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Navratri 2025: नवरात्रि में करने वाले हैं दुर्गा सप्तशती का पाठ, भूलकर भी न करें ये गलती, विपरीत हो सकते हैं परिणाम

Chaitra Navratri 2025 Durga Saptashti Path Niyam: नवरात्रि में करने वाले हैं दुर्गा सप्तशती का पाठ, भूलकर भी न करें ये गलती, विपरीत हो सकते हैं परिणाम durga saptashati path niyam chaitra navratri 30 March 2025 vrat tyohar rules astrology hindi news pds

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Preeti Dwivedi
Durga Saptashati Path ke Niyam

Durga Saptashati Path ke Niyam

Chaitra Navratri 2025: 30 मार्च से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो रही है। इसी के साथ हिन्दू नव वर्ष की शुरुआत हो जाएगी.   श्रद्धालु अलग-अलग तरीकों से मां दुर्गा को रिझाने में लग जाएंगे। नवरात्रि के दिनों में दुर्गा सप्तशती (Durga Saptashati) का पाठ करने का भी विधान है।

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हिन्दू धर्म में दुर्गा सप्तशती पाठ को बहुत ताकतवर और शुभ फल देने वाला माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से किसी भी तरह के अनिष्ट का नाश होकर परिवार में सुख-समृद्धि आती है।

पर इसके लिए नियम का विशेष ध्यान रखा जाता है। ऐसे में यदि आपको इस पाठ से जुड़े नियम नहीं पता हैं तो इसके गंभीर परिणाम झेलने पड़ सकते हैं। तो चलिए जानते हैं ज्योतिषाचार्य पंडित रामगोविंद शास्त्री से कि दुर्गा सप्तशती पाठ करने के स​ही नियम क्या हैं।

राक्षस के वध के समय अधूरा न छोड़े पाठ

इस पाठ को करते समय इसे कभी भी अधूरा नहीं छोड़ा जाता है। पंडित राम गोविन्द शास्त्री के अनुसार आप जब भी पाठ करें उसका क्रम सही होना चाहिए। पाठ में माता जब किसी राक्षस का वध करती हैं उस समय उसे बीच में अधूरा न छोड़े। बल्कि उसकी समाप्ति के बाद ही पाठ का विराम दें। ऐसा न करने पर आपको पाठ के शुभ फल न मिलकर प्रतिकूल प्रभाव झेलना पड़ सकते हैं।

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विधिवत हो पाठ की शुरुआत

पाठ प्रारंभ करने के प​हले शिखा जरूर बांध लें। इसके बाद पूर्व दिशा में बैठ कर चार बार आचमन करके मां की रोली, कुमकुम, लाल फूल, अक्षत और जल आदि अर्पित करके पूजा का संकल्प लें। इसके बाद मां दुर्गा का ध्यान करके पंचोपचार विधि से पुस्तक की पूजा करके पाठ की शुरुआत करें। इसमें सर्वप्रथम अर्गला स्तोत्र, कीलक और कवच के पाठ करें। फिर पाठ की शुरुआत करें।

इन बातों को रखें ध्यान

  • ज्योतिषाचार्यों की मानें तो दुर्गा सप्तशती का पाठ करते समय शुरुआत में अर्गला स्तोत्र और कवच का पाठन उच्च स्वर में करें। जबकि समापन मंद स्वर में होना चाहिए। तो वहीं कीलक का पाठन हमेशा गुप्त रूप से किया जाना चाहिए। पाठ समाप्त होने पर एक कन्या का पूजन जरूर करें। इसके साथ ही जरूरतमंद को भी दक्षिणा भी दी जा सकती है। मां दुर्गा सप्तशती पूजन में श़ुद्धता का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए। पाठ और पूजन में हुई त्रुटियों के लिए क्षमा याचना जरूर करें।
  • दुर्गा सप्तशती का पाठ शुरू करने से पहले पुस्तक को लाल कपड़े पर रखकर उस पर अक्षत और फूल चढ़ाएं। पूजा करने के बाद ही किताब पढ़ना शुरू करें। हमेशा ये बात याद रखें कि पुस्तक को कभी भी हाथ में लेकर पाठ ना करें। शास्त्रों में पुस्तक को कभी भी हाथ में लेकर पाठ नहीं करना चाहिए।
  • दुर्गा सप्तशती का पाठ करते वक्त आपको कभी भी विराम नहीं लेना चाहिए। जब भी आप दुर्गा सप्तशती का पाठ शुरू करें तो बीच में रुकना नहीं चाहिए। हां, एक अध्यान खत्म होने के बाद आप 10 से 15 सेकेंड का विराम ले सकते हैं।
  • दुर्गा सप्तशती का पाठ करते टाइम इस बात का भी ध्यान रखें कि आपके पाठ करने की गति न ही ज्यादा तेज होनी चाहिए और न ही ज्यादा धीरे मध्यम गति में ही दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहिए।
  • दुर्गा सप्तशती के पाठ में एक-एक शब्द का उच्चारण साफ और स्पष्ट होना चाहिए। इसमें शब्दों को उल्टा-पुल्टा न बोलें और ना ही शब्दों का हेर-फेर करें। पाठ इस तरह से करें कि आपको एक-एक शब्द स्पष्ट सुनाई दे।
  • दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से पहले शुद्धता का पूरा ध्यान रखें। इसलिए स्नान वगैराह करके साफ वस्त्र पहनकर ही पाठ करें। कुशा के आसन या ऊन के बने आसन पर बैठकर ही पाठ करें। इसके साथ ही पाठ करते वक्त हाथों से पैर का स्पर्श न करें। उसके बाद ही सप्तशती का पाठ शुरू करें।
  • दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से पहले पुस्तक को नमन और ध्यान करें। इसके बाद ही पुस्तक को प्रणाम करके पाठ शुरू करें। अगर संस्कृत भाषा में दुर्गा सप्तशती के पाठ का उच्चारण करने में कठिनाई हो रही हो तो इसे हिंदी में किया जा सकता हैण् लेकिन जो भी पढ़ें उसे सही और स्पष्ट बोलें।

नोट: इस लेख में दी गई सूचनाएं सामान्य जानकारियों पर आधारित हैं। बंसल न्यूज इसकी पुष्टि नहीं करता। अमल में लाने से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर ले लें।

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March Vrat Tyohar 2025 Durga Saptashti Path Niyam
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