भोपाल। Kaliyasot Encroachment: जब भी कोई मकान लेता है तो उसे दो परमिशन देखने के लिए जरूर कहा जाता है। पहला टाउन एंड कंट्री प्लानिंग (T&CP) की एप्रूवल प्लान यानी नक्शा और दूसरा नगरीय निकाय की परमिशन।
प्रॉपर्टी के मामले में यही दो डाक्यूमेंट सबसे महत्वपूर्ण माने जाते हैं और इसके आधार पर ही होम लोन (Home Loan) होता है। आज से 10 से 15 साल पहले राजधानी में अपना सपनों का घर बसाने के लिए लोगों ने भी प्रॉपर्टी लेने से पहले इन्हीं दो डाक्यूमेंट को देखा।
टीएंडसीपी का नक्शा और भोपाल नगर निगम (BMC) की अनुमति थी, यानी बिल्डर के पास एप्रूवल प्लान था तो लोगों ने फ्लैट और घर खरीद लिए। अब यही घर/फ्लैट अतिक्रमण (Kaliyasot Encroachment) के दायरे में आ गए हैं। हम बात कर रहे हैं राजधानी की इकलौती नदी कलियासोत पर हुए अतिक्रमण (Kaliyasot Encroachment) की।
नदी के ग्रीन बेल्ट के 33 मीटर के दायरे में भोपाल नगर निगम और टीएंडसीपी ने बिल्डर को वो सभी जरूरी अनुमतियां दी, जो निर्माण के लिए जरूरी थी। लोगों ने इन दस्तावेज को देखा, बैंक (Bank) को भी सब ठीक लगा। लोन (Home Loan) हुए और प्रॉपर्टी खरीद ली गई।
मामला एनजीटी (NGT) पहुंचा, आर्डर हुए तो नोटिस सिर्फ होम बायर्स को दिये जा रहे हैं। यानी इस मामले में दोषी सिर्फ पब्लिक ही है। न बिल्डर जिसने ग्रीन बेल्ट पर निर्माण किया और न ही वो अधिकारी जिन्होंने नदी के दायरे में निर्माण की सभी जरूरी अनुमतियां दी।
केस स्टडी 1 : कोरोना में पति-बेटे को खोया, अब फ्लैट भी अतिक्रमण में आया
कलियासोत के ग्रीन बेल्ट के दायरे में कई अतिक्रमण चिन्हित किये गए हैं। इनमें से एक राजधानी भोपाल के शिर्डीपुरम इलाके की रहवासी सोसायटी भूमिका रेसीडेंसी भी है।
भूमिका रेसीडेंसी (bhumika residency) में रहने वाली 50 साल की ममता मीरचंदानी की रातों की नींद उड़ चुकी है। ममता के पति और बेटे दोनो की मौत कोरोनाकाल में हो चुकी है।
फ्लैट में अकेलेपन से जूझ रही ममता हमेशा अपने बेटे और पति की फोटो इकटक देखती रहती है। ममता का यह दर्द अभी कम भी नहीं हुआ था और उनके सामने एक और बड़ी मुश्किल खड़ी हो गई है।
प्रॉपर्टी के नाम पर इकलौती छत भी छिनने का डर अब उन्हें सताने लगा है। वजह है कलियासोत नदी के ग्रीन बेल्ट को लेकर एनजीटी का वह फैसला, जिसमें अतिक्रमणों (Kaliyasot Encroachment) को तोड़ा जाना है। ममता मीरचंदानी का भी फ्लैट इसी जद में है।
पति और बेटे की मौत के बाद ममता अपने खाने-पीने की व्यवस्था भी बामुश्किल कर पा रही है। ममता मीरचंदानी से रूंधे हुए गले से सिर्फ इतना ही कह पाती हैं कि कोरोना में सबकुछ खत्म हो गया। मकान टूटा तो बेघर हो जाऊंगी। इसे मत तोड़ो, इसे बचा लो।
केस स्टडी 2 : फ्लैट टूटा तो मानसिक विक्षिप्त बेटी के साथ एक मां आ जाएगी सड़क पर
