Doctors Strike: कोलकाता के आर. जी. मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में ट्रेनी महिला डॉक्टर से दरिंदगी के बाद हत्या की घटना से देशभर में लोग काफी आक्रोशित हैं, वहीं, रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल को आज 10वां दिन हो चुका है। डॉक्टरों के वापस काम पर नहीं लौटने के बाद राजधानी दिल्ली में स्वास्थ्य सेवाओं पर काफी असर पड़ रहा है और अस्पताल में इलाज के लिए पहुंच रहे मरीजों को भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
Director, All India Institute of Medical Sciences (AIIMS) appeals to the Resident Doctors of AIIMS New Delhi to resume their duties immediately so that patient care services are normalized. pic.twitter.com/4HS32d1QwB
— ANI (@ANI) August 21, 2024
लोगों की परेशानी को देखते हुए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के निदेशक ने रेजिडेंट डॉक्टरों से तुरंत अपनी हड़ताल को खत्म कर वापस ड्यूटी पर लौटने की अपील की है ताकि मरीजों की देखभाल सेवाएं एक बार फिर सामान्य हो सकें। वहीं, स्वास्थ्य कर्मियों की समस्याओं के समाधान के लिए डीन (अकादमी) की अध्यक्षता में 5 सदस्यी समिति गठित भी की गई है। आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के नेशनल टास्क फोर्स गठित करने के फैसले के बाद भी डॉक्टरों ने अपनी हड़ताल को समाप्त नहीं किया था।
हड़ताल वापस लेने के लिए संकेत!
सुप्रीम कोर्ट ने 20 अगस्त मगंलवार डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा के लिए को नेशनल टास्क फोर्स गठित करने निर्देश दिए थे। वहीं, फैसले के बाद रेजिडेंट डॉक्टरों के संगठनों ने हड़ताल को वापस लेने के संकेत दिए थे।
आरएमएल हॉस्पिटल के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (RDA) ने हड़ताल को वापस लेने की घोषणा कर इसकी जानकारी अस्पताल प्रशासन को दे दी थी, लेकिन बाद में रेजिडेंट डॉक्टरों के दबाव में मुकर गया। एम्स, सफजरजंग अस्पताल सहित अन्य अस्पतालों के आरडीए ने भी हड़ताल वापस लेने की घोषणा नहीं की है।
यही कारण है कि बुधवार को भी सभी डॉक्टरों की हड़ताल जारी है। फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया एसोसिएशन (FAIMA) ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है, लेकिन ड्यूटी पर वापस लौटने की अपील को मानने से इनकार कर दिया। एसोसिएशन का कहना है कि उनकी मांग डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए अलग कानून बनाने वह अध्यादेश लाने की है अभी यह मांग पूरी नहीं हुई है।
सरकारी अस्पतालों में नहीं सुधरे हालात
कोलकाता में ट्रेनी महिला डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और हत्या के मामले के बाद माना जा रहा था कि सरकारी अस्पतालों के हालातों में थोड़ा बहुत सुधार आएगा, लेकिन देश को हिला देने वाली घटना के बाद भी सरकारी अस्पतालों के हालात जस की तस बने हुए हैं।
अभी भी रात को महिला डॉक्टरों को इमरजेंसी सेवाएं देनी पड़ रही हैं। वहीं, उनकी सुरक्षा में तैनात कर्मी बस नाम के लिए तैनात कर रखे हैं। लोगों को बिना किसी रोक टोक और बिना किसी जांच के अभी भी अंदर जाने दिया जा रहा है।
वहीं, एक मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, एलएन अस्पताल के महिला हॉस्टल में सैकड़ों की संख्या में चिकित्सक, स्वास्थ्यकर्मी और नर्स रहती हैं, लेकिन उनके हॉस्टल के बाहर भी कोई सुरक्षाकर्मी तैनात नहीं था। वहीं, हैरानी की बात यह है कि रात में सबसे अधिक सुरक्षा की आवश्यकता यहीं पर रहती है। ऐसे में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर अभी भी इतनी बड़ी लापरवाही प्रशासन के द्वारा बरता जा रहा है।