Dussehra 2022: रावण को तो आप जानते ही होंगें। रावण लंका का राजा था, वह सोने के महल में रहता था। उसी महल में रावण ने माता सीता को कैद करके रखा था। हमारे देश में हर साल दशहरा का पर्व बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन रावण के पुतले का दहन किया जाता है। क्योंकि राणव को बुराई का प्रतिक माना जाता है। लेकिन क्या आपको पता है कि रावण को ये आलीशान लंका कहां से मिली थी और किसने दी थी। पौराणिक कथाओं के अनुसार रावण की यह लंका एक श्राप के चलते जलकर खाक हो गई थी। तो आइए बताते है आखिर किसने दी थी रावण को सोने की लंका…
शास्त्रों के अनुसार, रावण बहुत ही विद्वान, पराक्रमी और मायावी था। रावण के पास सोने की एक लंका थी, जिस पर उसे बहुत अभिमान था। एक बार भगवान शिव माता पार्वती को लेकर वैकुण्ठ की यात्रा पर गए थे। यहां की खूबसूरती को देख माता पार्वती मंत्रमुग्ध हो उठीं और उन्होंने भगवान शिव से ऐसी ही कोई खूबसूरत जगह या महल बनाने की जिद की। शिवजी मान गए और उन्होंने कुबेर महाराज और विश्वकर्मा जी से कहकर सोने का एक महल बनवा दिया। सोने का ये महल पार्वती जी को बहुत प्रिय था।
रावण ने हथियाई सोने की लंका?
एक बार रावण सोने के आलीशान महल के पास से गुजर रहा था। तभी उसकी नजर इस महल पर पड़ गई। रावण के मन में लालच आ गया और उसने गरीब ब्राह्मण का रूप लेकर शिवजी से महल दान में मांग लिया। भगवान शिव, रावण को पहचान गए थे। इसके बावजूद वो रावण को अपने द्वार से खाली हाथ वापस नहीं भेजना चाहते थे। और इस तरह रावण को सोने का महल मिल गया।
मिला था लंका जलकर खाक होने का श्राप?
रावण को सोने की लंका दान में देने की बात जब माता पार्वती को पता चली तो वो बहुत क्रोधित हुईं। पार्वती जानती थीं कि शिवजी अब रावण से महल वापस नहीं लेंगे। इसलिए उन्होंने क्रोध में आकर लंका भस्म हो जाने का श्राप दे दिया था। इसीलिए आगे चलकर हनुमान जी ने अपनी पूछ से पूरी लंका में आग लगा दी थी।