इंदौर। लता मंगेशकर देश Lata Mangeshkar Speciallity की शान तो थी हीं। ये हमारे प्रदेश का भी गौरव भीं। शायद आपको मालूम हो कि 28 सितंबर 1929 को लता मंगेशकर का जन्म इंदौर के सिख मोहल्ले में हुआ था। इंदौर जिला अदालत से लगी गली में उनकी नानी का घर था। यहां से उन्होंने संगीत शिक्षा शुरू हुई थी। जिसके बाद वे सात साल की उम्र में महाराष्ट्र चली गईं थीं।
पिता रंगमंच के कलाकार थे —
इंदौर में जन्मी लता मंगेशकर के पिता दीनदयाल मंगेशकर रंगमंच के कलाकार और गायक थे। लता दी को संगीत विरासत में मिली थी। आपको बता दें पहले उनका नाम हेमा था। उसके बाद में माता-पिता ने उनका नाम लता रखा था। छोटी बहन आशा भोंसले भी मशहूर सिंगर हैं। उन्होंने मराठी फिल्मों से की संगीत के सफर की शुरुआत की थी। आपको बता दें लता दी ने 20 से ज्यादा भाषाओं में 30 हजार से ज्यादा गाने गाए हैं।
आवाज को सुरीला बनाने खाती थी मिर्च –
जब लता दी ने अपने गायकी के करियर की शुरुआत की थी तो उन्होंने कहा था मिर्च खाने से आवाज ज्यादा सुरीली होती है, इसलिए अपनी आवाज को और सुरीली और मीठा बनाने के लिए वो रोज ढेर सारी हरी मिर्च खाती थीं। उन्हें विशेष रूप से कोल्हापुरी मिर्च का सेवन करना अधिक प्रिय था। मां सरस्वती के सम्मान प्रतीक के रूप में लता दी के बारे में ऐसा कहा जाता है कि वे हमेशा नंगे पैर गाना गाया करती थीं।
इस गाने से मिली थी पहचान —
लता दी को 1948 में आई फिल्म ‘मजबूर’ के गाने से पहचान मिली थी।
उनकी खासियत ये थी कि लता मंगेशकर हमेशा नंगे पैर रहकर गाना गाया करती थीं।
ये सम्मान मिल चुके थे लता दी को —
1969 में पद्मभूषण, 1999 में पद्मविभूषण सम्मान मिला।
1989 में दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड मिला।
1993 में फिल्म फेयर लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार।
1999 में महाराष्ट्र भूषण अवॉर्ड, 3 राष्ट्रीय फिल्म अवॉर्ड।
2001 में केंद्र सरकार ने भारत रत्न से नवाजा।
12 बंगाल फिल्म पत्रकार संगठन अवॉर्ड मिले।
1948 से 1989 तक 30 हजार से ज्यादा गाने गाए, जो एक रिकॉर्ड है।
लता दीदी को कब कौन सा मिला सम्मान —
फिल्म फेयर पुरस्कार 1958, 1962, 1965, 1969, 1993 और 1994
राष्ट्रीय पुरस्कार 1972, 1975 और 1990
महाराष्ट्र सरकार पुरस्कार 1966 और 1967
1969 में पद्म-भूषण, 1989 में ‘दादा साहेब फाल्के पुरस्कार’
1993 में फिल्म फेयर का ‘लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार’
1996 में स्क्रीन के ‘लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार’ से सम्मानित
1997 में ‘राजीव गांधी पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया
1999 में पद्मविभूषण, एन.टी.आर. और ज़ी सिने के ‘लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार’
2000 में आइफा का ‘लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार’
2001 में स्टारडस्ट के ‘लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार’
नूरजहां पुरस्कार, महाराष्ट्र भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया
2001 में देश के सर्वोच्च पुरस्कार ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया