हाइलाइट्स
- भारत में अब केवल E20 पेट्रोल ही उपलब्ध होगा
- पुराने वाहनों पर पड़ सकता है इसका सीधा असर
- सरकार का दावा, आयात कम होगा और प्रदूषण में राहत मिलेगी
Ethanol Blended Petrol Impact Vehicle: केंद्र सरकार ने घोषणा की है कि अब देशभर में केवल इथेनॉल-मिश्रित पेट्रोल यानी E20 पेट्रोल ही उपलब्ध कराया जाएगा। ईंधन की बढ़ती कीमतों और आयात पर निर्भरता को देखते हुए यह कदम उठाया गया है। सवाल यह उठता है कि क्या इसका सीधा असर पुरानी गाड़ियों और आम उपभोक्ताओं पर भी पड़ेगा। इस फैसले के बाद लोगों के बीच गाड़ी की सुरक्षा को लेकर कई सवाल उठने लगे। इसे लेकर सोशल मीडिया पर तरह-तरह की कंस्पायरेसी थिअरी भी चलने लगी।
India hits 20% ethanol blending in petrol five years ahead of target.
From just 1.5% in 2014 to 20% in 2025, this clean energy leap has:
>> Saved Rs 1.36 lakh crore in forex
>> Paid Rs 1.18 lakh crore to farmers
>> Cut 698 lakh tonnes of CO₂ emissions
PM @narendramodi ji’s… pic.twitter.com/AkjNz1qZnZ— Hardeep Singh Puri (@HardeepSPuri) July 23, 2025
क्यों जरूरी हुआ इथेनॉल पेट्रोल
भारत की आबादी लगातार बढ़ रही है और इसके साथ ही वाहनों का इस्तेमाल भी। पेट्रोल और डीजल की खपत इतनी तेजी से बढ़ी है कि देश की अर्थव्यवस्था पर इसका दबाव साफ नजर आता है। भारत अपनी जरूरत का लगभग 85 प्रतिशत कच्चा तेल रूस, ईरान और सऊदी अरब जैसे देशों से आयात करता है। इस वजह से आयात बिल हर साल बढ़ता जा रहा है।
इसी चुनौती से निपटने के लिए सरकार ने वैकल्पिक ईंधन जैसे CNG, LNG, बिजली, बायोडीजल, हाइड्रोजन और हाइड्रोजन फ्यूल सेल पर काम शुरू किया। अब अगला कदम इथेनॉल ब्लेंडेड पेट्रोल (Ethanol Blended Petrol) की तरफ बढ़ाया गया है। सरकार का दावा है कि इससे ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में 65 फीसदी तक की कमी लाई जा सकती है और किसानों की आय भी बढ़ेगी क्योंकि इथेनॉल का उत्पादन गन्ना, मक्का, चावल और कृषि अपशिष्ट से किया जाता है।
E20 पेट्रोल क्या है
E20 पेट्रोल में E का मतलब है इथेनॉल और 20 का अर्थ है कि इसमें पेट्रोल के साथ 20 प्रतिशत इथेनॉल मिला होता है। यह एक बायोफ्यूल (Biofuel) है, जो अल्कोहल आधारित होता है और कृषि उत्पादों को फर्मेंट करके तैयार किया जाता है। इससे उम्मीद की जा रही है कि आयात पर निर्भरता घटेगी और घरेलू उत्पादन से ईंधन की लागत कम होगी।
क्या है फ्लेक्स फ्यूल
इथेनॉल ब्लेंडेड पेट्रोल और फ्लेक्स फ्यूल (Flex Fuel) को लेकर लोगों के बीच कई सवाल हैं। ब्लेंडेड फ्यूल में पेट्रोल में इथेनॉल की मिलावट 20 प्रतिशत तक होती है। लेकिन फ्लेक्स फ्यूल इससे अलग है। इसमें इथेनॉल की मात्रा 50 से 85 प्रतिशत तक रहती है। कई देशों में इसका इस्तेमाल पहले से हो रहा है। भारत में भी सरकार फ्लेक्स फ्यूल पर जोर दे रही है क्योंकि इससे पेट्रोल-डीजल की खपत घटेगी, प्रदूषण कम होगा और आयात बिल में बड़ी राहत मिल सकती है।
