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Dhanteras 2025 Kab Hai: धनतेरस कब है 18 या 19 अक्टूबर, इस दिन धनिया खरीदने से क्या होता है, जानें धार्मिक मान्यता

Dhanteras 2025 Kab Hai: धनतेरस कब है 18 या 19 अक्टूबर, इस दिन धनिया खरीदने से क्या होता है, जानें धार्मिक मान्यता dhanteras-2025-kab-hai-date-tithi-kharidari-shubh-muhurat-dhaniya-kharidne-se-kya-hota-hai-upay-pds

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Preeti Dwivedi
Dhanteras 2025 kab hai

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Dhanteras 2025 Kab Hai Date Tithi Muhurat Hindi News: साल का सबसे बड़ा त्योहार दीपावली को लेकर तैयारियां शुरू हो गई हैं। घरों में रंग रोगन हो रही है। ऐसे में चलिए जानते हैं इस बार धनतेरस कब है। 18 या 19 अक्टूबर धनतेरस कब मनाई जाएगी।

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हिन्दू पंचांग के अनुसार धनतेरस का त्योहार कब मनाया जाएगा जानते हैं साथ ही जानेंगे कि धनतेरस पर धनिया खरीदना क्यों शुभ माना जाता है।

दीपावली के पांच दिन के उत्सव

कब है धनतेरस (Dhanteras 2025 kab hai) 

हिन्दू पंचांग के अनुसार दीपावली पांच दिनी पर्व की शुरुआत धनतेरस के दिन से होती है। इस साल धनतेरस 18 अक्टूबर शनिवार को मनाया जाएगा। इस दिन राहुकाल 09:15 एएम से 10:40 एएम तक रहेगा। हिन्दू पंचांग के अनुसार 18 अक्टूबर को दिन में 1:8 मिनट तक बारस तिथि है इसके बाद तेरस तिथि लगेगी।

कब है दीपावली

इस साल दीपावली का त्योहार 20 अक्टूबर सोमवार को मनाया जाएगा। इस दिन दोपहर 2:42 मिनट तक चौदस तिथि रहेगी। इसके बाद दीपावली का त्योहार आएगा।

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दीपावली के पांच दिन के उत्सव

धनतेरस: 18 अक्टूबर

रूपचौदस: 19 अक्टूबर

दीपावली: 20 अक्टूबर

अन्नकूट: 22 अक्टूबर

भाईदूज: 23 अक्टूबर

भारतीय परंपरा अनुसार धनतेरस पर देवताओं के वैद्य भगवान धन्वंतरी की पूजा भी जाती है। इस दिन धनवंतरी जयंती या धन त्रयोदशी भी कहते हैं।

ज्योतिषाचार्य से जानते हैं कि आखिर धनतेरस क्यों मनाते (dhanteras kyon manate hain) हैं, साथ ही इसके पीछे कौन सी कथाएं प्रचलित हैं। क्या सच में इस दिन दीपदान का उपाय करने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है।

पांच दिनी होता है त्योहार

दीपावली पांच पर्वों का समूह है जो कि धनतेरस से प्रारंभ होता है। आपको बता दें धनतेरस को धनत्रयोदशी धन्वंतरी जयंती या यम त्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है। धनतेरस मनाने को लेकर दो अलग-अलग कथाएं हैं।

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धनतेरस से जुड़ी पौराणिक कथाएं और मान्यताएं

पहली कथा

पहली कथा के अनुसार इसी दिन समुंद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरी अमृत लेकर प्रकट हुए थे। यानि इस दिन मानव जाति को अमृत रूपी औषधि प्राप्त हुई थी। इस औषधि की एक बूंद व्यक्ति के मुख में जाने से व्यक्ति की कभी भी मृत्यु नहीं होती है।

दूसरी कथा

दूसरी कथा के अनुसार कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को रात्रि के समय पूजन एवं दीपदान (Deepdan kyon karte hain) को विधि पूर्वक पूर्ण करने से अकाल मृत्यु से छुटकारा मिलता है। इसमें दीपक और पूजन का महत्व बताया गया है।

क्या है धन तेरस का वैज्ञानिक कारण Dhanteras 2025

अगर हम वैज्ञानिक दृष्टिकोण की बात करें तो पंडित अनिल पांडे के अनुसार यम देव ने संभवत एक ऐसे तेल का आविष्कार किया था। जिसका दीप बनाकर प्रयोग करने से उस दीप की लौ से निकलने वाले गैस को ग्रहण करने से अकाल मृत्यु (Akal Mtrityu se bachne ke upay) से व्यक्ति को छुटकारा मिलता था। अगर हम ध्यान दें तो इन दोनों कथाओं का संबंध व्यक्ति के स्वास्थ्य से है।

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क्या है धनतेरस का ऋतुओं से संबंध

अगर हम इस त्योहार को सामान्य दृष्टिकोण से देखें तो हम पाते हैं कि कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तक वर्षा ऋतु समापन पर आ जाती है और इस दिन पूजा पाठ करने और दीपक जलाने से विभिन्न प्रकार के कीट पतंगे नष्ट होते हैं। जो हमारे स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकते हैं।

जैन समाज में क्या है इसका महत्व

जैन समाज में धनतेरस को ‘धन्य तेरस’ या ‘ध्यान तेरस’ भी कहते हैं। भगवान महावीर इस दिन तीसरे और चौथे ध्यान में जाने के लिये योग निरोध के लिये चले गये थे।

तीन दिन के ध्यान के बाद योग निरोध करते हुए दीपावली के दिन निर्वाण को प्राप्त हुए थे। तभी से यह दिन धन्य तेरस के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

धनतेरस पर क्यों खरीदना चाहिए बर्तन

एक पौराणिक कथा के अनुसार धन्वंतरी जब प्रकट हुए थे, तो उनके हाथो में अमृत से भरा कलश था। भगवान धन्वंतरी चूँकि कलश लेकर प्रकट हुए थे, इसलिए ही इस अवसर पर बर्तन खरीदने की परम्परा है।

कहीं-कहीं लोकमान्यता के अनुसार यह भी कहा जाता है, कि इस दिन धन (वस्तु) खरीदने से उसमें तेरह गुणा वृद्धि होती है।

धनतेरस पर धनिया क्यों खरीदना चाहिए

धनतेरस पर धनिया खरीदना और उसे मां लक्ष्मी को अर्पित करना शुभ माना जाता है. धनिया को धन का प्रतीक भी कहा जाता है. पूजा के बाद इन बीजों को अपनी तिजोरी या धन के स्थान पर रखने से बरकत आती है.

इस अवसर पर लोग धनियाँ के बीज खरीद कर भी घर में रखते हैं। दीपावली के बाद इन बीजों को लोग अपने बाग-बगीचों में या खेतों में बोते हैं। धनतेरस के दिन चाँदी खरीदने की भी प्रथा है।

लोग इस दिन ही दीपावली की रात लक्ष्मी, गणेश की पूजा हेतु मूर्ति भी खरीदते हैं। आप सभी को यह जानकर प्रसन्नता होगी की धनतेरस को भारत सरकार ने राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के रूप में मान्यता दी है।

नोट: इस लेख में दी गई सभी जानकारियां सामान्य सूचनाओं पर आधारित हैं। बंसल न्यूज इस​की पुष्टि नहीं करता। अमल में लाने से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर ले लें।

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