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Lighting 13 diyas on Dhanteras 2025 : दीपावली का शुभ पर्व धनतेरस से आरंभ होता है, जिसे धनत्रयोदशी भी कहा जाता है। यह दिन धन, स्वास्थ्य, समृद्धि और शुभता का प्रतीक माना जाता है। इस दिन भगवान धन्वंतरि, धन के देवता कुबेर और मां लक्ष्मी की पूजा का विशेष विधान होता है।
धार्मिक मान्यता है कि धनतेरस की रात 13 दीपक जलाने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और घर में सुख, संपत्ति, और समृद्धि का वास होता है। साथ ही, ये दीपक जीवन से अंधकार, रोग, नकारात्मक ऊर्जा और अकाल मृत्यु जैसी आशंकाओं को दूर करते हैं।
13 दीपकों की यह परंपरा अत्यंत प्राचीन है और हर दीपक का अपना विशिष्ट स्थान, दिशा और महत्व होता है। आइए जानते हैं धनतेरस पर 13 दीपक कहां और कैसे जलाने चाहिए, तथा उनका धार्मिक अर्थ क्या है।
13 दीपकों को जलाने का सही क्रम और उनका महत्व
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13 दीपकों को जलाने का सही क्रम और उनका महत्व[/caption]
1 पहला दीपक यमराज को समर्पित दीपक
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पहला दीपक यमराज को समर्पित दीपक[/caption]
स्थान: मुख्य द्वार के बाहर, कचरे या नाली के पास दक्षिण दिशा की ओर मुख करके।
तेल: सरसों का तेल।
बत्तियां: चार।
महत्व: यह दीपक यमराज को अर्पित किया जाता है। ऐसा करने से परिवार को अकाल मृत्यु से सुरक्षा मिलती है और घर में शांति बनी रहती है।
2 दूसरा दीपक पूजाघर में देवी-देवताओं के समक्ष
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दूसरा दीपक पूजाघर में देवी-देवताओं के समक्ष[/caption]
स्थान: घर के पूजास्थल में देवी-देवताओं के आगे।
तेल: घी (शुद्ध देशी घी में केसर की बत्ती डालना अत्यंत शुभ)।
महत्व: यह दीपक मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु को प्रसन्न करता है। इससे सौभाग्य, धन और मानसिक शांति की प्राप्ति होती है।
3 तीसरा दीपक घर के मुख्य प्रवेश द्वार पर
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तीसरा दीपक घर के मुख्य प्रवेश द्वार पर[/caption]
स्थान: दरवाजे के दोनों ओर या ठीक सामने।
महत्व: यह दीपक घर में प्रवेश करने वाली नकारात्मक ऊर्जा को रोकता है और शुभता, सौभाग्य एवं समृद्धि को आमंत्रित करता है।
4 चौथा दीपक तुलसी के पौधे के पास
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चौथा दीपक तुलसी के पौधे के पास[/caption]
स्थान: आंगन या बालकनी में स्थित तुलसी माता के पास।
महत्व: तुलसी में स्वयं लक्ष्मी का वास होता है। यह दीपक परिवार में सुख, शांति और प्रेम बढ़ाता है। घर के वातावरण को शुद्ध करता है और लक्ष्मी कृपा को स्थायी बनाता है।
5 पांचवां दीपक घर की छत या ऊँचे स्थान पर
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पांचवां दीपक घर की छत या ऊँचे स्थान पर[/caption]
स्थान: छत या किसी ऊंचे कोने में।
महत्व: यह दीपक घर की सुरक्षा का प्रतीक है। यह वास्तुदोष को दूर करता है और पूरे घर को सकारात्मक ऊर्जा से भर देता है।
6 छठा दीपक पीपल के वृक्ष के नीचे
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छठा दीपक पीपल के वृक्ष के नीचे[/caption]
स्थान: पास में कोई पीपल का पेड़ हो तो उसके नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
महत्व: पीपल में सभी देवताओं का वास माना जाता है। यह दीपक स्वास्थ्य संबंधी कष्टों और आर्थिक अड़चनों को दूर करता है।
7 सातवां दीपक श्रद्धा और आस्था का प्रतीक
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सातवां दीपक श्रद्धा और आस्था का प्रतीक[/caption]
स्थान: जहां मन की शांति मिले, वहां जलाएं।
महत्व: यह दीपक आत्मिक शुद्धता, मन की स्थिरता और ईश्वरीय आस्था का प्रतीक है। इसे जलाते समय ईश्वर से अपने मन के नकारात्मक विचारों को दूर करने की प्रार्थना करनी चाहिए।
8 आठवां दीपक कूड़े या स्टोर रूम के पास
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आठवां दीपक कूड़े या स्टोर रूम के पास[/caption]
स्थान: घर के उस हिस्से में जहां गंदगी या पुरानी वस्तुएं रखी हों।
महत्व: यह दीपक दरिद्रता, आलस्य और नकारात्मकता को समाप्त करता है। इसे जलाने से घर में नयी ऊर्जा और स्वच्छता बनी रहती है।
9 नौवां दीपक वॉशरूम या टॉयलेट के बाहर
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नौवां दीपक वॉशरूम या टॉयलेट के बाहर[/caption]
स्थान: बाथरूम के बाहर, लेकिन अंदर नहीं।
महत्व: यह दीपक उस स्थान की नकारात्मक ऊर्जा को निष्क्रिय करता है और वातावरण को शुद्ध बनाए रखता है।
10 दसवां दीपक घर को बुरी शक्तियों से सुरक्षा देने वाला दीपक
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स्थान: घर के मुख्य भाग में या आंगन में।
महत्व: यह दीपक घर को नजर दोष, बुरी शक्तियों और नकारात्मक प्रभावों से सुरक्षित रखता है।
11 ग्यारहवां दीपक छत पर या आकाश की ओर

स्थान: खुले आकाश की ओर मुख करके छत पर।
महत्व: यह दीपक वातावरण में आनंद, उल्लास और सौहार्द का संचार करता है। इससे घर में खुशहाली और समृद्धि बनी रहती है।
12 बारहवां दीपक बेल के पेड़ के नीचे
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बारहवां दीपक बेल के पेड़ के नीचे[/caption]
स्थान: बेल वृक्ष के पास या उसके नीचे।
महत्व: बेल वृक्ष लक्ष्मी और शिव दोनों के प्रिय हैं। इस दीपक को जलाने से धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
13 तेरहवां दीपक चौराहे या गली के मोड़ पर
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तेरहवां दीपक चौराहे या गली के मोड़ पर[/caption]
स्थान: घर के पास के चौराहे, गली या मोड़ पर।
महत्व: यह दीपक जीवन में आने वाली रुकावटों को दूर करता है और शुभ अवसरों का मार्ग प्रशस्त करता है। इससे सकारात्मकता, सौभाग्य और आत्मिक प्रकाश बढ़ता है।
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