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फ्लेक्स फ्यूल क्यों है फायदे का सौदा
सरकार के लिए फिलहाल सबसे बड़ी चुनौती है कच्चे तेल की ऊंची कीमत, महंगा आयात और प्रदूषण। फ्लेक्स फ्यूल इन सभी मुद्दों का समाधान बन सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि पेट्रोल कार के मुकाबले फ्लेक्स फ्यूल से चलने वाले वाहन कम उत्सर्जन करते हैं और यह पर्यावरण के लिए सुरक्षित हैं।
इसके अलावा इथेनॉल का उत्पादन घरेलू स्तर पर हो रहा है और यह पेट्रोल से सस्ता है। ऐसे में फ्लेक्स फ्यूल वाहनों के आने से उपभोक्ताओं का खर्च कम होगा और सरकार को आयात बिल का बोझ भी नहीं झेलना पड़ेगा।
फ्लेक्स फ्यूल से जुड़ी चुनौतियां
हालांकि फ्लेक्स फ्यूल कई फायदे देता है, लेकिन इसे अपनाना आसान नहीं होगा। फ्लेक्स फ्यूल इंजन साधारण पेट्रोल इंजन से अलग डिजाइन किए जाते हैं। इनके लिए गाड़ियों के फ्यूल इनलेट और इंजन पार्ट्स खास तरीके से तैयार होते हैं। इसका सीधा असर वाहन की कीमत पर पड़ेगा।
पेट्रोल पंपों पर भी फ्लेक्स फ्यूल के लिए नया इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करना होगा। विशेषज्ञ का मानना है कि फ्लेक्स फ्यूल को सफल बनाने के लिए एक बार का बड़ा निवेश (One-time Investment) जरूरी होगा। इसके अलावा फ्लेक्स फ्यूल वाहन ज्यादा फ्यूल खपत करते हैं, जिससे माइलेज कम हो सकता है। हालांकि, इथेनॉल पेट्रोल सस्ता होने से उपभोक्ता पर इसका ज्यादा असर नहीं पड़ेगा।
E20 पेट्रोल से पुराने वाहनों को खतरा
E20 पेट्रोल का सबसे बड़ा असर पुराने वाहनों पर पड़ेगा। इथेनॉल की खासियत है कि यह हवा से नमी खींचता है। इससे कार्बोरेटर, ईंधन टैंक और पाइप जैसे स्टील के पार्ट्स में जंग लगने का खतरा बढ़ जाता है। वहीं रबर पाइप, सील और गास्केट भी जल्दी खराब हो सकते हैं। पुराने वाहनों में ईंधन दक्षता (Fuel Efficiency) लगभग 6 से 7 प्रतिशत तक कम हो जाएगी।
BS-IV और BS-VI इंजन पर असर
भारत में अप्रैल 2020 से BS-VI मानक वाले वाहन बेचे जा रहे हैं। लेकिन इनमें से ज्यादातर गाड़ियां E10 के हिसाब से डिजाइन की गई थीं। E20 पेट्रोल के इस्तेमाल से BS-IV और शुरुआती BS-VI वाहनों में खट-खट की आवाज, कम प्रदर्शन और माइलेज घटने जैसी समस्याएं आ सकती हैं। रबर सील, ईंधन पाइप और एल्यूमीनियम पार्ट्स को भी नुकसान हो सकता है।
हालांकि अप्रैल 2023 से भारतीय ऑटो कंपनियां BS-VI Stage 2 इंजन ला रही हैं जो E20 पेट्रोल के अनुकूल हैं। ऐसे वाहनों में यह समस्या नहीं होगी।
कैसे काम करता है इथेनॉल पेट्रोल
एथेनॉल-ब्लेंड पेट्रोल (Ethanol-blend Petrol) ऐसा ईंधन है जिसमें पेट्रोल में इथेनॉल मिलाया जाता है। इसे आमतौर पर E10 या E20 कहा जाता है, यानी पेट्रोल में 10% या 20% इथेनॉल मिलाया गया है। इससे इंजन में दहन ज्यादा साफ होता है, जिससे प्रदूषण थोड़ा कम हो जाता है और देश की विदेशी तेल पर निर्भरता भी घटती है। यह गन्ना, मक्का और कृषि-अवशेष जैसे पौधों से बनाया जाता है, इसलिए इसे बायो-फ्यूल (Bio-fuel) भी कहा जाता है। हालांकि, इथेनॉल की ऊर्जा (Energy) पेट्रोल से थोड़ी कम होती है, इसलिए गाड़ी का माइलेज (Mileage) थोड़ा घट सकता है।
