/bansal-news/media/post_attachments/PRD_BansalNews/delhi-blast-1.webp)
हाइलाइट्स
दिल्ली ब्लास्ट का एमपी कनेक्शन उजागर
महू निवासी जवाद सिद्दीकी पर जांच तेज
अल-फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़े कई आरोपी
Delhi Red Fort Blast Madhya Pradesh Connection Exposed: दिल्ली में हुए धमाके (Delhi Blast) की जांच में मध्य प्रदेश का कनेक्शन सामने आया है। जांच एजेंसियों के मुताबिक, ब्लास्ट का मुख्य आरोपी डॉ. उमर नबी (Dr. Umar Nabi) फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी (Al-Falah University) में प्रोफेसर था। यह यूनिवर्सिटी महू निवासी जवाद अहमद सिद्दीकी (Jawad Ahmad Siddiqui) के अल-फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट (Al-Falah Charitable Trust) द्वारा संचालित है। जवाद इस ट्रस्ट का चेयरमैन और यूनिवर्सिटी का कुलाधिपति है।
यही नहीं, इसी यूनिवर्सिटी में पढ़ाने वाले डॉ. मुजम्मिल शकील (Dr. Muzammil Shakeel) को भी विस्फोटक (Explosives) रखने और जमा करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। बताया जा रहा है कि डॉ. उमर नबी ने I-20 कार में विस्फोटक लगाकर खुद को उड़ा लिया था, जबकि मुजम्मिल और शाहीन शाहिद पहले अल-फलाह अस्पताल (Al-Falah Hospital) से जुड़े हुए थे, जो इसी ट्रस्ट के अंतर्गत आता है।
बंसल न्यूज के रिपोर्टर पीयूष पारे के अनुसार, दिल्ली धमाके का कनेक्शन मध्य प्रदेश के महू से जुड़ता दिख रहा है। अल-फलाह यूनिवर्सिटी (Al-Falah University) के चेयरमैन जवाद सिद्दीकी मूल रूप से महू का रहने वाला है, जहां उसका परिवार करीब 25 साल पहले धोखाधड़ी के केस दर्ज होने के बाद फरीदाबाद शिफ्ट हो गया था। यही वह यूनिवर्सिटी है, जहां धमाके का मास्टरमाइंड डॉ. उमर, साथ ही शाहिन, आदिल और सज्जाद जैसे आरोपी यूनिवर्सिटी से पूर्व में जुड़े रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, जवाद ने महू में करीब 30 साल पहले अल-फलाह नाम से एक इन्वेस्टमेंट कंपनी शुरू की थी और लोगों से करोड़ों रुपए जुटाए थे। बाद में रकम चुकाने की नौबत आने पर पूरा परिवार फरार हो गया। महू पुलिस ने भी इस कनेक्शन की पुष्टि की है और पुराने रिकॉर्ड खंगालना शुरू कर दिए हैं।
[caption id="" align="alignnone" width="1099"]
दिल्ली में 10 नवंबर की शाम लाल किले के पास Hyundai i20 कार में भीषण विस्फोट हुआ।[/caption]
यूनिवर्सिटी की सफाई- हमारा कोई संबंध नहीं, सब कुछ कानूनी
दिल्ली धमाके और शिक्षकों की गिरफ्तारी के बाद बुधवार (12 नवंबर) को अल-फलाह यूनिवर्सिटी की ओर से आधिकारिक बयान जारी किया गया। वाइस चांसलर प्रोफेसर भूपिंदर कौर आनंद (Prof. Bhupinder Kaur Anand) ने कहा कि विश्वविद्यालय के दो डॉक्टर डॉ. मुजम्मिल शकील और शाहीन सईद पुलिस हिरासत में हैं, लेकिन संस्था का उनके निजी कार्यों से कोई संबंध नहीं है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि यूनिवर्सिटी की लैब (Lab) में केवल मेडिकल स्टूडेंट्स की ट्रेनिंग होती है, वहां किसी भी तरह का विस्फोटक या केमिकल स्टोर नहीं किया गया। प्रोफेसर आनंद ने कहा कि अल-फलाह यूनिवर्सिटी में हर कार्य कानून और शिक्षा के दायरे में किया जाता है, किसी भी अवैध गतिविधि को संस्थान समर्थन नहीं देता।
[caption id="" align="alignnone" width="1005"]
अल-फलाह यूनिवर्सिटी[/caption]
अल-फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़े थे आतंकी गतिविधियों में पकड़े लोग
