक़त की रक्षा करेंगे।
बिहार स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) क्या है?
स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) एक विशेष मतदाता सूची पुनरीक्षण प्रक्रिया है, जिसे आम विधानसभा चुनाव से पहले राष्ट्रीय निर्वाचन आयोग (ECI) द्वारा शुरू किया गया है। विशेष रूप से बिहार में 2003 के बाद पहली बार यह प्रक्रिया 25 जून 2025 से शुरू हुई और इसका उद्देश्य 30 सितंबर 2025 तक अंतिम सत्यापन सूची प्रकाशित करना है ।
प्रक्रिया कैसे संचालित की जा रही है?
इस प्रक्रिया में Booth Level Officers (BLOs) घर-घर जाकर मतदाताओं का सत्यापन करते हैं, पूर्व-भरवाई ऊम्मीदवारी फॉर्म (EF) वितरित करते हैं और दस्तावेज़ों की जाँच करते हैं — जैसे कि जन्म प्रमाण पत्र, माता-पिता की जानकारी समेत अन्य दस्तावेज जो 2003 के बाद पंजीकृत मतदाताओं को जमा करने होते हैं इसके बाद ड्राफ्ट रोल सार्वजनिक किया जाता है, जहां 1.2 लाख से अधिक आपत्तियाँ दर्ज की गई हैं अंतिम रोल प्रकाशित होने के बाद मतदाता जिला मजिस्ट्रेट और CEO के पास अपनी आपत्तियाँ दर्ज करा सकते है।
FAQ's
Q1. बिहार SIR क्या है?
बिहार स्पेशल समरी रिवीजन (SIR) मतदाता सूची को अपडेट करने की विशेष प्रक्रिया है, जिसमें पुराने, मृत या दोहराए गए नाम हटाए जाते हैं और नए पात्र मतदाताओं को जोड़ा जाता है।
Q2. CEC ज्ञानेश कुमार ने वोट चोरी के आरोपों पर क्या कहा?
मुख्य चुनाव आयुक्त ने इन आरोपों को भ्रामक बताया और कहा कि SIR पूरी तरह पारदर्शी व निष्पक्ष तरीके से चल रही है।
Q3. विपक्ष क्यों विरोध कर रहा है?
विपक्ष का आरोप है कि SIR के जरिए बड़ी संख्या में मतदाताओं के नाम गलत तरीके से हटाए जा रहे हैं, जबकि चुनाव आयोग इसे प्रक्रिया का हिस्सा बता रहा है।
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