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Digital Rape Case: 3 साल की बच्ची को बनाया शिकार ! 65 साल के बुजुर्ग को मिला उम्रभर सजा का करार, जानें क्या होता है ‘डिजिटल रेप’?

हाल ही में डिजिटल रेप का पहला मामला देश से सामने आया है जिसमें 3 साल की बच्ची को रेप का शिकार बनाने के आरोपी में दोषी करार देते हुए दोषी 65 साल के बुजुर्ग अकबर अली को उम्रकैद की सजा सुनाई है।

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Bansal News
Digital Rape Case: 3 साल की बच्ची को बनाया शिकार ! 65 साल के बुजुर्ग को मिला उम्रभर सजा का करार, जानें क्या होता है ‘डिजिटल रेप’?

नोएडा। Digital Rape Case अक्सर रेप और अपराध की खबर तो सामने आती ही है वहीं पर हाल ही में डिजिटल रेप का पहला मामला देश से सामने आया है जिसमें 3 साल की बच्ची को रेप का शिकार बनाने के आरोपी में दोषी करार देते हुए दोषी 65 साल के बुजुर्ग अकबर अली को उम्रकैद की सजा सुनाई है वहीं पर 50 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया गया।

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जानें क्या था पूरा मामला

आपको बताते चलें कि, यह मामला दिल्ली नोएडा के सेक्टर-39 थाना क्षेत्र के सलारपुर गांव से सामने आया है जहां पर आरोपी ने उस वक्त वारदात को अंजाम दिया जहां पर वह पश्चिम बंगाल से अपनी शादीशुदा बेटी से मिलने नोएडा आया था, यह बात 2019 की बताई जा रही है जिसमें आरोपी ने पड़ोस में रहने वाली साढ़े तीन साल की मासूम को टॉफी दिलाने का लालच देकर घर ले आया डिजिटल रेप जैसी वारदात को अंजाम दिया। जहां पर डरी-सहमी बच्ची घर पहुंची तो परिजनों को इस घटना का पता चला जिसकी शिकायत थाने में दर्ज कराया। पुलिस ने बच्ची की मेडिकल जांच में पुष्टि होने के बाद आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। ये मामला कोर्ट में चला जिसके बाद अब मंगलवार को जिला एवं सत्र न्यायाधीश अनिल कुमार सिंह ने अकबर अली को परिस्थिति जन्य साक्ष्य, मेडिकल रिपोर्ट, डॉक्टर्स, जांच अधिकारी, परिजनों और पड़ोसियों की गवाही पर दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई।

जानें क्या होता है डिजिटल रेप ?

यहां पर डिजिटल रेप को अक्सर इंटरनेट से सेक्सुअल अपराध समझा जाता है लेकिन ये गलत है दरअसल यह वह अपराध है जिसमें रिप्रोडक्टिव ऑर्गन की जगह किसी की मर्जी के बिना उंगलियों या हाथ-पैर के अंगूठे से जबरन पेनेट्रेशन किया गया हो. यहां डिजिट शब्द का मतलब इंग्लिश के फिंगर, थंब या पैर के अंगूठे से है. यही वजह है कि इसे ‘डिजिटल रेप’ कहा जाता है। बताया जा रहा है कि, इस अपराध को पहले छेड़खानी की श्रेणी में रखा जाता था लेकिन 2012 के दिल्ली निर्भया कांड के बाद से इसमें बदलाव किया गया। देश की संसद में नए रेप लॉ को पेश किया गया और इसे यौन अपराध मानते हुए सेक्शन 375 और पॉक्सो एक्ट की श्रेणी में रखा गया है।

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