/bansal-news/media/post_attachments/PRD_BansalNews/MP.png)
Earthquake News: मंगलवार सुबह तिब्बत और नेपाल में तेज भूकंप के झटके महसूस किए गए। दोनों देशों की सीमा से सटे इलाकों में सुबह 6:35 बजे आए इस भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 7.1 मापी गई। इसका असर भारत के कई राज्यों में भी महसूस हुआ, जिसमें बिहार सबसे ज्यादा प्रभावित रहा। इसके अलावा असम, सिक्किम और पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों में भी झटके महसूस किए गए। लोग घबराकर अपने घरों से बाहर निकल आए।
अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (यूएसजीएस) के अनुसार, भूकंप का केंद्र लोबुचे से 93 किमी उत्तर-पूर्व में था। हालांकि, अभी तक जान-माल के नुकसान की कोई खबर नहीं है, लेकिन 7 से ऊपर की तीव्रता वाले भूकंप को खतरनाक श्रेणी में माना जाता है।
MP के कई शहरों में हिली धरती
मध्य प्रदेश के कई शहरों में आज सुबह भूकंप (Earthquake News) के झटके महसूस किए गए। भूकंप का केंद्र नेपाल बताया जा रहा है। ये झटके इतने तेज थे कि लोग अपने घरों से बाहर निकल आए। हालांकि, मध्य प्रदेश के किन शहरों में भूकंप आया इसकी जानकारी अभी नहीं मिल पाई है।
रिक्टर स्केल पर 7.1 की तीव्रता
नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी ने बताया कि तिब्बत के जिजांग क्षेत्र में सुबह 6:30 बजे 7.1 तीव्रता का भूकंप आया, जिसकी गहराई 10 किमी थी। इसके बाद क्रमशः 4.7, 4.9 और 5.0 तीव्रता के झटके महसूस किए गए। लोग अपने घरों से बाहर खुले स्थानों की ओर भागे। अब तक किसी के हताहत होने की खबर नहीं है।
पिछले महीने, 21 दिसंबर को भी नेपाल में 4.8 तीव्रता का भूकंप आया था। अप्रैल 2015 में नेपाल में 7.8 तीव्रता का विनाशकारी भूकंप आया था, जिसमें लगभग 9,000 लोग मारे गए थे और 22,000 से अधिक घायल हुए थे, साथ ही 800,000 से अधिक घरों और स्कूलों को नुकसान पहुंचा था।
टेक्टोनिक प्लेटों की अस्थिरता के कारण आते हैं भूकंप के झटके
भूकंप की बार-बार की घटनाओं के बारे में, IIT कानपुर के प्रो. जावेद एन मलिक ने बताया कि हिमालय क्षेत्र में टेक्टोनिक प्लेटों की अस्थिरता के कारण यहां भूकंप आते रहते हैं। पृथ्वी के भीतर सात टेक्टोनिक प्लेट्स होती हैं जो लगातार गति करती हैं। जहां ये प्लेट्स टकराती हैं, वहां फॉल्ट लाइन बनती है। जब इन पर दबाव बढ़ता है तो प्लेट्स टूटती हैं और ऊर्जा निकलती है, जिससे भूकंप आता है।
भूकंप की तीव्रता मापने के लिए उपयोग किया जाता है रिक्टर स्केल
भूकंप का केंद्र उस स्थान को कहते हैं जहां से प्लेटों की हलचल के कारण ऊर्जा निकलती है। इस स्थान पर भूकंप का प्रभाव सबसे अधिक होता है। रिक्टर स्केल पर 7 या उससे अधिक की तीव्रता वाले भूकंप (Earthquake News) का असर 40 किमी के दायरे में अधिक होता है। भूकंप की तीव्रता मापने के लिए रिक्टर स्केल का उपयोग किया जाता है, जो 1 से 9 तक की होती है। इससे भूकंप की भयावहता का अंदाजा लगाया जाता है।
ये भी पढ़ें: MP News: Central Park की जमीन को लेकर गरमाई सियासत,पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह बोले हां मेरा प्लाट है
तीव्रता के हिसाब से क्या हो सकता है असर?
- 0 से 1.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर सिर्फ सीज्मोग्राफ से ही पता चलता है।
- 2 से 2.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर हल्का कंपन होता है।
- 3 से 3.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर कोई भारी वाहन आपके नजदीक से गुजर जाए, ऐसा असर होता है।
- 4 से 4.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर दीवारों पर टंगे फ्रेम गिर सकते हैं।
- 5 से 5.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर फर्नीचर हिल सकता है।
- 6 से 6.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर इमारतों की नींव दरक सकती है। ऊपरी मंजिलों को नुकसान हो सकता है।
- 7 से 7.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर इमारतें गिर जाती हैं। जमीन के अंदर पाइप फट जाते हैं।
- 8 से 8.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर इमारतों सहित बड़े पुल भी गिर जाते हैं।
- 9 और उससे ज्यादा रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर पूरी तबाही। कोई मैदान में खड़ा हो तो उसे धरती लहराते हुए दिखेगी। समंदर नजदीक हो तो सुनामी। भूकंप में रिक्टर पैमाने का हर स्केल पिछले स्केल के मुकाबले 10 गुना ज्यादा ताकतवर होता है।
ये भी पढ़ें: चित्रकूट में 80 एकड़ भूमि पर बनेगा रामायण पार्क
/bansal-news/media/agency_attachments/2025/10/15/2025-10-15t102639676z-logo-bansal-640x480-sunil-shukla-2025-10-15-15-56-39.png)
Follow Us
चैनल से जुड़ें