नई दिल्ली। Diwali 2022: दीपावली को कुछ ही दिन बचे हैं। life style ऐसे में इस दिन को लेकर तैयारियां लगभग पूरी होने को है। पर कई बार ऐसा होता है कि हम पूजन में निभाने वाली परंपराओं या नियमों को जाने बिना ही उनका पालन करते हैं। पर ऐसे में आपको पता होना चाहिए कि किस चीज का क्या महत्व होता है। आपने अक्सर देखा होगा दीपावली के पूजन में गणेशजी और मां लक्ष्मी के साथ ग्वालिन की पूजा भी होती है। इनके पूजन के पीछे क्या कारण है, क्या इनका पूजन जरूरी है, चलिए जानते हैं।
मां लक्ष्मी के स्वागत करती हैं
ज्योतिषाचार्य पंडित राम गोविंद शास्त्री के अनुसार जैसे किसी भी त्योहार पर स्वागत तैयारी के लिए हम घर के मुख्य द्वार पर सजावट करते हैं। ठीक उसी तरह मां लक्ष्मी के स्वागत के लिए ग्वालिन स्वरूप लाई जाती हैं। जो सिर पर कलश या दिया रख कर मां लक्ष्मी का स्वागत करती हैं।
दूध, दही में मां लक्ष्मी का होता है वास
ज्योतिषाचार्यों की मानें तो दूध, दही, खीर आदि में मां लक्ष्मी का वास होता है। ग्वालिन गौ माता की सेवा करने वालीं होती हैं। इसलिए ये मां लक्ष्मी के स्वागत रूप में दिए लेकर द्वार पर खड़ी होती हैं। यही कारण है कि मां लक्ष्मी के पूजन में ग्वालिन पूजन को भी महत्व दिया जाता है।
कहां रखना चाहिए ग्वालिन — Diwali 2022 :
पूजन में प्रधान ईष्ट के रूप में तो भगवान गणेश और मां लक्ष्मी का पूजन ही किया जाता है। पूजन स्थल पर चौक सजाकर भगवान गणेश और मां लक्ष्मी की प्रतिमा रखनी चाहिए। उनके आगे या बाजू में ग्वालिन को रखकर उनके दीपक जलाकर पूजन करना चाहिए। प्रथम पूज्य गणेशजी यानि कलश पूजन के बाद बाकी पूजा आरंभ करनी चाहिए।
Diwali 2022 Muhurat
घरों में इस मुहूर्त में करें पूजन
शाम 6:53 से 8:49 तक
व्यापारियों के लिए पूजन मुहूर्त —
रात 1:21 से 3:25
दीपावली पूजन में रात में सोना माना जाता है वर्जित —
पंडित राम गोविंद शास्त्री के अनुसार दीपावली के दिन ऐसा माना जाता है कि रात को लक्ष्मी जी का आगमन होता है। इसलिए इस दिन सोना नहीं चाहिए। चूंकि इस दिन शाम को 4:44 से अमावस का त्योहार आ रहा है। इसलिए इस दिन व्यापारियों के लिए रात का मुहूर्त शुभ माना गया है।
चौघड़ियां के अनुसार दुकान के लिए पूजा मुहूर्त —Diwali 2022 :
चर लग्न — शाम 6 —7:30
लाभ योग — रात 10:30 से 12
यहां जानें कब से कब तक कौन सी तिथि –
चतुर्दशी तिथि – 24 अक्टूबर, शाम 4ः44 बजे तक
अमावस्या तिथि यानि दीपावली – 24 अक्टूबर, शाम 4ः44 से