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Digvijay Singh : कांग्रेस और गांधी परिवार के नए जादूगर, दिग्गी

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deepak
Digvijay Singh : कांग्रेस और गांधी परिवार के नए जादूगर, दिग्गी

विकास जैन/बंसल न्यूज: दिग्विजय सिंह कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनना लगभग अब तय माना जा राह है, क्योंकि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अध्यक्ष बनने से अपने हाथ खींच लिए है। ऐसे में अन्य दावेदारों पर दिग्गी राजा भारी पड़ते नजर आ रहे हैं। दिग्विजय सिंह राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए नामांकन कर सकते हैं। कल दिग्विजय सिंह को दिल्ली बुलाया गया है। अभीतक दिग्विजय सिंह राहुल गांधी के साथ भारत जोड़ो यात्रा पर थे, लेकिन आलाकमान से मिले मैसेज के बाद दिल्ली की और रूख कर गए है। बताया जा रहा है कि वह सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद नामांकन दाखिल कर सकते हैं। लेकिन 10 साल तक मध्यप्रदेश की कमान संभालने वाले दिग्विजय सिंह अचानक से कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष रेस में आगे निकल गए, यह कभी किसी ने नहीं सोचा था।

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राख से पैदा होते है दिग्गी राजा!

कांग्रेस की राजनीति के चाणक्य माने जाने वाले और मध्यप्रदेश की कुर्सी पर 10 साल तक राज करने वाले दिग्विजय सिंह सियासत के वो शहंशाह है जिसे कभी नजरअंदाज नहीं किया जा सका। दिग्गी वो नेता हैं जो राख से जन्म लेते है। फ़ीनिक्स पक्षी लकडियों व टहनियों का घोंसला बनाकर रहता है और उसी में जल जाता है और इसी राख से फिनिक्स फिर जन्म लेता है। दिग्विजय सिंह के साथ भी कुछ ऐसा ही हैं, क्योंकि देश की राजनीति में वो एक दम अचानक उभरकर आते है, किसी को भनक तक नहीं लगती। भले ही दिग्गी किसी को पसंद हो या ना हो लेकिन उनका कद हमेशा अचानक उभरक कर आता है। ऐसा ही कुछ अब फिर से होने वाला है। क्योंकि अभी तक तो चर्चा यह थी की दिग्गी अध्यक्ष की आदवेदारी कर सकते है। वही अशोक गहलोत इस पद के लिए प्रबल दावेदार थे, लेकिन किसी ने नहीं सोचा था कि दिग्विजय सिंह ऐसी छलांग मारेंगे।

गांधी परिवार के मद्दगार दिग्गी

राजनैतिक जानकारों की माने तो अगर दिग्विजय सिंह को गांधी परिवार से ग्रीन सिग्नल मिल गया है तो वह निश्चत ही पार्टी के अगले अध्यक्ष होंगे। भले ही अध्यक्ष का चुनाव हो या नहीं। दरअसल, दिग्विजय सिंह गांधी परिवार के बेहद करीबी माने जाते है। दिग्विजय सिंह राजीव गांधी से लेकर राहुल गांधी तक मदद करते आए है। वह राजीव गांधी की सरकार से लेकर सोनिया गांधी के कार्यकाल में हमेशा गांधी परिवार के भरोसे मंद रहे है। वह हर मोर्चे पर एक बफादार के तौर पर काम करते आए है। जब राजीव गांधी देश के प्रधानमंत्री थे तब दिग्विजय सिंह ने उनकी मद्द की। राजीव गांधी की मौत के बाद जब सोनिया गांधी को अध्यक्ष बनाने की बात आई तो दिग्विजय सिंह सिंह ने मोर्चा संभाला था। इतना ही नहीं एक बार मध्यप्रदेश के पचमढ़ी में कांग्रेस के चिंतन शिविर में सोनिया गांधी को हिंदी में सबसे बड़ा भाषण करवाया था। इसके बाद राहुल गांधी को भारत जोड़ों यात्रा की सिक्रप्ट तैयार करके दी।

विरोधियों को परास्त करने में माहिर दिग्गी

दिग्विजय सिंह की संगठन में पकड़ काफी मजबूत मानी जाती है। उनकी सबसे बड़ी खूबी यह है कि उनको अधिक्तर कार्यकर्ताओं के नाम मुंहजुबानी याद है। दिग्विजय सिंह के दिल्ली में भी काफी अच्छे संबंध है। जबकि राजनीति में वह विरोधियों को परास्त करने में माहिर माने जाते हैं। यानी कुल मिलकार वह सत्ता, संगठन, और विपक्ष में एकदम फिट बैठते है। सबसे खास बात यह है कि दिग्गी राजा को साफ्ट हिंदुत्व वाला नेता माना जाता है। दिग्विजय सिंह कांग्रेस में मध्यप्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे भारत में ऐसा चेहरा है, जिसे चाणक्य के तौर पर देखा जाता है। ऐसे में अध्यक्ष पद के लिए उन पर लग रहा सियासी दांव भी एक बड़ी वजह माना जा रहा है। दिग्विजय सिंह को कांग्रेस में सियासी दांव पेंच में भी माहिर माना जाता है। 1993 में वह पहली बार जब मध्य प्रदेश के सीएम बने थे, तब उन्होंने कांग्रेस के तीन दिग्गजों को पीछे छोड़ा था, जिनमें माधवराव सिंधिया, श्यामाचरण शुक्ला और सुभाष यादव जैसे दिग्गज नेता शामिल थे। वह कई बार कांग्रेस के लिए परदे के पीछे से काम करते रहे हैं। 2018 में जब मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी थी, उसमें भी दिग्विजय सिंह का रोल सबसे ज्यादा अहम था।

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22 की उम्र में लड़ा था पहला चुनाव

दिग्विजय सिंह का राजनीतिक करियर 53 साल का हो चुका है। मध्य प्रदेश की राघोगढ़ रियासत के राजपरिवार से आने वाले दिग्विजय सिंह को सियासत विरासत में मिली थी, उनके पिता बलभद्र सिंह भी विधायक थे। ऐसे में 1969 में 22 साल की उम्र में दिग्विजय सिंह ने राघोगढ़ नगर पालिका का चुनाव जीता था। जिसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। 53 साल के राजनीति करियर में राघोगढ़ से दिल्ली तक के सफर में उन्होंने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं, लेकिन दिग्विजय सिंह प्रदेश और देश की राजनीति में आज भी बादशाह बने हुए हैं। दिग्विजय सिंह अभी फिलहाल पार्टी में महासचिव और राज्यसभा सांसद हैं।

पहले ही कर चुके थे अध्यक्ष पद की सिक्रप्ट तैयार?

दिग्विजय सिंह कांग्रेस भले ही 75 साल के हो चुके है लेकिन वह एक दम पूरी तरह से फिट हैं। वर्तमान में चल रहे सियासी घटनाक्रम को गौर से देखा जाए तो अध्यक्ष पद के लिए शायद दिग्विजय सिंह पहले ही सिक्रप्ट तैयार कर चुके थे। दरअसल, राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में दिग्विजय सिंह आज भी 10 से 15 किलोमीटर की पैदल यात्रा रोज कर रहे हैं, जबकि पूरी यात्रा का जिम्मा भी उनके कंधों पर हैं। पांच साल पहले उन्होंने मध्य प्रदेश में 3 हजार किलोमीटर से भी ज्यादा की नर्मदा परिक्रमा यात्रा 192 दिन में पूरी थी, उनकी यात्रा का असर यह हुआ कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस पूरी तरह से एक्टिव हो गई और सत्ता हांसिल की। वही दिग्विजय सिंह को पता था कि इसी साल कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव होना है। ऐसे में उन्होंने राहुल गांधी के लिए भारत जोडो यात्रा की सिक्रप्ट तैयार कर दी। भारत जोड़ो यात्रा से कांग्रेस को काफी अच्छा रिस्पांस भी मिल रहा है, और यात्रा का श्रय दिग्विजय सिंह को जा रहा है। ऐसे में दिग्विजय सिंह की अध्यक्ष पद के लि दावेदारी और मजबूत होती चली गइ। वही दिग्विजय सिंह राजस्थान की राजनीति से अच्छी तरफ से वाकिफ थे। वह जानते थे कि अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच रिश्ते ठीक नहीं है। अगर गहलोत अध्यक्ष बनते है तो पायलट को राजस्थान की सत्ता पाने का मौका मिलेगा, लेकिन गहलोत, पायलट को पसंद नहीं करते है। ऐसे मंे संग्राम होना तय है। शायद दिग्विजय सिंह ने यही सही मौका समझकर अध्यक्ष पद की दावेदारी में कूद गए।

अध्यक्ष के लिए इसलिए जरूरी दिग्गी राजा

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए दिग्विजय सिंह इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि आने वाले दो साल चुनावी साल हैं, गुजरात, हिमाचल, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और तेलंगाना में विधानसभा चुनाव होने हैं। जबकि 2024 में लोकसभा चुनाव होने हैं। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि दिग्विजय सिंह यहां हर मोर्चे में फिट बैठ सकते हैं। गुजरात, छत्तीसगढ़ और राजस्थान तीनों ऐसे राज्य हैं जो मध्य प्रदेश से टच है। इन तीनों राज्यों में दिग्विजय सिंह की पकड़ मानी जाती है। इसके अलावा 2024 में कांग्रेस को एक ऐसे नेता की जरुरत है जो बीजेपी से मुकाबला कर सके। दिग्विजय सिंह इन सभी परिस्थितियों में कांग्रेस के लिए फिट नजर आ रहे हैं, शायद यही वजह है कि वह कांग्रेस की अध्यक्ष की रेस में सबसे आगे दिख रहे हैं।

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