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हावड़ा मेल में निखत परवीन के लिए फ़रिश्ता बने भोपाल के डॉ.लुनावत, ट्रेन में डिलीवरी करवाकर बचाई जच्चा-बच्चा की जान

भोपाल के कंसल्टेंट रेडियोलॉजिस्ट डॉक्टर शैलेश लुनावत महिला के लिए फ़रिश्ता साबित हुए.भोपाल के डॉक्टर ने महिला निकहत परवीन की डिलेवरी करवाई।

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Manya Jain
हावड़ा मेल में निखत परवीन के लिए फ़रिश्ता बने भोपाल के डॉ.लुनावत, ट्रेन में डिलीवरी करवाकर बचाई जच्चा-बच्चा की जान

MP News: भोपाल के कंसल्टेंट रेडियोलॉजिस्ट डॉक्टर शैलेश लुनावत एक महिला के लिए फ़रिश्ता साबित हुए।

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दरअसल भोपाल के कंसल्टेंट रेडियोलॉजिस्ट डॉक्टर शैलेश लुनावत ने गाड़ी संख्या 12322 में सफ़र कर रही महिला निखत परवीन की डिलीवरी करवाई।

जिसके बाद मैहर स्टेशन से महिला को अस्पताल पहुंचाया गया। जहां महिला और नवजात दोनों स्वस्थ हैं।

हैरानी की बात यह है कि इस दौरान रेलवे द्वारा कोई मदद नहीं की गई। जिससे डॉक्टर और यात्री दोनों ही परेशान हो गए।

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भोपाल से पार्श्वनाथ जा रहे थे डॉक्टर

बता दें गाड़ी संख्या 12322 से कंसल्टेंट रेडियोलॉजिस्ट डॉक्टर शैलेश लुनावत शुक्रवार को भोपाल से झारखण्ड के पार्श्वनाथ जा रहे थे।

उसी वक्त उस ट्रेन में महिला यात्री निखत परवीन पति इम्तियाज अंसारी निवासी झारखंड एसी-3 कोच के डी-5 में यात्रा कर रही थी।

यात्री निखत परवीन गर्भवती थी। कटनी के आसपास महिला को प्रसव पीड़ा (लेबर पेन) होने लगी। दर्द  बढ़ जाने के बाद सह यात्रियों ने रेलवे के अधिकारियों को सूचना दी।

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महिला का करवाया सुरक्षित प्रसव

जैसे ही लेबर पेन की जानकारी भोपाल के डॉक्टर शैलेश लुनावत को लगी।

डॉक्टर तत्काल प्रभाव से मदद के लिए पहुंच गए। जिसके बाद मैहर स्टेशन पहुंचने पर उन्होंने मौके पर उपलब्ध संसाधनों का उपयोग करते हुए महिला की सुरक्षित डिलीवरी कराई।

डॉ शैलेश लुनावत के प्रयास से जच्चा-बच्चा दोनों की जान सुरक्षित है। दोनों की देखभाल मैहर के चिकित्सक कर रहें हैं।

7 जनवरी को होनी थी डिलेवरी

जानकारी के मुताबिक प्रसूता और उसका पति मुंबई में काम करता है। डॉक्टर ने प्रसूता को 7 जनवरी को डिलेवरी का समय दिया था।

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निखत परवीन पति इम्तियाज अंसारी अपनी पत्नी को लेकर अपने घर झारखंड जा रहा था। मुंबई मेल से उन्होंने आधा सफर तय किया था तभी अचानक दर्द शुरू हो गया।

फिलहाल दोनों सुरक्षित हैं।

महिला से ज्यादा थी कंबल-चादर की फिक्र

डिलेवरी के बाद महिला और नवजात को मैहर स्टेशन पर उतारा गया । फिर महिला और नवजात को अस्पताल पहुंचाया गया। वहीं इस पूरी प्रक्रिया के बीच डॉक्टर लुनावत ने रेलवे के रवैये को लेकर भी नाखुशी जाहिर की।

उन्होंने कहा कि रेलवे स्टाफ ने इस मामले में हमें बिल्कुल भी सपोर्ट नहीं किया।

ऊपर से टिकट चेकिंग स्टाफ सिर्फ इस बात पर हमसे नाराज हो गया कि आपने महिला के साथ हमारा कंबल-चादर दे दिया। ऐसी स्थिति में हम महिला और उसके बच्चे को खुले में एंबुलेंस तक नहीं भेज सकते थे।

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