कॉनकोर्डिया यूनिवर्सिटी मॉट्रियल कनाडा/ द कन्वरसेशन। कम से कम तीन दशकों के दौरान शोधकर्ताओं ने इस बात के सबूत इकट्ठा किये हैं कि पहले से चला आ रहा तनाव शारीरिक स्थिरता को बरकरार रखने की प्रक्रिया में घुसपैठ के उद्देश्य से शरीर पर दबाव डालता है। इसे ‘एलोस्टैटिक लोड’ यानी शारीरिक रूप से कमजोर करने की प्रक्रिया कहा जाता है। ‘एलोस्टैटिक लोड'(Allostatic load)लोगों को विभिन्न प्रकार की हृदय, पाचनतंत्र, प्रतिरक्षा तंत्र और मानसिक समस्याओं आदि के प्रति संवेदनशील बनाता है। यह दिखाने के लिए साक्ष्य सामने आ रहे हैं कि मनोसामाजिक और आर्थिक तनाव स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं। लेकिन हमारे चिकित्सकों और स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों के पास इन सामाजिक व आर्थिक कारकों का विश्लेषण करके हमारे इलाज या बचाव के लिए आवश्यक उपकरण और विधियां नहीं हैं।
रहस्यमय दर्द के बारे में बताया
इसे एक व्यक्तिगत उदाहरण के जरिये समझने की कोशिश करते हैं। मैंने हाल ही में अपनी चिकित्सक से बात कर उन्हें रहस्यमय दर्द के बारे में बताया। यदि मुझे कोई विशिष्ट संक्रमण या चोट लगी होती, या मेरी रक्त गतिविधि अपूर्ण होती, तो गहन जांच और उससे मिली जानकारी बहुत उपयोगी होती। लेकिन मुझमें ऐसे लक्षण थे जो धीरे-धीरे पनपने शुरू हुए थे और कोविड व काम से संबंधित तनाव के कारण लगातार बढ़ रहे थे। मैं अपनी चिकित्सक को जब यह बता रही थी कि मेरा दर्द कैसे, कहां और कब शुरू हुआ, तब मुझे अपनी बिगड़ती हालत पर तरस आया। शायद इसे ही मानसिक तनाव कहा जा सकता है।बहुत से लोग इस अनुभव से गुजरते हैं। जो लोग इस दर्द का सामना करते हैं, उनके बारे में गलत धारणा और उनसे दूरी बनाने की जड़ें बहुत गहरी हैं। ये धारणाएं लैंगिक और नस्लीय आधार पर भी हो सकती हैं। यह ज्ञात है कि तनाव और सामाजिक व आर्थिक विषमताएं लोगों को बीमार बनाती हैं, लेकिन चिकित्सकों के पास बीमारी के उन कारणों को ठीक करने के लिए आवश्यक उपकरण नहीं हैं।
दवाओं के नुस्खे पर शोध से पता चलता है
दवाएं देने के बाद ज्यादा से ज्यादा वे मनोचिकित्सा की पेशकश कर सकते हैं। लेकिन मनोचिकित्सा कराना और खर्च उठाना अधिकांश लोगों के बस की बात नहीं हैं। हमारी स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली भी स्वास्थ्य के मनोसामाजिक निर्धारकों से निपटने में सक्षम नहीं है, जो परिस्थितियों और संस्कृति से पैदा हुए होते हैं। इसलिए उन्हें नैदानिक देखभाल के दृष्टिकोण से अधिक दूसरी चीजों की आवश्यकता होती है। उदाहरण के लिए, नस्लीय और जातीय अल्पसंख्यकों के लिए दर्द निवारक दवाओं के नुस्खे पर शोध से पता चलता है कि अश्वेत रोगियों के दर्द का इलाज किया ही नहीं जाता। यह उन लोगों द्वारा बताए गए लक्षणों में विश्वास की कमी को दर्शाता है जो पहले से ही सामाजिक-आर्थिक असमानता से पीड़ित हो सकते हैं। साल 2020 में जॉयस इचक्वान की मौत इसका एक उदाहरण है। इस मामले में क्यूबेक अस्पताल द्वारा किये गए दुर्व्यवहार और दर्ज का इलाज न किये जाने से स्वास्थ्य असमानता की समस्या को अनदेखा करने की परंपरा उजागर हो गई। कुल मिलाकर हमारे शोध में यह पता चलता है कि चिकित्सकों के प्रशिक्षण में कमी और खर्च उठाने में अक्षमता तनाव से संबंधित बीमारी के इलाज को मुश्किल बना देती है।