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Dev Jageshwar Nath Dham: बांदकपुर का यह स्वयंभू शिवलिंग हर साल चौड़ा हो जाता है, न ओर है न छोर

Dev Jageshwar Nath Dham: बुंदेलखंड क्षेत्र के दमोह जिले के बांदकपुर देव जागेश्वरनाथ धाम का शिवलिंग हर साल चौड़ा हो जाता है, न ओर है न छोर.

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Shyam Nandan
Dev Jageshwar Nath Dham: बांदकपुर का यह स्वयंभू शिवलिंग हर साल चौड़ा हो जाता है, न ओर है न छोर

Dev Jageshwar Nath Dham: बुंदेलखंड के दमोह जिले में स्थित बांदकपुर का प्रसिद्ध देव जागेश्वरनाथ धाम तीर्थ लोगों के लिए आस्था का महान केंद्र है। यहां पर भगवान शिव का स्वयंभू विशाल शिवलिंग सदियों से विराजमान है।

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सावन में यहां का नजारा अलग ही रहता है। शिव भक्तों की भीड़ उमड़ती है। भोलेनाथ के जयकारे से चारों दिशाएं गूंजने लगती हैं।

दमोह में स्थापित करने का प्रयास विफल

कहते हैं, मराठा शासन काल में दमोह के दीवान चांदोलकर राव को भगवान शिव ने संकेत दिया था। वे कहीं जा रहे थे, तब उनका घोड़ा यहां अपनी टाप बार-बार कुरेदने लगा था।

खोज करने पर उन्हें यहां पर विशाल शिवलिंग नजर आया। पहले चांदोलकर जी ने कोशिश की कि यह शिवलिंग दमोह में स्थापित हो जाए। इसलिए खोदकर शिवलिंग निकालने की बहुत कोशिश की गई। लेकिन वे विफल रहे।

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तीन सौ साल पहले बना था मंदिर

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इस मंदिर के प्रधान पुजारी पंडित राम कृपाल पाठक ने बताया जब इसे खोद कर दमोह ले जाने का प्रयास किया गया तो शिवलिंग का कोई ओर-छोर और अंत नहीं मिला। शिवलिंग को दमोह में स्थापित करने का दीवान जी का प्रयास विफल हो गया।

तब अंततः बांदकपुर में ही इस स्वयंभू शिवलिंग के लिए मंदिर स्थापित किया गया। इसे दीवान बालाजी चांदोलकर द्वारा सन 1711 में बनवाया गया था।

हर साल चौड़ा होता है स्वयंभू शिवलिंग

सदियों से बुंदेलखंड क्षेत्र में बांदकपुर में स्थित जागेश्वरनाथ धाम का शिवलिंग लोगों के कुतूहल और आश्चर्य का विषय रहा है।

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आप मानें या न मानें लेकिन यह शिवलिंग प्रत्येक वर्ष चौड़ा होता जा रहा है। यह क्यों और कैसे बढ़ जाता है, इसके पीछे क्या कारण है, यह अभी तक अज्ञात है।

जागेश्वरनाथ का सावन में अभिषेक का विशेष महत्व

मंदिर के पुजारी सीटू पंडा ने बताया कि सावन के महीने में भगवान जागेश्वरनाथ के अभिषेक का विशेष महत्व है। यही वजह है कि यहां पर महीने भर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है।

सावन शुरू होते ही यहां न सिर्फ दमोह बल्कि दूर-दूर से भक्तों का आना शुरू हो गया है। बाबा यहां आने वालों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं।

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सवा लाख कांवड़ चढ़ने पर झुक जाते हैं मंदिर के पताके

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बता दें, इस मंदिर में शिवलिंग का अभिषेक करने के लिए विभिन्न स्थानों से कांवड़िया आते हैं। कहते हैं, जब यहां सवा लाख कावड़ चढ़ जाता है, तो भगवान शिव और माता पार्वती के मंदिर के शिखर पर लगे पताके (झंडे) खुद-ब-खुद झुक जाते हैं।

स्थानीय लोगों का दावा है कि यह दृश्य उन्होंने  स्वयं अपनी आंखों से देखा गया है।

इस सावन आएंगे डेढ़ लाख से अधिक कांवड़िए

इस बार सावन का महीना अपने आप में विशेष है। वजह यह है कि इस साल सावन के सोमवार 8 हैं। यहां हर सोमवार एक से डेढ़ लाख लोगों के यहां पर पहुंचने की संभावना है।

मंदिर प्रबंधन की ओर से इसके लिए पूरी तैयारियां कर ली गई हैं। लगे हाथ आप यह भी जान लें कि अभिनेता आशुतोष राणा (aashutosh rana) और अभिनेत्री रेणुका शहाने ने यहीं इस मंदिर में परिणय-सूत्र में बंधे थे।

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