नई दिल्ली। देव उठनी Dev Uthni Ekasathi 15 Nov एकादशी को मां तुलसी के विवाह के साथ ही विवाह मुहूर्त शुरू हो जाएंगे। कुंडली के मिलान और गुणों के आधार पर शादी की शुभ तारीखों के साथ ही विवाह की तैयारियां शुरू हो जाएंगी। पर ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस समय हम आपको कुछ ऐसी खास बातें बताने जा रहे हैं। जिसे देखकर आप भी जान सकते हैं कि आपके घर में होने वाला विवाह सभी नियमानुसार हो रहा है या नहीं।
इन बातों का रखें ध्यान
- वैसे तो नक्षत्र 27 होते हैं। जिनमें से हर नक्षत्र का अपना एक अलग महत्व होता है। पर क्या आप जानते हैं इनसे 10 नक्षत्र ऐसे होते है। जिनमें कभी विवाह मुहूर्त नहीं निकालना चाहिए। इन दस नक्षत्रों में आर्दा, पुनर्वसु, पुष्य, आश्लेषा, मघा, पूर्वाफाल्गुणी, उतराफाल्गुणी, हस्त, चित्रा, स्वाति शामिल हैं। इसके अलावा सूर्य अगर सिंह राशि में गुरु के नवांश में गोचर करे, तो भी विवाह नहीं करना चाहिए।
- कहते हैं शुक्र पूर्व दिशा में उदित होने के बाद तीन दिन तक बाल्यकाल में रहता है। इस दौरान इन्हें पूर्ण फल देने वाला नहीं माना जाता। इसी तरह जब वो पश्चिम दिशा में होते हैं तो वी 10 दिन तक बाल्यकाल में ही होते हैं। वहीं पूर्व दिशा में शुक्र के अस्त होने से पहले 15 दिन तक फल देने में असमर्थ होता हैं।
- पश्चिम में अस्त होने से 5 दिन पूर्व तक वृद्धावस्था में होता है। ऐसी स्थिति में विवाह का मुहूर्त निकलवाना ज्यादा उचित नहीं माना जाता। वैवाहिक जीवन को बेहतर बनाने के लिए शुक्र का शुभ स्थिति में होना और पूर्ण फल देना जरूरी होता है।विवाह के लिए गुरु एक महत्व पूर्ण कारक माना जाता है। इसके लिए गुरू किसी भी दिशा मे उदित या अस्त हों। दोनों ही परिस्थितियों में 15-15 दिनों के लिए बाल्यकाल में वृ्द्धावस्था में होते हैं। इस दौरान विवाह कार्य संपन्न करने का कार्य नहीं करना चाहिए।
- पुत्री का विवाह करने के 6 सूर्य मासों की अवधि के अन्दर सगे भाई का विवाह किया जा सकता है। लेकिन पुत्र के विवाह के 6 महीने बाद पुत्री का विवाह नहीं किया जाना चाहिए। ऐसा करना अशुभ माना जाता है। दो सगे भाइयों या बहनों का विवाह भी 6 मास से पहले नहीं करना चाहिए।
- इसी तरह अमावस्या से 3 दिन पहले व 3 दिन बाद तक चंद्र का बाल्य काल माना जाता है। इस समय में भी विवाह कार्य नहीं किए जाने चाहिए। ज्योतिष शास्त्र में ऐसा माना जाता है कि शुक्र, गुरु व चन्द्र, इनमें से कोई भी ग्रह यदि बाल्यकाल में हो तो उसकी पूर्ण रूप से अपना शुभ फल नहीं दे पाता। जबकि सुखी वैवाहिक जीवन के लिए इन तीनों ग्रहों का शुभ होना बहुत जरूरी है।
घर के ज्येष्ठ का ज्येष्ठ में न निकालें विवाह
यदि आपकी संतान घर की सबसे बड़ी संतान है। उसका जीवनसाथी भी अपने घर का ज्येष्ठ है। ऐसे में विवाह का मुहूर्त ज्येष्ठ माह में न निकलवाएं। ऐसा होने पर त्रिज्येष्ठा नामक योग बनता है, इसे शुभ नहीं माना जाता। लेकिन अगर वर या वधु में से कोई एक ज्येष्ठ हो, तो विवाह ज्येष्ठ मास में किया जा सकता है।
एक लड़के से दो सगी बहनों का विवाह नहीं करना चाहिए। न ही दो सगे भाइयों का विवाह दो सगी बहनों से करना चाहिए। इसके अलावा दो सगे भाइयों या बहनों का विवाह भी एक ही मुहूर्त समय में नहीं करना चाहिए। जुड़वां भाइयों का विवाह जुड़वा बहनों से नहीं करना चाहिए। हालांकि सौतेले भाइयों का विवाह एक ही लग्न समय पर किया जा सकता है।