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ताई को कमजोर करने के लिए दिग्विजय सिंह ने कैलाश विजयवर्गीय से की थी दोस्ती, आज भी कायम है राजनीतिक कमेस्ट्री

ताई को कमजोर करने के लिए दिग्विजय सिंह ने कैलाश विजयवर्गीय से की थी दोस्ती, आज भी कायम है राजनीतिक कमेस्ट्रीDigvijay Singh befriended Kailash Vijayvargiya to weaken Tai, political politics continues even today

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Bansal Digital Desk
ताई को कमजोर करने के लिए दिग्विजय सिंह ने कैलाश विजयवर्गीय से की थी दोस्ती, आज भी कायम है राजनीतिक कमेस्ट्री

भोपाल। भारतीय जनता पार्टी के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय (Kailash Vijayvargiya) और कांग्रेस से राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) के दोस्ती के किस्से कम ही लोग जानते हैं। ये दोस्ती कब शुरू हुई ये कोई नहीं जानता। हालांकि कहा जाता है कि जब दिग्गविजय सिंह मुख्यमंत्री थे तब, इंदौर की राजनीति में सुमित्रा महाजन (Sumitra Mahajan) यानी कि ताई का वर्चस्व हुआ करता था। इस दौरान कैलाश विजयवर्गीय इंदौर में एक उभरते हुए युवा नेता थे। साथ ही वे इंदौर के महापौर भी थे। इंदौर के व्यापारियों में उनकी पकड़ काफी अच्छी थी। ऐसे में दिग्विजय ने सुमित्रा महाजन को कमजोर करने के लिए कैलाश विजयवर्गीय को चुना।

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दिग्विजय ने उन्हें ताकतवर बनाया

जानकारों की मानें तो दिग्विजय ने मुख्यमंत्री रहते कैलाश विजयवर्गीय को अपना दोस्त बनाया और उन्हें इतना ताकतवर बनाया कि वो भाजपा के दिग्गज नेताओं के लिए सिर दर्द बन गए थे। राजनीतिक गलियारों में कहा जाता है कि कैलाश विजयवर्गीय आज जहां भी हैं उसमें दिग्वजय सिंह का सबसे बड़ा हाथ है। हालांकि विजयवर्गीय ने अपने राजनितिक करियर में कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा। 13 मई, 1956 को जन्मे विजयवर्गीय पहली बार जब इंदौर के मेयर बने उसके बाद से ही राजनीति में लगातार आगे ही बढ़ते रहे।

महापौर बनाने में दिग्विजय का बड़ा हाथ

कहा जाता है कि जब भाजपा ने महापौर का टिकट विजयवर्गीय को दिया था तो कांग्रेस ने उनके सामने अपने अधिकृत प्रत्याशी को बैठाकर सुरेश सेठी (Suresh Sethi) को समर्थन दे दिया था। तब 69 वार्डों में फ्री फॉर ऑल की तर्ज पर पार्षद पद के उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा था। ये फैसला तब तत्कालीन दिग्विजय सिंह सरकार ने लिया था और इसी फैसले की वजह से कैलाश विजयवर्गीय महापौर बन पाए थे।

विजयवर्गीय ने इंदौर के लिए काफी काम किया

महापौर बनने के बाद विजयवर्गीय ने इंदौर में काफी काम किए। उन्होंने तब भाजपा की केंद्र सरकार से कई योजनाओं को लेकर इंदौर तक पहुंचाया। इस काम में उन्हें तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का भी खूब साथ मिला। यही कारण है कि तब इंदौर में बाण्ड प्रोजेक्ट, नर्मदा तृतीय चरण जैसी योजनाएं जमीन पर आ सकी थी। हालांकि तब कांग्रेस के कुछ नेता इस बात को लेकर विरोध भी करते थे। लेकिन कोई भी दिग्गविजय सिंह से विजयवर्गीय की शिकायत करने का हिम्मत नहीं करता था। क्योंकि सभी को पता था कि शिकायत करने का कोई मतलब नहीं है।

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मीडिया में दोनों एक-दूसरे के उपर हमला करने से भी नहीं चुकते

हालांकि दोनों नेता जब भी मीडिया के सामने आते हैं तो एक-दूसरे के उपर हमला करने से भी नहीं चुकते। लेकिन जब आमने-सामने होते हैं तो उनकी दोस्ती को साफतौर पर देखा जा सकता है। पिछले साल ही मकर संक्राति के अवसर पर इंदौर में आयोजित एक कार्यक्रम में जब दोनों मिले तो इसका वीडियो वायरल हो गया था। दरअसल, दोनों नेता इस दौरान काफी गर्मजोशी से मिले थे और एक खास टोपी को पहनाकर अभिवादन किया था।

Image source- @Nisha_GKP

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