जांच एजेंसियों ने बताया कि आतंकी गतिविधियों में पकड़ा गया डॉ. मुजम्मिल शकील (Dr. Muzammil Shakeel) भी इसी यूनिवर्सिटी में एसोसिएट प्रोफेसर रह चुका है। इतना ही नहीं, उमर मोहम्मद और शाहीन शाहिद जैसे संदिग्ध व्यक्ति भी फरीदाबाद स्थित अल-फलाह अस्पताल से जुड़े रहे हैं। यह वही अस्पताल है, जिसे इसी ट्रस्ट ने संचालित किया था। एजेंसियां अब यूनिवर्सिटी और ट्रस्ट से जुड़े सभी कर्मचारियों और वित्तीय लेन-देन की जांच कर रही हैं।
ये भी पढ़ें- MP Weather Update: प्रदेश में ठंडी हवाओं ने बढ़ाई ठिठुरन, इन जिलों में कोल्ड वेव का अलर्ट, जानें आज के मौसम का हाल
निवेश कंपनी से हुई थी शुरूआत
जांच एजेंसियों के अनुसार, जवाद सिद्दीकी ने सबसे पहले अल-फलाह इन्वेस्टमेंट कंपनी के नाम से कारोबार शुरू किया था। उसने लोगों को ऊंचे मुनाफे का लालच देकर निवेश कराया, लेकिन 2001 में आर्थिक अनियमितताओं के बाद परिवार समेत महू छोड़ दिया। इसके बाद उसने फरीदाबाद में अल-फलाह इंजीनियरिंग कॉलेज की नींव रखी, जो धीरे-धीरे यूनिवर्सिटी के रूप में विकसित हो गई। अल-फलाह यूनिवर्सिटी अब एक बड़ा शैक्षणिक संस्थान है, जिसमें इंजीनियरिंग, मेडिकल और प्रबंधन कोर्स संचालित किए जाते हैं।
महू वाला घर कई सालों से बंद
महू पुलिस की टीम ने जब जवाद के पुराने पते पर जांच की, तो पता चला कि उसका चार मंजिला घर कई सालों से बंद पड़ा है। एडिशनल एसपी द्विवेदी ने बताया कि मकान के मुख्य गेट पर ताला लगा है और अंदर कोई नहीं रहता। स्थानीय लोग इस इमारत को मौलाना की बिल्डिंग के नाम से जानते हैं। जानकारी के मुताबिक, यह इमारत 90 के दशक में बनी थी और इसमें 25 से ज्यादा खिड़कियां और एक बड़ा तलघर है। मकान जवाद के पिता हम्माद सिद्दीकी के नाम पर है।
[caption id="attachment_929926" align="alignnone" width="1077"]
महू में जवाद का चार मंजिला घर।[/caption]
महू से जुड़ी जड़ों पर भी जांच शुरू
महू पुलिस ने जवाद अहमद सिद्दीकी के पुराने रिकॉर्ड खंगालना शुरू कर दिए हैं। एडिशनल एसपी रूपेश द्विवेदी (Additional SP Rupesh Dwivedi) ने बताया कि जवाद का परिवार करीब 25 साल पहले महू के कायस्थ मोहल्ले में रहता था। उसके पिता मोहम्मद हम्माद सिद्दीकी (Mohammad Hammad Siddiqui) शहर काजी रह चुके हैं और उनकी 1995 में मौत हो चुकी है।
पुलिस के मुताबिक, जवाद के दो भाई भी यहीं पढ़े-लिखे हैं। वहीं, उसका सौतेला भाई अफाम हत्या के मामले में जेल जा चुका है। जांच में यह भी सामने आया है कि जवाद 2001 में महू से दिल्ली चला गया था, जब उसकी अल-फलाह इन्वेस्टमेंट कंपनी (Al-Falah Investment Company) में आर्थिक गड़बड़ी का मामला सामने आया था।
आईजी अनुराग सिंह (IG Anurag Singh) ने बताया कि महू से जुड़ी जानकारी मीडिया के माध्यम से मिली है। पुलिस और इंटेलिजेंस एजेंसियां मामले की गहराई से जांच कर रही हैं।
10 नवंबर को दहली दिल्ली
दिल्ली में 10 नवंबर की शाम लगभग 7 बजे, लाल किला मेट्रो स्टेशन के गेट नंबर-1 के पास सुभाष मार्ग ट्रैफिक सिग्नल पर Hyundai i20 कार में भीषण विस्फोट हुआ। यह धमाका इतना शक्तिशाली था कि कार के परखच्चे उड़ गए, जिससे आसपास खड़ी कई गाड़ियां जलकर राख हो गईं और इलाके में दहशत फैल गई।
इस घटना में अब तक 12 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 20 से अधिक लोग घायल हुए हैं। प्रारंभिक जांच में यह बात सामने आई है कि कार में विस्फोटक सामग्री रखी गई थी और यह धमाका एक आतंकवादी साजिश का हिस्सा हो सकता है। मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को सौंप दी गई है।
/bansal-news/media/agency_attachments/2025/10/15/2025-10-15t102639676z-logo-bansal-640x480-sunil-shukla-2025-10-15-15-56-39.png)
Follow Us
/bansal-news/media/post_attachments/PRD_BansalNews/MP-hc-news.webp)
चैनल से जुड़ें