कलियासोत के ग्रीन बेल्ट के संरक्षण को लेकर जो आदेश आया उससे प्रभावित होने वाली ममता मीरचंदानी अकेली नहीं है, बल्कि 35 किमी लंबी इस नदी में सैंकड़ों ऐसे परिवार है, महिलाएं है जिनके पास इतना पैसा भी नहीं है कि वह शीर्ष अदालतों में वकीलों को मोटी फीस देकर अपना केस लड़ सके।
भूमिका रेसीडेंसी (bhumika residency) में ही रहने वाली मिनाक्षी सिंह की भी कमोवेश यही स्थिति है। मिनाक्षी के पति नहीं है। एक बेटी है जो मानसिक रूप से विक्षिप्त है। मिनाक्षी अपनी बेटी का जैसे-तैसे इलाज करवा पाती हैं।
ऐसे में यदि मिनाक्षी सिंह का भी फ्लैट टूटता है तो एक मां अपने मानसिक विक्षिप्त बेटी के साथ सड़क पर आ जाएगी।
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लाल निशान की दशहत में 666 परिवार
कलियासोत नदी के ग्रीन बेल्ट पर भोपाल के शहरी क्षेत्र में ही 666 अतिक्रमण (Kaliyasot Encroachment) चिन्हित किये गए हैं। राजस्व रिकॉर्ड के आधार पर नदी के फुल टैंक लेवल से 33 मीटर के दायरे में लाल निशान लगाये गए हैं।
इन लाल निशान की दशहत में 666 परिवारों की नींद उड़ चुकी है। सिग्नेचर-99 (signature-99) सोसायटी के रहवासी तो नदी के सीमांकन पर ही सवाल उठाते हैं।
रहवासियों के अनुसार साल 2016 में हुए सीमांकन में सोसायटी की बिल्डिंग ग्रीन बेल्ट से बाहर थी, लेकिन अब 120 में से 80 फ्लैट इसके दायरे में कैसे आ गए हैं। वे इस मामले की निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे हैं।
10 जनवरी के बाद हो सकती है कार्रवाई
सीमांकन हो जाने के बाद नगर निगम संबंधितों को नोटिस जारी कर रही है। 666 में से करीब 537 नोटिस जारी हो चुके हैं। 129 लोगों को नोटिस जारी करने में 10 जनवरी तक का समय और लगेगा। प्रशासन इसके बाद आगे की कार्रवाई कर सकता है।
सागर प्रीमियम टॉवर्स (sagar premium tower) में करीब 104 फ्लैट नदी के दायरे में आए हैं। यहां के रहवासियों का कहना है कि जिन्होंने परमिशन दी और जिन्होंने ये परमिशन ली, उन पर कार्रवाई होना चाहिए न की रहवासियों पर।
सबसे पहले हटेंगी दामखेड़ा की झुग्गियां
सर्वधर्म के पास से कार्रवाई की शुरुआत हो सकती है। सबसे पहले दामखेड़ा ए और बी सेक्टर में बनी झुग्गियों को हटाया जाएगा। हालांकि भूमिका रेसीडेंसी (bhumika residency) सहित अन्य रहवासी सोसायटियां शासन की कार्रवाई के विरूद्ध कोर्ट जाने की तैयारी कर रही हैं।
15 जनवरी से पहले रिपोर्ट करनी है सबमिट
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के समक्ष शासन को 15 जनवरी से पहले एक रिपोर्ट सबमिट करनी है। जिसमें कलियासोत नदी (Kaliyasot Encroachment) के ग्रीन बेल्ट का चिन्हांकन—सीमांकन कर अतिक्रमण (Kaliyasot Encroachment) हटाने और फिर वहां ग्रीनरी डेवलप करने तक को लेकर किये गए काम की जानकारी होगी।
एनजीटी यदि शासन की रिपोर्ट से संतुष्ट होती है और यह मानती है कि आदेश का पालन पूरी तरह से कर लिया गया है तो वह केस को बंद कर देगी, नहीं तो इस प्रकरण की दोबारा सुनवाई शुरू हो जाएगी।
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