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Dussehra-2025-Kab-Hai
कब है दशहरा
हिन्दू पंचांग के अनुसार इस बार 30 सितंबर को शाम को 6:06 मिनट तक अष्टमी तिथि रहेगी। इसके बाद नवमी तिथि लगेगी जो 1 अक्टूबर को शाम 7:07 मिनट तक रहेगी। यानी नवमी तिथि 1 अक्टूबर को उदया तिथि में आने के कारण नवमीं 1 अक्टूबर को पड़ेगी और दशहरा 2 अक्टूबर को होगा।
शारदीय नवरात्रि की तिथियां
| तिथि | वार | तिथि/दिवस |
|---|---|---|
| 22 सितंबर
नवरात्रि पूजा किट | रविवार | परमा |
| 23 सितंबर | सोमवार | दोज |
| 24 सितंबर | मंगलवार | तीज |
| 25 सितंबर | बुधवार | चौथ |
| 26 सितंबर | शुक्रवार | चौथ |
| 27 सितंबर | शनिवार | पंचमी |
| 28 सितंबर | रविवार | षष्ठी |
| 29 सितंबर | सोमवार | सप्तमी |
| 30 सितंबर | मंगलवार | अष्टमी |
| 1 अक्टूबर | बुधवार | नवमी |
| 2 अक्टूबर | गुरुवार | दशमी (दशहरा) |
दशहरा की बुंदेलखंड से जुड़ी परंपरा
बुंदेलखंड में कई ऐसी परंपराएं हैं जो सदियों से चली आ रही हैं। दशहरा (Dussehra) पर यहां गिलकी के भजिए खाने की परंपरा भी है। ऐसा कहा जाता है इस दिन ऐसा करने से लोगों को स्वास्थ्य लाभ होता है।
दशहरा पर क्यों जरूरी है गाड़ी की पूजा (Dussehra Vahan Puja)
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ज्योतिषाचार्य पंडित रामगोविंद शास्त्री के अनुसार पहले के समय में राजा घोड़े पर सवार होकर युद्ध के लिए जाते थे। इस अवसर पर अश्व यानी घोड़े की पूजा करते थे।
वर्तमान में अश्व का उपयोग तो होता नहीं है। इसलिए इसके प्रतीक रूप में आज के समय में हम वाहन पूजा (Vahan Puja) करते हैं। इस दिन सुबह वाहन को अच्छी तरह धोकर उस पर फूलमाला चढ़ाकर पूजा करें। आपको बता दें हिन्दू धर्म ग्रंथों के अनुसार पुराने समय में राजा युद्ध के लिए उत्तर दिशा का चयन करते थे।
दशहरे पर शमी की पूजा करने से क्या होता है
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हिन्दू ग्रंथों के अनुसार जब महाभारत काल में पांडव अज्ञातवास के लिए गए थे तो उन्होंने अपने शस्त्र शमी के पेड़ के नीचे शस्त्र छिपाए थे। यही कारण है कि दशहरे के लिन शमी के पेड़ की पूजा करने से वियज प्राप्ति होती है और ये विजय का त्योहार है तो ऐसे में इस पेड़ की पूजा करने से विजय की प्राप्ति होती है।
दशहरा पर क्यों काटते हैं भूरा कुमड़ा
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पहले के समय में राजा महाराजा मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए नरबलि या पशुबलि दिया करते थे, लेकिन अब उसके स्थान अब भूरा कुमड़ा की बलि दी जाती है। ऐसे में दशहरा के दिन जो लोग नौदिनी तंत्र साधना करते हैं वे इस दिन भूरा कुमड़ा की बलि देते हैं।
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