हाइलाइट्स
- चुनाव कार्य में लगे कर्मचारियों के लिए खुशखबरी।
- बीएलओ और सुपरवाइजर की प्रोत्साहन राशि डबल।
- मध्यप्रदेश के 65 हजार कर्मचारियों को मिलेगा लाभ।
MP BLO and Supervisor Increased Incentive: मध्यप्रदेश के हजारों सरकारी कर्मचारियों के लिए अच्छी खबर है। भारत निर्वाचन आयोग ने बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) और सुपरवाइजर की प्रोत्साहन राशि में बड़ी बढ़ोतरी की है। इस फैसले से प्रदेश के करीब 65 हजार कर्मचारियों को सीधा फायदा मिलेगा।
अब बीएलओ को पहले की तुलना में दोगुना मानदेय मिलेगा। पहले जहां उन्हें सालाना 6 हजार रुपए मिलते थे, वहीं अब यह राशि बढ़कर 12 हजार रुपए हो गई है। इसी तरह, सुपरवाइजर को भी बढ़ा हुआ भत्ता मिलेगा। भारत निर्वाचन आयोग ने इस संबंध में सभी राज्यों के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारियों को निर्देश जारी कर दिए हैं।
एमपी के 65 हजार कर्मचारियों को फायदा
भारत निर्वाचन आयोग ने एक दशक बाद बड़ा फैसला लेते हुए बीएलओ और सुपरवाइजर के मानदेय में बढ़ोतरी की है। अब बीएलओ को सालाना 6 हजार की जगह 12 हजार रुपए और सुपरवाइजर को 12 हजार की बजाय 18 हजार रुपए सालाना मिलेंगे। इसके अलावा, चुनावी विशेष अभियानों (स्पेशल ड्राइव) में भाग लेने वाले बीएलओ को अतिरिक्त 2 हजार रुपए का प्रोत्साहन दिया जाएगा। इस फैसले से एमपी के लगभग 65 हजार बीएलओ और सुपरवाइजर को सीधा लाभ मिलेगा।
मानदेय बढ़ाने का आदेश जारी
भारत निर्वाचन आयोग ने सभी राज्यों के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारियों को BLO और सुपरवाइजर के मानदेय में वृद्धि के निर्देश जारी किए हैं। मध्यप्रदेश में भी इस आदेश को लागू करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
कर्मचारियों को अब मिलेगा दोगुना भत्ता
अब तक BLO को प्रति माह ₹500 यानी सालाना ₹6,000 मिलते थे। नए आदेश के तहत यह राशि बढ़ाकर ₹1,000 प्रति माह कर दी गई है, जिससे सालाना ₹12,000 मिलेंगे। वहीं सुपरवाइजर को पहले सालाना ₹12,000 मिलते थे, जो अब बढ़कर ₹18,000 हो जाएंगे।
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स्पेशल ड्राइव पर अलग प्रोत्साहन
चुनाव के दौरान विशेष ड्राइव में हिस्सा लेने वाले BLO को अतिरिक्त ₹2,000 की प्रोत्साहन राशि भी दी जाएगी, जिससे उनका मनोबल और कार्यक्षमता दोनों बढ़ेगी।
10 साल बाद हुई बढ़ोतरी
गौरतलब है कि BLO और सुपरवाइजर के मानदेय में पिछली बार बदलाव 2015 में किया गया था। लगभग एक दशक बाद यह फैसला लिया गया है, जिससे कर्मचारियों में खुशी की लहर है।
जानें कौन होते हैं बीएलओ, किन्हें मिलती है जिम्मेदारी
बीएलओ यानी Booth Level Officer (मतदान केंद्र स्तर अधिकारी) चुनावी प्रक्रिया का एक अहम हिस्सा होते हैं। ये भारत के निर्वाचन आयोग द्वारा नियुक्त किए जाते हैं ताकि चुनावों की पारदर्शिता और सुचारू संचालन सुनिश्चित किया जा सके। आइए विस्तार से समझते हैं कि बीएलओ कौन होते हैं, किन्हें यह जिम्मेदारी मिलती है, और उनके कार्य क्या होते हैं।
बीएलओ कौन होते हैं?
बीएलओ (Booth Level Officer) वह सरकारी कर्मचारी होते हैं जिन्हें निर्वाचन आयोग एक विशेष मतदान केंद्र क्षेत्र के लिए नियुक्त करता है। वे मतदाता सूची की देखरेख करते हैं और सुनिश्चित करते हैं कि उसमें नाम सही दर्ज हो और समय-समय पर अपडेट होती रहे। बीएलओ वोटर हेल्पलाइन ऐप, सेवा मतदाता पोर्टल जैसे उपायों को अपनाकर निर्वाचक नामावली को त्रुटि-मुक्त और सही बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
किन्हें बीएलओ की जिम्मेदारी मिलती है?
बीएलओ आम तौर पर निम्न सरकारी विभागों के कर्मचारी होते हैं…
- शिक्षक (सरकारी स्कूलों के)
- आंगनवाड़ी कार्यकर्ता
- पटवारी / ग्रामसेवक
- क्लर्क, पंचायत सचिव आदि
ये लोग अपने नियमित कार्यों के साथ-साथ बीएलओ का दायित्व भी निभाते हैं।
बीएलओ के मुख्य कार्य क्या होते हैं?
मतदाता सूची का सत्यापन
- नए मतदाताओं का नाम जोड़ना।
- मृत या डुप्लिकेट मतदाताओं के नाम हटाना।
- गलत जानकारी को सुधारना (जैसे नाम, पता, उम्र, लिंग आदि)
घर-घर जाकर सत्यापन करना
- मतदाता फॉर्मों (जैसे फॉर्म 6, 7, 8) का भौतिक सत्यापन करना।
- मतदाता पहचान पत्र (EPIC) के लिए जरूरी दस्तावेजों की जांच करना।
मतदाताओं को जागरूक करना
- मतदान प्रक्रिया, तिथियों और उनके अधिकारों की जानकारी देना।
- विशेष अभियान चलाकर नई वोटर ID बनवाने में मदद करना।
मतदान केंद्र पर व्यवस्थाएं देखना
- बूथ पर आवश्यक सुविधाओं (जैसे रैंप, पेयजल, प्रकाश) की जानकारी देना।
- मतदाता सूची की प्रति बूथ पर रखना।
निर्वाचन आयोग को रिपोर्ट देना
- समय-समय पर निर्वाचन आयोग को अपने क्षेत्र की स्थिति से अवगत कराना।
बीएलओ चुनावी व्यवस्था की “जड़” होते हैं। वे मतदाता और निर्वाचन आयोग के बीच एक सेतु का काम करते हैं। उनकी जिम्मेदारी होती है कि हर योग्य नागरिक का नाम मतदाता सूची में हो और कोई गलत नाम न जुड़ा हो। पारदर्शी और निष्पक्ष चुनाव में इनकी भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है।
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