नए वाहनों को इस तरह डिजाइन किया गया है कि वे E10 या E20 पर आसानी से चल सकें। लेकिन पुराने वाहनों में दिक्कतें आ सकती हैं। इथेनॉल नमी (Moisture) सोख लेता है, जिससे फ्यूल-टैंक (Fuel Tank), पाइप और कार्बोरेटर (Carburetor) में जंग लग सकती है और रबर-पार्ट्स (Rubber Parts) जल्दी खराब हो सकते हैं। अगर गाड़ी लंबे समय तक खड़ी रहती है तो फ्यूल का असर भी बदल सकता है। इसलिए गाड़ी का इस्तेमाल नियमित रूप से करें, समय-समय पर सर्विस करवाएं और गाड़ी के ओनर मैनुअल में लिखी ब्लेंड (Blend) लिमिट जैसे E10 या E20 का ही पालन करें। सही रखरखाव से यह फ्यूल आपके लिए सुरक्षित और पर्यावरण के लिए भी अच्छा विकल्प है।
सरकार ने क्या दावा किया है
सरकार का कहना है कि E20 पेट्रोल से देश की ऊर्जा सुरक्षा मजबूत होगी और पर्यावरण को फायदा मिलेगा। किसानों को अतिरिक्त आय का स्रोत मिलेगा और देश आयातित कच्चे तेल पर निर्भरता घटा सकेगा। लेकिन आम उपभोक्ताओं की चिंता यह है कि पुराने वाहन E20 पेट्रोल पर ठीक से नहीं चलेंगे और माइलेज कम होगा।
ऑटोमोबाइल कंपनियां भी मानती हैं कि इस बदलाव के लिए लोगों को नई तकनीक वाले वाहन खरीदने होंगे। हालांकि लंबे समय में यह बदलाव देश और पर्यावरण के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।
FAQs
Q. E20 पेट्रोल क्या है और इसे क्यों लागू किया गया है?
E20 पेट्रोल वह ईंधन है जिसमें 20 प्रतिशत एथेनॉल और 80 प्रतिशत पेट्रोल का मिश्रण होता है। एथेनॉल गन्ना, मक्का और अन्य कृषि उत्पादों से तैयार किया जाता है। सरकार ने इसे लागू करने का मकसद कच्चे तेल के आयात को घटाना, प्रदूषण को कम करना और किसानों की आय बढ़ाना बताया है। इसके जरिए देश की ऊर्जा सुरक्षा मजबूत करने का भी लक्ष्य रखा गया है।
Q. E20 पेट्रोल से पुराने वाहनों को किस तरह की दिक्कतें हो सकती हैं?
पुराने वाहनों को E20 पेट्रोल से कई तकनीकी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। एथेनॉल हवा से नमी सोखता है, जिससे फ्यूल टैंक, कार्बोरेटर और पाइप जैसे स्टील पार्ट्स में जंग लगने की संभावना रहती है। इसके अलावा, रबर पाइप, सील और गैस्केट जल्दी खराब हो सकते हैं। माइलेज भी 6 से 7 प्रतिशत तक कम हो सकता है। हालांकि नए BS-VI Stage 2 वाहनों को E20 के अनुरूप डिजाइन किया गया है, इसलिए उनमें ऐसी दिक्कतें नहीं आएंगी।
Q. Flex Fuel क्या है और यह E20 पेट्रोल से कैसे अलग है?
Flex Fuel (फ्लेक्स फ्यूल) में एथेनॉल की मात्रा E20 से कहीं ज्यादा होती है। इसमें एथेनॉल का हिस्सा 50 प्रतिशत से लेकर 85 प्रतिशत तक हो सकता है। यह पेट्रोल के मुकाबले पर्यावरण के लिए अधिक सुरक्षित है और घरेलू स्तर पर तैयार होने के कारण सस्ता भी पड़ता है। हालांकि फ्लेक्स फ्यूल के लिए खास इंजन और अलग इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत होती है, जिस कारण इसका इस्तेमाल अभी सीमित है।
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