नई दिल्ली। इस समय दुनिया में सेमिकंडक्टर की भारी कमी है। इस वजह से भारत समेत दुनिया भर का बाजार अजीब स्थिति में खड़ा हो गया है। आने वाले समय में ऐसा भी हो सकता है कि आप पैसों से अपनी पसंद की चीज खरीदने के लिए बाजार जाएंगे, लेकिन आप उसे खरीद नहीं पाएंगे। चाहे आप बाजार से कंप्यूटर खरीदना चाहते हों या फिर स्मार्टफोन या अपनी पसंद की कार, या जरूरी चिकित्सा उपकरण, आप इन चीजों को समय पर नहीं खरीद पाएंगे।
दुनिया सेमिकंडक्टर की कमी से जूझ रही है
कंफ्यूज मत होइए, दरअसल, इस वक्त दुनिया सेमिकंडक्टर की भारी कमी से जूझ रही है और आधुनिक युग में इसी सेमिकंडक्टर की बदौलत दुनिया दौड़ती है। दुनियाभर के जितने भी इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद हैं उनमें सेमिकंडक्टर का इस्तेमाल किया जाता है। यानी साफ है कि सेमिकंडक्टर की कमी से बाकी जितने भी इलेक्ट्रॉनिक्स प्रोडक्ट्स हैं उन पर असर पड़ेगा।
कोरोना ने किया बेडा गर्ग
बतादें कि कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया के सप्लाई चेन को पटरी से उतार दिया है। वैश्विक स्तर पर सेमिकंडक्टर को बनाने वाले देश जैसे चीन, दक्षिण कोरिया, ताइवान, वियतनाम और जर्मनी बुरी तरह से कोरोना से प्रभावित रहे हैं। इसका असर उत्पादन पर भी पड़ा है और सफ्लाई चेन प्रभावित हुई है। इतना ही नहीं ऑटो इंडस्ट्री ने कोरोना काल में वाहनों की बिक्री हटने पर सेमिकंडक्टर भी खरीदना कम कर दिया था। जबकि दूसरी तरफ लॉकडाउन के दौरान वर्क फॉर्म होम कल्चर के कारण लैपटॉप और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों की मांग काफी बढ़ गई।
2023 तक करना पड़ सकता है सामना
मांग बढ़ने के कारण सेमिकंडक्टर का एक बड़ा हिस्सा इन क्षेत्रों में जाने लगा, लेकिन जैसे ही लॉकडाउन खत्म हुआ और ऑटो इंडस्ट्री फिर से पटरी पर आई इस सेक्टर में भी सेमिकंडक्टर की मांग अचानक से बढ़ गई। यही कारण है कि पूरी दुनिया में सेमिकंडक्टर की सप्लाई चेन गड़बड़ा गई है। जानकारों की मानें तो इस समस्या को तुरंत ठीक करना आसान नहीं है। क्योंकि सेमिकंडक्टर बनाना एक जटिल काम है और दुनिया की कुछ चुनिंदा कंपनियां ही इसे बनाती है। अन्य उत्पादों की तरह इसका रातोंरात उत्पादन नहीं बढ़ाया जा सकता। ऐसे में जानकार कह रहे हैं कि 2023 तक बाजारों को इस चुनौती का सामना करना पड़ सकता है।
भारत पर इसका असर
भारत भी इस संकट से प्रभावित हुआ है। क्योकि देश में चिप का निर्माण नहीं होता है। हम चिप के लिए पूरी तरह से आयात पर निर्भर रहते हैं। चिप की कमी कारण इस वक्त बाजार में कार से लेकर लैपटॉप और स्मार्टफोन तक हर चीज की कमी चल रही है। कई कार कंपनियां तो अपने ग्राहकों को समय पर डिलिवरी नहीं दे पा रही हैं। त्योहारी सीजन में भी ऑटोमोबाइल कंपनियों को सेमिकंडक्टर के कारण अपना उत्पादन आधा करना पड़ा है। देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारूति सुजुकी ने सितंबर में अपने उत्पादन में 60 फीसदी तक की कटौती की है। वहीं मंहिंद्रा ने भी अपने उत्पादन में 20 से 25 फीसदी की कटौती की है।
पांच लाख से ज्यादा कारों की डिलीवरी पेंडिंग
इस संकट का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि इस समय देश में पांच लाख से ज्यादा कारों की डिलीवरी पेंडिंग है। अकेले मारूति के कारों की संख्या 2.15 लाख से अधिक है। वहीं हुंदई एक लाख से अधिक कारों की बुकिंग ले चुकी है लेकिन उसके पास सप्लाई के लिए गाड़ियां नहीं हैं। यही हाल किआ, निशान, टोयोटा वाहनों का भी है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मारूति की सबसे लोकप्रिय हैचबैक कार स्विफ्ट की वेटिंग टाइम 3 माह है वहीं हुंदई की आई20 की वेटिंग टाइम 4-5 महीने है। एसयूवी ब्रेजा की वेटिंग टाइम तीन महीने तो हुंदई की क्रेटा की वेटिंग टाइम 6-7 महीने है।