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Diwali 2025 Lakshmi Puja Vidhi: दीपों का पर्व दिवाली भारतीय संस्कृति का सबसे पवित्र, उल्लासपूर्ण और आध्यात्मिक त्योहार है। यह दिन मां लक्ष्मी, भगवान विष्णु और भगवान गणेश की आराधना के लिए समर्पित होता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन लक्ष्मी माता अपने भक्तों के घर पधारती हैं और उन्हें सुख-समृद्धि, वैभव और धन का आशीर्वाद देती हैं। तो आइए हम आपको बताते हैं कि यदि आप लक्ष्मी पूजन के लिए पंडित जी की व्यवस्था न कर पाएं तो भी कैसे पूरे विधि-विधान से पूजा अर्चना और आरती की जानी चाहिए। लक्ष्मी पूजन के लिए जरूरी सामग्री, प्रक्रिया, मंत्रोच्चार से लेकर आरती की पूरी शास्त्र सम्मत जानकारी।
पूजा की तैयारी (Preparation before Puja)
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पूजा की तैयारी (Preparation before Puja)[/caption]
1. घर की सफाई:
दिवाली से पहले घर के हर कोने की पूरी तरह सफाई करें। कहा जाता है कि मां लक्ष्मी स्वच्छ और उजले घरों में ही प्रवेश करती हैं।
2. पूजन स्थान तैयार करें:
घर के उत्तर-पूर्व दिशा (ईशान कोण) में पूजा स्थल बनाएं। एक चौकी या लकड़ी की टेबल पर लाल या पीले रंग का स्वच्छ कपड़ा बिछाएं।
3. देव प्रतिमाएं स्थापित करें:
चौकी पर गणेश जी, मां लक्ष्मी, कुबेर देव, मां सरस्वती और मां काली की प्रतिमाएं या चित्र स्थापित करें। यदि संभव हो, भगवान विष्णु की तस्वीर भी रखें।
4. दीपक और सजावट:
तेल या घी के दीपक तैयार रखें। पूजा स्थल के चारों ओर रंगोली बनाएं और पुष्प माला से सजावट करें।
कलश स्थापना (Kalash Sthapana)
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कलश स्थापना (Kalash Sthapana)[/caption]
- कलश को लक्ष्मी जी का प्रतीक माना गया है। इसे स्थापित करते समय निम्न विधि अपनाएं
- एक तांबे या मिट्टी के कलश में गंगाजल या शुद्ध जल भरें।
- उसमें सुपारी, हल्दी, कुमकुम, अक्षत (चावल) और सिक्का डालें।
- कलश के मुंह पर आम या अशोक के पत्ते रखें।
- ऊपर से नारियल को लाल कपड़े में लपेटें और मोली से बांधें।
- कलश को स्वस्तिक चिन्ह वाले स्थान पर रखें।
गणेश पूजन (Ganesh Puja)
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गणेश पूजन[/caption]
लक्ष्मी पूजा से पहले गणेश जी की आराधना अनिवार्य मानी जाती है क्योंकि वे विघ्नहर्ता हैं।
गणेश जी को तिलक लगाएं।
दूर्वा (तीन पत्तियों वाली घास), मोदक और पुष्प अर्पित करें।
मंत्र जाप करें:
“ॐ गं गणपतये नमः”
लक्ष्मी पूजन की विधि
1. अभिषेक:
- मां लक्ष्मी की प्रतिमा को पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शक्कर) से स्नान कराएं।
- इसके बाद स्वच्छ जल से धोकर उन्हें सूखे कपड़े से पोंछ लें।
2. श्रृंगार और अर्पण:
- हल्दी, कुमकुम, चंदन और अक्षत से तिलक लगाएं।
- मां को पुष्प, माला, बेलपत्र और इत्र अर्पित करें।
- मिठाई, फल, नारियल और सूखे मेवे का भोग लगाएं।
3. मंत्र जाप:
पूजा के समय लक्ष्मी मंत्र का जाप करें “ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः इस मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें।
अन्य देवताओं का पूजन
कुबेर देव: धन के देवता कुबेर की पूजा से घर में वित्तीय स्थिरता आती है।
मां सरस्वती: ज्ञान और विद्या की देवी की आराधना करें ताकि परिवार में बुद्धि और विवेक बना रहे।
मां काली: नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट करने वाली शक्ति के रूप में मां काली की पूजा करें।
नवग्रह पूजन: कलश के सामने नौ ढेरियां बनाकर अक्षत और फूल अर्पित करें।
आरती और दीप प्रज्वलन
- पूजा पूर्ण होने के बाद कपूर जलाकर आरती करें।
- आरती सभी परिवारजन मिलकर करें।
- जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता…”
- आरती के बाद घर के हर कोने में दीपक रखें मुख्य द्वार, रसोई, आंगन और खिड़कियों पर।
- मुख्य द्वार पर एक अखंड दीपक जलाएं, जिसमें सरसों का तेल या घी भरा हो।
प्रसाद वितरण (Prasad Distribution)
आरती के बाद प्रसाद सभी परिवार सदस्यों और आस-पड़ोस के लोगों में बांटें। इससे सकारात्मक ऊर्जा और खुशियां घर में बनी रहती हैं।
पूजा के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें
1. पूजा के समय पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह करके बैठें।
2. मोबाइल या टीवी जैसी चीज़ों से ध्यान न भटकाएं।
3. पूजा स्थल पर शंख बजाना शुभ माना जाता है, क्योंकि इससे नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं।
4. दीपक का तेल समाप्त न होने दें यह अखंड दीपक का प्रतीक है।
5. पूजा के बाद कुछ समय शांति से ध्यान करें और मन में लक्ष्मी जी से आशीर्वाद मांगें।
दिवाली केवल दीप जलाने का पर्व नहीं, बल्कि आत्मिक शुद्धि, सकारात्मकता और देवी लक्ष्मी के स्वागत का अवसर है। शास्त्रों में बताया गया है कि जो व्यक्ति सच्चे मन, भक्ति और स्वच्छता के साथ लक्ष्मी पूजन करता है, उसके घर में वर्षभर सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है। इस दिवाली 2025, मां लक्ष्मी, गणेश जी और कुबेर देव की कृपा से आपका घर धन-धान्य और खुशियों से भर जाए यही शुभकामना है।
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