Dussehra Fact: दो दिन बाद दशहरा है। 3 अक्टूबर से शुरू हुए शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri 2024) की समाप्ति इस दिन हो जाएगी। बुंदेलखंड में कई ऐसी परंपराएं (Dussehra Fact 2024) हैं, जो त्योहारों से जुड़ी हैं।
यहां दशहरा पर वाहन की पूजा (Vahan Puja) , कुमड़ा की बलि (bhura Kumdha ki Bali) , शमी की पूजा (Shami Puja), नीलकंठ के दर्शन (Neelkandh ke Darshan) करने की परंपरा है।
तो चलिए ज्योतिषाचार्य पंडित रामगोविंद शास्त्री से जानते हैं कि दहशरा पर वाहनों की पूजा क्यों होती (Dussehra par vahan Puja kyon karte hain) है, इस दिन शमी की पूजा (Shami Puja on Dussehra) करने से क्या होता है।
दशहरा की बुंदेलखंड से जुड़ी परंपरा
बुंदेलखंड में कई ऐसी परंपराएं हैं जो सदियों से चली आ रही हैं। दशहरा (Dussehra) पर यहां गिलकी के भजिए खाने की परंपरा भी है। ऐसा कहा जाता है इस दिन ऐसा करने से लोगों को स्वास्थ्य लाभ होता है।
दशहरा पर क्यों जरूरी है गाड़ी की पूजा (Dussehra Vahan Puja)
ज्योतिषाचार्य पंडित रामगोविंद शास्त्री के अनुसार पहले के समय में राजा घोड़े पर सवार होकर युद्ध के लिए जाते थे। इस अवसर पर अश्व यानी घोड़े की पूजा करते थे।
वर्तमान में अश्व का उपयोग तो होता नहीं है। इसलिए इसके प्रतीक रूप में आज के समय में हम वाहन पूजा (Vahan Puja) करते हैं। इस दिन सुबह वाहन को अच्छी तरह धोकर उस पर फूलमाला चढ़ाकर पूजा करें। आपको बता दें हिन्दू धर्म ग्रंथों के अनुसार पुराने समय में राजा युद्ध के लिए उत्तर दिशा का चयन करते थे।
दशहरे पर शमी की पूजा करने से क्या होता है
हिन्दू ग्रंथों के अनुसार जब महाभारत काल में पांडव अज्ञातवास के लिए गए थे तो उन्होंने अपने शस्त्र शमी के पेड़ के नीचे शस्त्र छिपाए थे। यही कारण है कि दशहरे के लिन शमी के पेड़ की पूजा करने से वियज प्राप्ति होती है और ये विजय का त्योहार है तो ऐसे में इस पेड़ की पूजा करने से विजय की प्राप्ति होती है।
दशहरा पर क्यों काटते हैं भूरा कुमड़ा
पहले के समय में राजा महाराजा मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए नरबलि या पशुबलि दिया करते थे, लेकिन अब उसके स्थान अब भूरा कुमड़ा की बलि दी जाती है। ऐसे में दशहरा के दिन जो लोग नौदिनी तंत्र साधना करते हैं वे इस दिन भूरा कुमड़ा की बलि देते हैं।
दशहरा कब है
हिन्दू पंचांग के अनुसार इस बार नौरात्रि पूरे नौ दिन की रही। इसके बाद दसवे दिन दशहरा रहा। ऐसे में इस बार दशहरा 2024 12 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस दिन विभिन्न पंड़ालों में लगी झांकियों का विसर्जन किया जाएगा।