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Red Fort : लाल किले पर बुजुर्ग महिला ने ठोका दावा, कोर्ट ने कहा-150 साल से क्या कर रही थीं

Red Fort : लाल किले पर बुजुर्ग महिला ने ठोका दावा, कोर्ट ने कहा-150 साल से क्या कर रही थीं Elderly woman stakes claim on Red Fort, court said she had said for 150 years nkp

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Bansal Digital Desk
Red Fort : लाल किले पर बुजुर्ग महिला ने ठोका दावा, कोर्ट ने कहा-150 साल से क्या कर रही थीं

Red Fort : लाल किले को कौन नहीं जानता। देश के प्रधानमंत्री हरेक साल 15 अगस्त को लाल किले के प्राचीर से झंडा फहराते हैं। इस किले को देश के राष्ट्रीय स्मारकों में गिना जाता है। लेकिन हाल ही में एक महिला ने लाल किले पर अपना मालिकाना हक जाहिर किया था। महिला का कहना था कि लाल किला उनके पुरखों का है। इसको लेकर सुल्ताना बेगम नाम की महिला ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका भी दायर की थी। हालांकि अदालत ने इसे खारिज कर दिया है।

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कौन हैं सुल्ताना बेगम?

बतादें कि 67 साल की सुल्ताना बेगम आखिरी मुगल बादशाह शाह जफर की पौत्र वधू हैं। सुल्ताना बेगम ने अपनी याचिका में कहा था कि 1857 में ढाई सौ एकड़ में उनके पुरखों के बनवाए लाल किले पर ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने जबरन कब्जा कर लिया था और उनके दादा ससुर मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर को गिरफ्तार करके रंगून जेल भेज दिया था। ऐसे में किले पर मालिकाना हक मेरा है और मुझे किला वापस किया जाए।

कोर्ट ने किया खारिज

वहीं इस मामले पर जस्टिस पल्ली ने कहा कि "वैसे तो मेरा इतिहास कमजोर है, लेकिन आप दावा करती हैं कि 1857 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा आपके साथ अन्याय किया गया था तो अधिकार का दावा करने में आपने 150 वर्षों से अधिक की देरी क्यों कर दी? आप इतने वर्षों से क्या कर रही थीं"

5 साल के लिए डालमिया ग्रुप के हाथों में है लाल किला

बतादें कि पर्यटन मंत्रालय ने डालमिया समूह के साथ एक एमओयू किया है जिसके तहत 5 साल तक स्मारक की देखदेख वो करेगा। इतना ही नहीं इसके इर्द-गिर्द आधारभूत ढांचा भी तैयार करेगा। मंत्रालय ने अपने एक बयान में कहा था कि हमने किले को और इसके आस पास के पर्यटक क्षेत्र को विकसित करने के लिए डालमिया समूह के साथ एमओयू किया है। तब विपक्ष ने इसका पूर जोर विरोध किया था और कहा था कि सरकार देश के धरोहरों को बेच रही है।

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नटवरलाल ने दो बार लाल किले को बेचा था

मशहूर ठग नटवरलाल के बारे में तो आप जानते ही होंगे। उसका असली नाम मथिलेश कुमार श्रीवास्तव था। उसने एक नहीं बल्कि दो-दो बार फर्जी सिग्नेचर करके लाल किले को बेच दिया था। नटवरलाल इतना शातिर था कि उसने राष्ट्रपति के फर्जी हस्ताक्षर से एक बार राष्ट्रपति भवन को भी बेच दिया था। लाल किला, राष्ट्रपति भवन, ताज महल और संसद को भी वह बेच चुका था। जब उसने संसद भवन को बेचा था, तब सारे सांसद वहीं उपस्थित थे।

किसी को नहीं छोड़ा

नटवर लाल ने अपने ठगी के खास हुनर से सैकड़ों लोगों को धोखा दिया। इनमें टाटा, बिडला और धीरू भाई अम्बानी जैसे लोग भी शामिल थे। वह इन उद्योगपतियों से समाजसेवी बनकर मिलता था और समाज के कार्यों के लिए मोटा चंदा लेकर गायब हो जाता था। वो खुले तौर पर कहता था कि मुझे अपनी बुद्धि पर इतना भरोसा है कि मुझे कोई नहीं पकड़ सकता है। पुलिस ने उसे 9 बार गिरफ्तार किया और वो हरेक बार पुलिस को चकमा देकर फरार होने में कामयाब रहा।

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