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Dial 112 की खस्ताहाल गाड़ियों पर HC सख्त: बिलासपुर हाईकोर्ट ने DGP के जवाब को बताया अधूरा, दोबारा मांगा स्पष्टीकरण

Dial 112 Vehicle Scam: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने डायल 112 की वर्षों से खड़ी नई और जर्जर गाड़ियों को लेकर DGP के अधूरे जवाब पर नाराजगी जताई है।

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Shashank Kumar
Bilaspur High Court

Dial 112 की खस्ताहाल गाड़ियों पर HC सख्त

Dial 112 Vehicle Scam: छत्तीसगढ़ की आपातकालीन सेवा डायल 112 की कार्यप्रणाली पर उठते सवालों को लेकर बिलासपुर हाईकोर्ट ने बड़ा कदम उठाया है। राज्य में वर्षों से खड़ी जर्जर गाड़ियों और दो साल से उपयोग में नहीं लाए गए नए वाहनों की स्थिति को लेकर कोर्ट ने डीजीपी (पुलिस महानिदेशक) के जवाब को नाकाफी बताते हुए कड़ी नाराजगी जताई है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच ने डीजीपी से नए सिरे से व्यक्तिगत शपथ पत्र के साथ विस्तृत जवाब तलब किया है।

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मीडिया रिपोर्ट से शुरू हुआ जनहित मामला

मीडिया में सामने आई रिपोर्ट्स के अनुसार, राज्य सरकार द्वारा खरीदे गए नए डायल 112 वाहन बीते दो वर्षों से बिना उपयोग के खड़े-खड़े खराब हो चुके हैं। वहीं, पुराने वाहनों की भी देखरेख नहीं हो रही, जिससे इमरजेंसी सेवा की कार्यक्षमता बुरी तरह प्रभावित हो रही है। जनता तक समय पर सहायता नहीं पहुंच पा रही, जिससे जनहित में संकट की स्थिति बनी हुई है। इसी रिपोर्ट को संज्ञान में लेकर हाईकोर्ट ने इसे जनहित याचिका (PIL) के रूप में दर्ज किया।

https://twitter.com/BansalNews_/status/1976300446043017487

हाईकोर्ट ने डीजीपी के जवाब को बताया अधूरा

सुनवाई के दौरान डीजीपी की ओर से एक शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया, जिसमें बताया गया कि डायल 112 की जिम्मेदारी सी-डैक (C-DAC) को सौंपी गई है और नए वाहनों के तकनीकी डिजाइन और संचालन प्रक्रिया गृह विभाग की अनुमति से हो रही है। लेकिन कोर्ट ने इसे अधूरा और अस्पष्ट करार दिया। बेंच ने यह भी सवाल उठाया कि क्या सभी जिलों तक वाहन पहुंच गए हैं, और अगर पहुंच भी गए हैं तो क्या वे चालू हालत में हैं या अभी भी खड़े हैं?

गाड़ियों की खरीद, वितरण और देरी पर उठे सवाल

शपथपत्र में जानकारी दी गई कि 5 सितंबर 2023 और 29 अक्टूबर 2024 को 374 वाहन खरीदे गए, जिनमें से केवल 306 वाहनों का ही वितरण अब तक हो सका है। शेष वाहनों का वितरण "जल्द किया जाएगा"- इस बयान को भी कोर्ट ने असंतोषजनक माना। इससे पहले, जून 2023 और मार्च 2024 में दो बार टेंडर प्रक्रिया हुई थी, लेकिन अपर्याप्त भागीदारी और अनुमति न मिलने के कारण इसे रद्द किया गया था।

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कोर्ट ने पूछा- क्या किसी वाहन को हुआ नुकसान?

डीजीपी की ओर से दावा किया गया कि किसी वाहन को कोई नुकसान नहीं पहुंचा और कोई आर्थिक हानि नहीं हुई, लेकिन कोर्ट ने इस दावे को ठोस साक्ष्यों के अभाव में अधूरा बताया। कोर्ट ने कहा कि दो साल से खड़े वाहनों की स्थिति, रखरखाव, और उपयोग की योजना को लेकर विस्तृत रिपोर्ट अनिवार्य है।

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नए शपथ पत्र के लिए 24 नवंबर की समय-सीमा तय

हाईकोर्ट ने अब 24 नवंबर 2025 की अगली सुनवाई के पहले डीजीपी को निर्देश दिया है कि वे व्यक्तिगत रूप से शपथ पत्र दाखिल करें और स्पष्ट करें कि कितने वाहन ऑपरेशनल हैं, किस हालत में हैं, और जनता को आपातकालीन सेवा का लाभ कब और कैसे मिलेगा।

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इस मामले में बिलासपुर हाईकोर्ट का रुख बेहद सख्त है। अदालत का यह कहना कि “जनहित से जुड़े इस मुद्दे में जवाबदेही से बचा नहीं जा सकता”- यह दर्शाता है कि राज्य में आपातकालीन सेवाओं की अनदेखी को अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

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