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नई दिल्ली। भारत समेत पूरी दुनिया में महंगाई बढ़ती जा रही है। लोग परेशान हैं, ऐसे में आपके मन में भी कभी न कभी ये सवाल जरूर उठा होगा कि आखिर दुनिया की सबसे महंगी चीज क्या है? ज्यादातर लोग सोना, हीरा या प्लैटिनम को सबसे महंगी चीजें मानते होंगे। लेकिन यह इतनी भी महंगी नहीं है कि दुनिया की सबसे महंगी चीज बन जाए। तो आज हम आपको बताते हैं कि दुनिया की सबसे महंगी चीज क्या है?
एक ग्राम मात्र से छोटे देश खरीद सकते हैं
आज हम जिस चीज के बारे में आपको बताने वाले हैं उसके एक ग्राम मात्र से आप छोटे-छोटे देशों को खरीद सकते हैं। जी हां सही सुन रहे हैं आप। इस चीज का नाम है 'एंटीमैटर'(Antimatter) जो दुनिया की सबसे कीमती चीज मानी जाती है। दरअसल, एंटीमैटर (Antimatter) एक ऐसा पदार्थ है जिसका उपयोग अंतरिक्ष यात्रा या दूसरे ग्रहों पर आने-जाने के लिए ईंधन के रूप में किया है। एंटीमैटर को हिंदी में प्रतिपदार्थ भी कहा जाता है। कुछ साल पहले नासा ने इसके एक ग्राम की कीमत 90 खरब डॉलर मानी थी। एक अनुमान के मुताबिक अगर पूरी दुनिया चौबीसों घंटे लगातार एक साल तक काम करेगी, तब जाकर इसका एक ग्राम हम खरीद सकते हैं। आइए जानते हैं कि इतने महंगे पदार्थ में आखिर ऐसा क्या है जो इसे खास बनाता है।
पहले समझते हैं, क्या है मैटर
एंटीमैटर, मैटर से बिलकुल उल्ट होता है। यानी इसमें मैटर से अलग गुण होते हैं। हालांकि, एंटीमैटर को समझने से पहले आपको मैटर को समझना जरूरी है। मैटर के बारे में बहुत सी बातें अब भी भौतिक और रसायन विज्ञान की समझ से परे हैं, सिवाय इसके कि मैटर एटम से मिलकर बना है। और एक एटम इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन और न्यूट्रॉन से मिलकर बनता है।
किसमें कौन सी ताकत
एटम के बीच में होते हैं प्रोटॉन, जिनमें पॉजिटिव चार्ज होता है, न्यूट्रॉन में कोई चार्ज नहीं होता, जबकि इलेक्ट्रॉन में निगेटिव चार्ज होता है। इलेक्ट्रॉन के पास जितनी एनर्जी होती है, ऑर्बिट उतनी ही तेजी से बदलता है।
एंटीमैटर क्या है
नासा के मुताबिक इसमें पाए जाने वाले एंटी-इलेक्ट्रॉन में पॉजिटिव चार्ज होता है, वहीं प्रोटॉन, जिसे एंटी-प्रोटॉन कहते हैं, उसमें निगेटिव चार्ज दिखता है। एंटीमैटर जिन चीजों से मिलकर बनता है, उन्हें antiparticles कहते हैं। बिग बैंग के बाद मैटर के साथ ही एंटीमैटर भी बराबर मात्रा में बना था। लेकिन फिर एंटीमैटर गायब हो गया। इसकी वजह से यह वैज्ञानिकों के पास भी नहीं है। वहीं कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि मैटर एंटीमैटर की तुलना में कम रहा होगा जो कि धरती में बदलवों के दौरान गायब होता गया होगा। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि सुदूर ब्रह्मांड में एंटीमैटर मिलने की संभावना है।
किसने की थी खोज
एंटीमैटर के बारे में सबसे पहले ब्रिटिश भौतिकशास्त्री Paul Dirac ने बताया था। न्यू मैगजीन में उनकी थ्योरी छापी गई और Paul Dirac को न्यूटन के बाद सबसे बड़ा वैज्ञानिक माना गया। हालांकि शुरुआत में मैटर के उलट काम करने वाले इस तत्व के बारे में बताने में वैज्ञानिक को संकोच हो रहा था इसलिए उन्होंने कहा कि हर मैटर की मिरर इमेज होती है, जो उसके विपरीत काम करती है। बाद में उन्हें एंटीमैटर पर काम के लिए नोबेल प्राइज मिला।
किस काम आ सकता है
जब मैटर एंटीमैटर के संपर्क में आता है तो दोनों ही एक-दूसरे को नष्ट कर देते हैं। इस दौरान भारी ऊर्जा निकलती है। इस बारे में जानने के बाद से वैज्ञानिक ये सोच रहे हैं कि इस तरीके से स्पेसक्राफ्ट बन सकेगा जो आसानी से अंतरिक्ष के रहस्यों तक पहुंच सकेगा। इसपर नासा ने साल 2010 में एक रिपोर्ट भी तैयार की, जो बताती है कि एंटीमैटर का इस्तेमाल स्पेसक्राफ्ट की दुनिया में कैसी क्रांति ला सकता है।
वैज्ञानिक इसे बनाने की कोशिश में लगे हैं
एंटीमैटर को समझने के लिए वैज्ञानिक इसे बनाने की कोशिश कर रहे हैं और काफी थोड़ी मात्रा में इसे तैयार भी कर लिया गया है। हालांकि ये मात्रा अभी तक पता नहीं लग सकी है। वैज्ञानिकों का दावा है कि ultra high-speed collision के जरिए इसे तैयार किया जा सकता है।
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