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Bastar Dussehra 2023: प्रसिद्ध बस्तर दशहरा पर्व की डेरी गड़ाई रस्म आज, बन रहा है 50 फीट ऊंचा काष्ठ रथ

Bastar Dussehra: बस्तर का दशहरा पर्व अपनी अनूठी मान्यताओं, वैभवशाली परंपरा और अनुष्ठानों के लिए विश्व भर में विख्यात है।

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Agnesh Parashar
Bastar Dussehra 2023: प्रसिद्ध बस्तर दशहरा पर्व की डेरी गड़ाई रस्म आज, बन रहा है 50 फीट ऊंचा काष्ठ रथ

जगदलपुर से रजत वाजपेयी की रिपोर्ट।

जगदलपुर। Bastar Dussehra 2023: बस्तर का दशहरा पर्व अपनी अनूठी मान्यताओं, वैभवशाली परंपरा और सर्वाधिक दिनों तक चलने वाले अनुष्ठानों के लिए विश्व भर में विख्यात है। बस्तर दशहरे की प्रसिध्दि के कई कारण हैं, जिनमें ससबे प्रमुख कारण है इस पर्व का रामकथा से संबंध न होना।

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मां दुर्गा के दंतेश्वरी रुप की  होगी पूजा-अर्चना

देशभर जहां एक ओर दशहरा पर्व को रामकथा से जोड़कर मनाया जाता हैं। इस दिन को पूरी देश विजयादशमी के तौर पर मनाता है, वहीं बस्तर में यह पर्व मां शक्ति की पूजा करके मनाया जाता है। इस पर्व की बस्तर में महीनों पहले से तैयारियां की जाती है। इस मौके पर शक्ति स्वरुपा मां दुर्गा के दंतेश्वरी रुप की पूजा-अर्चना भव्य तौर की जाती है।

आज डेरी गड़ाई की रस्म होगी पूरी

दशहरा की दूसरी प्रमुख रस्म डेरी गड़ाई है। यह रस्म बुधवार को सिरहासार भवन में पूरी होगी। इसके साथ ही नए रथ का निर्माण शुरु हो जाएगा। बिरिंगपाल से लकड़ी लाई जाएगी। यह लकड़ी 10 फीट ऊंची होगी।

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पूजा करने के लिए इस लकड़ी को हल्दी लगाकर खड़ा किया जाएगा। इसे ही डेरी और खड़े करने की प्रक्रिया को गड़ाई कहा जाता है। इस रस्म के बाद बस्तर दशहरा में चलने वाले विशाल लकड़ी के रथ का निर्माण प्रारंभ हो जाएगा। इस साल 4 पहियों वाला रथ बनेगा।

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लकड़ी का रथ बना आकर्षण केंद्र

बस्तर के इस पर्व की दूसरी विशेषता है लकड़ी से बने 20 फीट चौड़े, 40 फीट लंबे और 50 फीट ऊंचे भव्य काष्ठ रथ की नगर परिक्रमा। इस पर्व का शुभारंभ श्रावण मास की हरेली अमावस्या को पाटजात्रा पूजा विधान के साथ होता है। इस विधान के मूल में क्षेत्रीय आदिवासियों की वनों व वृक्षों के प्रति श्रध्दा और आभार की अभिव्यक्ति की भावना सन्निहित है।

साल और तिनसा का उपयोग

बस्तर दशहरे के लिए बनने वाले काष्ठ रथ में केवल साल और तिनसा प्रजाति की लकड़ियों का उपयोग किया जाता है। डेरी गड़ाई रस्म अदा करने के बाद ही तिनसा प्रजाति की लकड़ियों से पहिए का एक्सल तो वहीं साल की लकड़ियों से रथ का निर्माण होता है।

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शक्ति पूजा का महापर्व

रामकथा से सीधा संबंध्द नहीं होने पर भी यह पर्व शक्ति पूजा के महापर्व के रुप में मनाया जाता है।  बस्तर शहर दशहरे को अपनी जातीय समरसता, राष्ट्रीय एकता की भावना का ज्वलंत प्रतीक तो है ही, साथ ही अपनी वैभवशाली परंपरा, अनूठी परंपराओं और अनुष्ठानों के कारण भी अद्भुत है, जो हर दर्शनार्थी पर्यटकों को मोह लेता है।

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