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Ek Din Ka Mukhyamantri
हाइलाइट्स
अजय चंद्राकर का विवादित बयान
बघेल ने बताया अलोकतांत्रिक
सिंहदेव बोले, नहीं चाहिए पद
Ek Din Ka Mukhyamantri : छत्तीसगढ़ की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है, और इस बार वजह बना है भाजपा नेता अजय चंद्राकर का एक बयान, जिसने पूरे प्रदेश की सियासी फिजा को झकझोर कर रख दिया है। चंद्राकर ने तंज कसते हुए कहा कि अगर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता टीएस सिंहदेव को मुख्यमंत्री बनने की इतनी ही इच्छा है, तो उन्हें एक दिन के लिए ही सही, मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की कुर्सी पर बैठा दिया जाए। इस बयान ने जैसे ही हवा पकड़ी, विपक्ष से लेकर खुद भाजपा खेमे में भी हलचल मच गई।
भूपेश बघेल का तीखा हमला
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस बयान को पूरी तरह से "अलोकतांत्रिक" करार दिया। उन्होंने कहा, "किसी को एक दिन के लिए मुख्यमंत्री बना देना क्या कोई मज़ाक है? ये बातें इस ओर इशारा करती हैं कि भाजपा नेता संविधान और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को गंभीरता से नहीं लेते। क्या मुख्यमंत्री की कुर्सी इतनी हल्की हो गई है कि जिसे चाहो, जब चाहो, बिठा दो और हटा दो?"
भूपेश बघेल का यह बयान न केवल भाजपा की मंशा पर सवाल उठाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि छत्तीसगढ़ की राजनीति अब व्यक्तिगत कटाक्षों से होती हुई संवैधानिक गरिमा पर पहुंच गई है।
टीएस सिंहदेव का जवाब
वहीं, जिनके नाम पर पूरी बहस शुरू हुई, यानी पूर्व उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव- उन्होंने भी अजय चंद्राकर की टिप्पणी को "हल्केपन" में कही गई बात बताया। सिंहदेव ने स्पष्ट किया, "मैं कभी एक दिन का मुख्यमंत्री नहीं बनना चाहूंगा। यह कोई हास्य का विषय नहीं है। अगर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय इस्तीफा देते हैं, और अगर अजय चंद्राकर कहेंगे, तो मैं जिम्मेदारी निभाने को तैयार हूं। लेकिन इस तरह की बातों से प्रदेश की राजनीति को हल्का किया जा रहा है।"
टीएस सिंहदेव का यह बयान जहां गंभीरता को दर्शाता है, वहीं उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वे सत्ता के पीछे नहीं, बल्कि ज़िम्मेदारी के प्रति प्रतिबद्ध हैं।
क्या है सियासी मायने ?
अजय चंद्राकर का यह बयान भले ही उन्होंने हंसी-ठिठोली में कहा हो, लेकिन इसके निहितार्थ गहरे हैं। यह न केवल भाजपा के अंदर चल रही अंतर्कलह को उजागर करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि कांग्रेस के नेताओं को लेकर भाजपा कितनी सजग या चिंतित है। विपक्ष के नेताओं पर इस तरह के तंज कसना यह दर्शाता है कि सत्तारूढ़ दल के भीतर अस्थिरता या असंतोष की कुछ आहटें ज़रूर हैं।
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जनता का क्या भरोसा बहाल होगा?
छत्तीसगढ़ की जनता इस पूरी सियासी खींचतान को बड़े गौर से देख रही है। जब नेता संवैधानिक पदों और जिम्मेदारियों का मजाक बनाने लगते हैं, तब जनविश्वास पर भी असर पड़ता है। मुख्यमंत्री की कुर्सी कोई प्रतीक मात्र नहीं है, बल्कि यह लोकतंत्र की सर्वोच्च ज़िम्मेदारी है, जिसे निभाना हर नेता का कर्तव्य होता है।
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