Dussehra 2023: बीते नौ दिनों से शुरू हुए शारदीय नवरात्रि का आज आखिरी दिन है। इसी के साथ कल दशहरा पर रावण दहन किया जाएगा। माना जाता है ज्योतिष अनुसार इस दिन कुछ खास उपाय करने से जीवन में आ रहे कष्टों से मुक्ति मिलती है। साथ ही आपके जीवन में सुख-समृद्धि भी आती है। आइए जानते है। 24 अक्टूबर को दशहरा पर कौन-कौन से उपाय आपके जीवन में शुभता ला सकते हैं।
पिछले 8 दिनों से विराजी मां अम्बे के आज नवमें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा करके मंदिरों में हवन किया गया है। इसके बाद मंदिरों में भड़ारे का आयोजन किया जा रहा है। इसके बाद कल 24 अक्टूबर को दशहरा यानि विजयादशमी के साथ माता रानी की विदाई हो जाएगी।
बुराई पर अच्छाई के विजय के रूप में रावण दहन भी किया जाएगा। लेकिन क्या आप जानते हैं इस दिन रावण के पुतले का अस्थि अवशेष घर लाया जाता है। ऐसा करने से आपके घर में कुबेर का स्थायी वास हो जाता है। आइए जानते हैं इस परंपरा की शुरूआत कैसे हुई।
राम जी लाए थे लंका की राख
मान्यता अनुसार जब रामजी ने रावण का वध किया था तब उस समय लंकापति रावण व लंका विजय के प्रमाण के लिए श्रीराम जी की सेना लंका की राख अपने साथ लाई थी। तभी से रावण के पुतले की अस्थियों को घर ले जाने का चलन प्रारंभ हो गया। इसके अतिरिक्त यह भी मान्यता है कि इस दिन धनपति कुबेर के द्वारा बनाई गई स्वर्णलंका की राख को यदि तिजोरी में रखा जाए तो इससे घर में स्वयं कुबेर का वास हो जाता है। घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। मुख्य रूप से यही कारण है कि तब से लेकर आज तक रावण का पुतला जलने के बाद उसके अस्थि-अवशेष को घर लाने की परंपरा चली आ रही है।
ऐसा माना जाता है कि इससे नकारात्मक ऊर्जा का असर भी कम होता है।
एक श्लोक के अनुसार
‘आश्विनस्य सिते पक्षे दशम्यां तारकोदये।
स कालो विजयोय: सर्वकार्यार्थसिद्धये।’
के अनुसार यदि क्वार के महीने में शुक्लपक्ष की दशमीं को तारों के उदयकाल में मृत्यु पर भी विजयफल वाला काल माना जाता है।
दशहरा पर क्यों खाते हैं पान dussehra per kyon khate hai paan
पान को विजयी का प्रतीक माना जाता है। विजयादशमी पर रामजी ने रावण पर विजय हासिल की थी। इसलिए इस दिन पान खिला कर विजय दिवस मनाया जाता है। पंडित रामगोविन्द शास्त्री के अनुसार पान को ऐश्वर्य का प्रतीक माना जाता है। एक—दूसरे के घर जाकर विजयादशमी की शुभकामनाएं दी जाती हैं।
आप भी जान लें इस दिन की खास बातें — Dussehra 2022 facts
1 . इस दिन भगवान राम-सीता और हनुमान की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।
2 . इस दिन करोड़ों रुपए के फूलों की बिक्री होती है और लोग अपने घर के दरवाजे फूलों की मालाओं से सजाकर उत्सव मनाते हैं।
3 . इस दिन लोग अपनी-अपनी क्षमतानुसार सोना-चांदी, वाहन, कपड़े तथा बर्तनों की खरीददारी करते हैं।
4 . इस दिन विजयादशमी पर शमी वृक्ष का पूजन किया जाता है। ऐसी माना जाता है कि महाभारत में पाण्डवों ने इस दिन युद्ध के समय शमी के पेड़ में ही अपने शस्त्र छिपाए थे।
5 . रावण रचित शिव तांडव स्तोत्र से भगवान शिव की आराधना की जाती है।
6 . देशभर में रावण के पुतले जलाए जाते हैं।
7 . दशहरे के दिन शहर-कस्बों और गांवों में श्रीराम-सीता स्वयंवर प्रसंग, रामभक्त हनुमान का लंकादहन कार्यक्रम, रामलीला का बखान करते हुए राम-रावण युद्ध के साथ रावण दहन किया जाता है।
8 . इस दिन खासतौर पर गिलकी के पकौड़े और गुलगुले (मीठे पकौड़े) बनाने का प्रचलन है।
9 . रावण दहन के बाद एक-दूसरे के घर जाकर दशहरे की शुभकामनाएं दी जाती है। गले मिलकर, चरण छूकर आशीर्वाद लिया जाता है। शमी पत्ते बांटे जाते हैं। यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत को दर्शाता है।
10. जो लोग नौ दिनों के व्रत रखते हैं वे इस दिन वाहन पूजन करके वाहन से अपने विजय पथ पर निकलते हैं।
नीलकंठ के दर्शन है शुभ
लंकापति रावण पर विजय पाने की कामना से मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम ने पहले नीलकंठ पक्षी के दर्शन किए थे। नीलकंठ पक्षी को भगवान शिव का प्रतिनिधि माना गया है।दशहरा के दिन नीलकंठ के दर्शन और भगवान शिव से शुभफल की कामना करने से जीवन में भाग्योदय,धन-धान्य एवं सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
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