नई दिल्ली। मेडिकल छात्र जब पढ़ाई पूरी करने के बाद डॉक्टर बनते हैं तो उससे पहले उन्हें एक शपथ दिलाई जाती है। जिसे हिपोक्रेटिक शपथ (Hippocratic oath) कहा जाता है। लेकिन वर्षों से चली आ रही इस परंपरा में अब बड़ा बदलाव होने जा रहा है। बता दें कि भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए हाल ही में भारत के शीर्ष चिकित्सा शिक्षा नियामक और राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने सुझाव दिया है कि डॉक्टरों के स्नातक समारोह के दौरान अब ‘चरक शपथ’ दिलाई जाए।
क्या है हिपोक्रेटिक और चरक शपथ?
मालूम हो कि अब तक की परंपरा के अनुसार मेडिकल में स्नातक की पढ़ाई पूरी कर लेने के बाद छात्रों को हिपोक्रेटिक शपथ दिलाई जाती रही है। इस शपथ में डॉक्टरों से मरीजों की सेवाभाव और उनकी जान बचाने की प्राथमिकता जैसे कई वादे लिए जाते हैं। हालांकि, अब इस शपथ का राष्ट्रीयकरण करते हुए डॉक्टर्स को आचार्य चरक के सिद्धांतों के आधार पर शपथ दिलाई जाएगी। चरक शपथ, आयुर्वेद विशारद महर्षि चरक की चिकित्सा को लेकर किताब ‘चरक संहिता’ पर आधारित होगी।
यूनानी चिकित्सक के नाम पर दिलाई जाती है शपथ
अभी तक डॉक्टरों को प्राचीन यूनानी चिकित्सक हिप्पोक्रेट के सिद्धांतों की शपथ दिलाई जाती रही है। लेकिन अब एनएमसी का मानना है कि जब हमारे देश की चिकित्सा का इतिहास इतना समृद्ध रहा है, तो फिर आचार्य चरक जैसे विशेषज्ञों को छोड़कर विदेशी सिंद्धांतों को मानने की क्या जरूरत है।
हिपोक्रेटिक शपथ में क्या वादा लिया जाता है?
हिपोक्रेटिक शपथ में अब तक भावी डॉक्टर्स से वादा लिया जाता रहा है कि वह बिना अपने पद का दुरूपयोग किए, मरीजों की सेवा करने को अपना धर्म मानेंगे। अपने साथी डॉक्टर्स का सम्मान करेंगे और हर मुश्किल में उनका साथ देंगे। शपथ की यह प्रक्रिया डॉक्टरों को उनके कर्तव्य और जिम्मेदारी के प्रति बाध्य करती है।
चरक शपथ में क्या होगा अलग?
चरक शपथ के मुताबिक- ‘ना अपने लिए और ना ही दुनिया में मौजूद किसी वस्तु या फायदे को पाने के लिए, बल्कि सिर्फ इंसानियत की पीड़ा को खत्म करने के लिए मैं अपने मरीजों का इलाज करूंगा। बता दें कि देश के कई मेडिकल शिक्षण संस्थानों ने आगामी सत्र से चपक शपथ दिलाने की योजना बना भी ली है।