MP News: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व सर कार्यवाह सुरेश सोनी ने भोपाल में शिक्षा भूषण अखिल भारतीय सम्मान समारोह में कहा कि शिक्षा के विकास के साथ समस्याएं भी बढ़ रही हैं। उन्होंने कहा कि विकास की यात्रा पर आगे बढ़ने के लिए शिक्षित होना जरूरी है। इस मौके पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, स्कूल शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप सिंह और अन्य अतिथि उपस्थित रहे। कार्यक्रम में प्रो. केके अग्रवाल, प्रो. रामचंद्र आर और प्रो. कुसुमलता केडिया को ‘शिक्षा भूषण’ सम्मान से सम्मानित किया गया।
दुनिया में भ्रष्टाचार बढ़ रहा
सुरेश सोनी ने कहा कि शिक्षा के विकास के साथ भ्रष्टाचार और मूल्यों का क्षरण भी बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि दुनिया में आतंकवाद, सामाजिक विखंडन और मानवीय संघर्ष बढ़ रहे हैं। सोनी का मानना है कि इसके पीछे मौलिक गड़बड़ी है और समग्र शिक्षा के चिंतन की जरूरत है ताकि हम इन समस्याओं का समाधान कर सकें। सुरेश सोनी ने कहा कि वास्तविक विकास तभी हो सकता है जब हमारे आसपास के परिवेश और मानव के जीवन मूल्यों का विकास हो। उन्होंने कहा कि शिक्षा के संदर्भ में स्पष्टता होनी चाहिए। शिक्षा का मतलब केवल टेक्नोलॉजी, इन्वेंशन या अंकोपार्जन नहीं है, बल्कि यह इससे अलग है। हमें शिक्षा की परिभाषा को फिर से परखने की जरूरत है ताकि मानवीय मूल्यों का विकास हो सके।
कॉन्वेंट स्कूलों की तरफ लोगों का झुकाव ज्यादा
बीजेपी के राज्यसभा सांसद डॉ. उमेश नाथ महाराज ने कहा कि आज की शिक्षा पद्धति में गुरु-शिष्य परंपरा की कमी है। प्राचीन गुरुकुल प्रणाली की जगह अब इंग्लिश मीडियम स्कूलों की ओर झुकाव है। 99% माताएं अपने बच्चों को कॉन्वेंट स्कूल में भेजना चाहती हैं, लेकिन गुरु की शरण में नहीं। इससे मानवीय जीवन का पथ बिगड़ जाता है और हम पाश्चात्य सभ्यता की ओर बढ़ जाते हैं। उन्होंने कहा कि हमें अपनी प्राचीन शिक्षा प्रणाली को फिर से अपनाने की जरूरत है। डॉ. उमेश नाथ महाराज ने कहा कि वे नवरात्रि में 9 दिन के मौन व्रत रखते हैं और इस दौरान सामाजिक सुधार के बारे में सोचते हैं। उन्होंने कहा कि देश में 25 लाख संन्यासी हैं, लेकिन वे सिर्फ अपने कल्याण में उलझ जाते हैं और समाज के लिए काम नहीं करते।
"शिक्षक कभी साधारण नहीं होते, वे राष्ट्र निर्माण में अहम भूमिका निभाते हैं"
रवीन्द्र भवन, भोपाल में शैक्षिक फाउण्डेशन एवं अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित 'शिक्षा भूषण' अखिल भारतीय शिक्षक सम्मान समारोह में सहभागिता की एवं शिक्षा के क्षेत्र में… pic.twitter.com/NtAquC9mNY
— Dr Mohan Yadav (@DrMohanYadav51) October 6, 2024
सीएम मोहन यादव ने रामायण का दिया उदाहरण
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि गुरु पूर्णिमा पर अक्सर यह सवाल उठता है कि क्या शिक्षकों का सम्मान करना चाहिए या नहीं। गुरु और शिक्षक में अंतर करना एक बड़ी चुनौती है जिसका उन्होंने उल्लेख किया है। उन्होंने महाराज की बात का समर्थन करते हुए कहा कि महाराज ने अपने धाम में रहकर अलग धारा में रहते हुए भी संसार के सुधार के लिए काम किया है। उन्होंने रामायण काल में गुरु वशिष्ठ के योगदान का उल्लेख किया, जिन्होंने दशरथ जी के घर जाकर राम और लक्ष्मण को जंगल में ले जाने का काम किया था। यह घटना रामायण के इतिहास में महत्वपूर्ण है और यह दर्शाती है कि गुरु की भूमिका समाज में कितनी महत्वपूर्ण होती है।