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Eid-ul-Adha 2023: इस दिन मनाई जाएगी बकरीद, जब अल्लाह ने जिब्रील को भेजा, जानें ईद-उल-अजहा का महत्व

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Bansal news
Eid-ul-Adha 2023: इस दिन मनाई जाएगी बकरीद, जब अल्लाह ने जिब्रील को भेजा, जानें ईद-उल-अजहा का महत्व

Eid-ul-Adha 2023: मुसलमानों के सबसे पुराने और बड़े सामाजिक-धार्मिक संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने घोषणा की है कि  ईद-उल-अजहा (Eid-ul-Adha) 29 जून को मनाई जाएगी।

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ईद-उल-अजहा (ईद-उल-अधा) को बकरा ईद या बकरीद के नाम से भी जाना जाता है। इस त्योहार को न केवल भारत में  बल्कि पूरी दुनिया के मुसलमान बड़े खुशी से मनाते  हैं।

बांग्लादेश, पाकिस्तान, जापान, मलेशिया, इंडोनेशिया, कनाडा और सिंगापुर भी इसी दिन बकरीद मनाएंगे। हालांकि इस्लामिक देश सऊदी अरब में 28 जून को बकरीद का त्योहार मनाया जाएगा।

बेटे की कुर्बानी का देखा था सपना

कुरान के अनुसार, पैगंबर इब्राहीम ने अल्लाह की इच्छाओं को पूरा करने के लिए अपने बेटे, इस्माइल का कुर्बानी देने का बार-बार सपना देखा था।

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इब्राहिम ने अपने प्यारे बेटे को इन सपनों के बारे में बताया अल्लाह क्या चाहते है। इस्माईल, जो स्वयं अल्लाह का एक बंदा था, अपने पिता से सहमत हुआ और उससे अल्लाह की इच्छाओं को पूरा करने के लिए कहा।

हालाँकि, शैतान ने इब्राहिम को प्रलोभित करने और उसे कुर्बानी का प्रयास करने से रोकने की कोशिश की। परन्तु इब्राहीम ने उसे पत्थरों से मार कर दूर कर दिया।

अल्लाह ने जिब्रील को भेजा

अल्लाह ने इब्राहिम की पूर्ण समर्पण भावना देखी और कुर्बानी के लिए एक भेड़ लेकर महादूत जिब्रील (एंजेल गेब्रियल) को भेजा।

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जिब्राइल ने इब्राहिम को बताया कि अल्लाह उसकी वफादारी से खुश हुआ और उसने उसके बेटे की जगह इस भेड़ को कुर्बानी के लिए भेज दिया।

तब से, ईद-उल-अजहा (Eid-ul-Adha) त्योहार के दौरान मवेशियों की कुर्बानी पैगंबर इब्राहिम और इस्माइल के अल्लाह के प्रति प्रेम को याद करती है।

इससे यह भी पता चलता है कि कोई व्यक्ति अल्लाह की खातिर अपनी सबसे प्रिय चीज़ का अंतिम कुर्बानी देने को तैयार है।

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सबसे प्रिय चीज़ की देते हैं कुर्बानी

धू-अल-हिज्जा के दसवें दिन, दुनिया भर के मुसलमान अल्लाह के लिए अपनी सबसे प्रिय चीज़ की कुर्बानी देते हैं।

जिब्रील के माध्यम से अल्लाह द्वारा भेजी गई भेड़ की याद में ईद-उल-अजहा मनाते हैं।  कुर्बानी की भावना से एक बकरी या भेड़ की कुर्बानी देते हैं।

कुर्बानी से तैयार भोजन को तीन बराबर भागों में वितरित किया जाता है। एक भाग परिवार के लिए, दूसरा रिश्तेदारों के लिए  और तीसरा गरीबों और जरूरतमंदों के लिए।

मुसलमानों का मानना है कि भले ही न तो मांस और न ही खून अल्लाह तक पहुंचता है, लेकिन उसके लोगों की प्रेम उन तक पहुंचती है।

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