Dev Uthani Ekadashi Ganna Puja Fact: साल की सबसे बड़ी एकादशी, देव उठनी एकादशी (Dev Uthani Ekadashi Fact 2024 Date) इस साल 12 नवंबर 2024 मंगलवार को मनाई जाएगी। कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देव उठनी ग्यारस, देव उठनी एकादशी और तुलसी विवाह (Tulsi Vivah), गन्ना पूजा (Ganna Puja 2024) के नाम से जानते हैं।
हिन्दू धर्म में ऐसी मान्यता है कि यदि तुलसी विवाह पर तुलसी के पत्तों से जुड़ा एक खास उपाय (Upay) कर लिया जाए तो लोगों को जीवन में आ रहे सारे कष्टों से मुक्ति मिल सकती है। साथ ही जानेंगे कि इस दिन भगवान की पूजा के चौक में तराजू (Taraju) , बांट, चांद, सूरज, क्यों बनाए जाते हैं।
देवउठनी एकादशी पूजा विधि
देवशयनी एकादशी पर निंद्रा लोग में एक देव विष्णु देवउठनी एकादशी पर उठ जाएंगे। इस दिन की पूजा विधि अन्य पूजाओं से थोड़ी अलग होती है, वो इसलिए क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु और मां तुलसी का विवाह होता है।
देवउठनी एकादशी पर क्यों बनाते हैं तराजू और बांट
ज्योतिषाचार्य पंडित रामगोविंद शास्त्री के अनुसार देवउठनी एकादशी पर भगवान की पूजा में सबसे पहले एक सुंदर चौक बनाया जाता है। उसके चारों ओर गेरू से तराजू, बांट, चंदा, सूरज, विष्णु के चरण कमल आदि बनाए जाते हैं। इसके पीछे कई मान्यताएं हैं।
एकदशी पर विभिन्न वर्ण के लोग अपने व्यवसाय के प्रतीक के रूप में चौक के समक्ष चित्र बनाते हैं। वैश्य समाज तराजू और बांट के रूप में इसे बनाते हैं। तो वहीं ब्राहृण लोग कमल को प्रतीक रूप में बनाते हैं। देवउठनी एकादशी पर भगवान से प्रार्थना की जाती है कि निंद्रा लोक से जागने पर भगवान उनके व्यवसाय पर कृपा दृष्टि बनाए रखें।
देवउठनी एकादशी पर क्यों बनाते हैं चांद-सूरज
तुलसी विवाह में चौक के सामने चांद-सूरज भी बनाया जाता है। ज्योतिष में चांद सूरज को सभी नौ ग्रहों (Nav Grah) में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। यही कारण है कि देव उठनी एकादशी के चौक (Dev Uthani Ekadashi Chauk) में चांद सूरज बनाया जाता है। इसके अलावा भगवान विष्णु के चरण (Lord Vishnu) कमल इस दिन जरूर बनाना चाहिए।
तुलसी के पत्ते के उपाय (Tulsi ke Patte ke Upay)
देवउठनी एकादशी यानी कार्तिक माह का सबसे खास त्योहार है। ऐसी मान्यता है कि कार्तिक माह में मां तुलसी का जन्म हुआ था। इसलिए इस महीने तुलसी से जुड़ा ये खास उपाय (Tulsi ke Upay) किया जाए तो जीवन के सारे कष्ट दूर होते हैं। ज्योतिषाचार्य के अनुसार देवउठनी एकादशी (Dev Uthani Ekadashi) पर 108 तुलसी के पत्ते (Tulise ke Patte ke Upay) लेकर उस पर सफेद या पीले चंदन से सीताराम लिखें। फिर इन पत्तों को पूजा के बाद चढ़ाएं। चढ़ाने के दौरान आपके मन में जो भी प्रार्थना है उसे कहते हुए ये माला चढ़ाएं।
ऐसी मान्यता है कि इस उपाय से जीवन के सारे कष्ट दूर होते हैं।
तुलसी जी के मंत्र
महाप्रसाद जननी सर्व सौभाग्यवर्धिनी, आधि व्याधि हरा नित्यं तुलसी त्वं नमोस्तुते।।
मां तुलसी का पूजन मंत्र
तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी।
धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया।।
तुलसी माता का ध्यान मंत्र
तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी।
धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया।।
लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्।
तुलसी भूर्महालक्ष्मी: पद्मिनी श्रीर्हरप्रिया।।
तुलसी स्तुति मंत्र
देवी त्वं निर्मिता पूर्वमर्चितासि मुनीश्वरैः
नमो नमस्ते तुलसी पापं हर हरिप्रिये।।
तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी।
धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया।।
लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्।
तुलसी भूर्महालक्ष्मी: पद्मिनी श्रीर्हरप्रिया।।
तुलसी नामाष्टक मंत्र
वृंदा वृंदावनी विश्वपूजिता विश्वपावनी।
पुष्पसारा नंदनीय तुलसी कृष्ण जीवनी।।
एतभामांष्टक चैव स्त्रोतं नामर्थं संयुतम।
य: पठेत तां च सम्पूज्य सौश्रमेघ फलंलमेता।।