Diwali 2023: दिवाली और धनतेरस को माता लक्ष्मी और भगवान गणेश का महापर्व माना जाता है. इस दिन विशेष रूप से माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा-अर्चना की जाती है ताकि घर में सुख,समृद्धि और शांति का वास हो. इसके साथ ही घर सकारात्मक ऊर्जा से परिपूर्ण हो जाए. त्योहार के इस मौके पर कहीं कोई अपशकुन ना हो जाए, इसका ध्यान रखना बहुत जरूरी है. ऐसे में अपशुकन से बचने के लिए स्वास्तिक आपकी रक्षा करेगा.
शास्त्रों के अनुसार स्वास्तिक श्रीगणेश का ही प्रतीक स्वरूप माना जाता है.
क्यों जरूरी है स्वास्तिक?
गणेश और लक्ष्मी पूजन में विशेष रूप से स्वास्तिक बनाना बेहद शुभ माना जाता है, हिंदू धर्म में स्वास्तिक बनाना मांगलिक कार्यों को दर्शाता है, स्वास्तिक चिह्न का होना इस बात की मान्यता है कि घर के सभी कार्य शुभ और मंगल हों, घर में किसी भी तरह की कोई बाधा ना आए. स्वास्तिक में सकारात्मक ऊर्जा ज्यादा होने से वास्तुदोष समाप्त होते हैं.
किसी भी धार्मिक काम में या किसी भी पूजा में घर के मुख्यद्वार पर या बाहर की दीवार पर स्वास्तिक का निशान बनाकर पूजा करें.
स्वास्तिक बनाने की विधि
सबसे पहले जहां आपको स्वास्तिक बनाना है. मसलन दीवार, पूजा स्थल, बहीखाता, पुस्तक या भूमि. वहां गंगाजल या स्वच्छ पानी छिड़ककर थोड़ा लेपन करें. अब इस जगह को साफ और शुद्ध कपड़े से पोंछ लें. अगर आप पुस्तक पर बना रहे हैं, जो कि कागज से निर्मित है तो लेपन न करें, हल्का छिड़काव कर लें.
स्वास्तिक बनाते समय ना करें ये गलतिया?
गलत तरीके से बनाया गया स्वास्तिक न केवल परेशानी उत्पन्न करता है, बल्कि घर में दरिद्रता लाने के साथ ही यह आपके लिए अशुभ भी हो सकता है. अत: इस तरह की चीजों से बचने के लिए इन बातों का खास ख्याल रखें.
स्वास्तिक बनाते समय इस बात का ध्यान रखें कि रेखाएं एक दूसरे का काटे नहीं. स्वास्तिक में रेखाओं का एक दूसरे को काटना सही नहीं माना जाता है. कहा जाता है कि स्वास्तिक बनाते समय मन शांत और स्थिर होना चाहिए. याद रखें कि साफ और पवित्र मन से किया गया कोई भी कार्य सफल होता है. विदुषियों का मत है कि स्वास्तिक निर्माण में त्रुटि रहने से जन व्याधि और अर्थ हानि होती है.
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